असंभव को संभव कर दिखाया टीम इंडिया ने

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 29, 2025 07:17 IST2025-07-29T07:17:03+5:302025-07-29T07:17:09+5:30

किसी न किसी ने संभाल ही लिया. बहरहाल, भारतीयों ने अपने प्रदर्शन से इंग्लैंड के अमोघ अस्त्र ‘बाजबॉल’ की हवा निकाल दी है. भारतीयों ने इसे प्रभावहीन करके छोड़ा.

ind vs eng Team India made the impossible possible | असंभव को संभव कर दिखाया टीम इंडिया ने

असंभव को संभव कर दिखाया टीम इंडिया ने

पहले दो विकेट पांच गेंदों पर खाता खोलने से पहले गिर जाने के बाद भारत के चार बल्लेबाजों ने कुल जमा 853 गेंदों का सामना कर इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट रविवार को ड्रॉ रखा. भारत के लिहाज से यह ड्रॉ विजय से कमतर नहीं है.  ओल्ड ट्रैफोर्ड मैदान पर पहली पारी में भारत के 311 रन से पिछड़ने के बाद ‘क्रिकेट में कुछ भी संभव है’  या ‘अनिश्चितता ही इस खेल की आत्मा है’ जैसा फलसफा बेमानी था.

जीत की कहीं से भी उम्मीद नहीं थी. दो ही परिणाम गिल की टीम के लिए स्पष्ट  थे. या तो बगैर संघर्ष के हार जाओ जो कि भारतीय टीम की लंबे अरसे से परिपाटी रही है या फिर कठोर संघर्ष करके मैच अनिर्णित रखो. टीम ने बेमिसाल संघर्ष करके ड्रॉ के साथ ही मैच भी बचा लिया.

पांच सत्र से भी ज्यादा समय तक भारतीय बल्लेबाज डटे थे. इस दौरान इंग्लैंड के गेंदबाजों ने सारी हिकमतें आजमा लीं लेकिन के.एल. राहुल ( 90 रन, 230 गेंदें), शुभमन गिल (103 रन, 203 गेंदें), वाशिंगटन सुंदर (101 रन, 206 गेंदें) और रवींद्र जडेजा (107 रन, 185 गेंदें) के आगे उनके गेंदबाज अंततः थक-हार गए. जडेजा और सुंदर के चट्टान की तरह डटने से इंग्लैंड टीम के कप्तान बेन स्टोक्स इतने हताश हो गए थे कि उन्होंने ड्रॉ स्वीकार कर मैच 14-15 ओवर पहले ही खत्म कर देने का प्रस्ताव रख दिया लेकिन दोनों भारतीय बल्लेबाज चूंकि अपने-अपनै सैकड़े पूरे करने के करीब थे इसलिए इसे खारिज कर दिया.

सो, पांच टेस्ट मैचों की एंडरसन-गावस्कर ट्रॉफी में अब तक खेले गए चारों टेस्ट में भारतीयों ने गजब का जज्बा दिखाया है. खिलाड़ियों के प्रदर्शन के अलावा जीवटता ने भी चमत्कृत कर दिया है. लाॅर्ड्स में खेले गए तीसरे टेस्ट मैच में भारत हारा जरूर लेकिन मोहम्मद सिराज अगर स्टम्प पर लुढ़कती चली गई बशीर की गेंद को किसी तरह संभाल लेते तो नतीजा शायद भारत के हक में होता.

भारतीय टीम के बारे में ऐसा बहुत कम बार देखा गया कि पांच टेस्ट मुकाबलों की सीरीज के हर मैच में हमारे खिलाड़ियों ने खुद को झोंक दिया. चारों मुकाबलों में भारतीय टीम में उस योद्धा की भावनाएं दिखाई दीं जो अंतिम सांस तक हार नहीं मानता. यह शोध का विषय बन गया है कि रोहित शर्मा और विराट कोहली के संन्यास लेते ही टीम को वह कौनसी संजीवनी मिली जिससे टीम में इंग्लैंड को उसीकी सरजमीं पर आंखें दिखा रही है.

शुभमन गिल को कप्तानी का अनुभव नहीं है, तेज गेंदबाज और हुकुम का इक्का जसप्रीत बुमराह शत-प्रतिशत फिट नहीं है, उनके साथ सिराज का अपवाद छोड़ दें तो प्रसिद्ध कृष्णा और आकाशदीप के पास अनुभव की काफी कमी है और मैनचेस्टर पहुंचते-पहुंचते ऋषभ पंत एवं आकाशदीप भी चोटिल हो गए. इसके बावजूद टीम ने मनोबल बनाए रखा.

तथ्य कटु है मगर इसे स्वीकार करना होगा. पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम में यह एक परंपरा हो गई थी कि रोहित शर्मा सलामी में आकर तूफानी पारी खेलने के चक्कर में जल्दी लौट जाते थे और विराट कोहली भी अपना कवर ड्राइव मारने में चूक करके पवेलियन जाकर बैठ जाते थे.

दो दिग्गजों के सबसे पहले आउट हो जाने से प्रतिद्वंद्वियों का मनोबल तगड़ा हो जाता था और इसके बाद भारत की पूरी टीम दबाव में  बिखर कर हार जाती थी. इस दौरे पर यह बात दिखाई नहीं दी. टीम कहीं पर भी बिखरी नहीं. किसी न किसी ने संभाल ही लिया. बहरहाल, भारतीयों ने अपने प्रदर्शन से इंग्लैंड के अमोघ अस्त्र ‘बाजबॉल’ की हवा निकाल दी है. भारतीयों ने इसे प्रभावहीन करके छोड़ा.

अब यह वक्त अंग्रेजों के लिए सोचने का है कि ‘बाजबॉल’ का प्रयोग अन्य टीमों के खिलाफ आगे फिर जारी रखें या फिर इस पर पुनर्विचार करें.

Web Title: ind vs eng Team India made the impossible possible

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