एक रांचीवासी की नजर से महेंद्र सिंह धोनी को देखें...
By विजय बहादुर | Updated: July 7, 2019 10:38 IST2019-07-07T10:26:17+5:302019-07-07T10:38:57+5:30
क्रिकेट में लीजेंडरी बनने के बाद भी महेंद्र सिंह धोनी ने अपना नाता बनाए रखा है। जब भी मैच नहीं होता है वो रांची में क्रिकेट स्टेडियम प्रैक्टिस करते, सिल्ली में फुटबॉल खेलते, सड़कों पर गाड़ी चलाते, फॉल्स में नहाते, देवड़ी मंदिर के दर्शन करते नजर आते हैं। आज महेंद्र सिंह धोनी का जन्मदिन हैं और वो 38 साल के हो गए हैं।

भारत के सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी 38 साल के हो गए हैं।
आज 7 जुलाई को महेंद्र सिंह धोनी अपना जन्मदिन मना रहे हैं। वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत सेमीफाइनल में पहुंच चुका है और क्रिकेट का खुमार अपने चरम पर है। लेकिन क्रिकेट के बीच ये चर्चा भी काफी वायरल है कि इस वर्ल्ड कप में ही महेंद्र सिंह धोनी संन्यास ले लेंगें। कोई ऑफिशियल घोषणा नहीं है, लेकिन जिस तरह का धोनी का मिजाज है इससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि धोनी अपने शीर्ष में ही क्रिकेट को अलविदा करना चाहेंगे और इसके लिए वर्ल्ड कप से बेहतर कोई मंच नहीं हो सकता है।
लेकिन महेंद्र सिंह धोनी संन्यास लेंगें ये सोचना भी पूरे भारत के क्रिकेट प्रेमियों को भावुक कर देता है। और किसी भी रांचीवासी के लिए तो ये सोचना की उसके अपने महेंद्र सिंह धोनी उनके बीच अंतिम बार खेल रहा है, हृदय में बहुत ज्यादा टिस पैदा कर देता है। जो लोग रांची के हैं या रांची में पले बढ़े हैं वो जानते हैं की महेंद्र सिंह धोनी का रांची का होना रांची के लिए कितना मायने रखता है। दुनिया के लिए महेंद्र सिंह धोनी राँची के लिए धोनी/ धोनी भाई /धोनी भैया /माही/धोनिया है।
1993 का समय होगा मैं पटना में कोचिंग में पढ़ाई करता था। उसी दौरान सिनेमा हॉल में टिकट काउंटर पर खड़ा था। सामने टिकट लेने वाले एक सज्जन का टिकट काटने वाले से किसी बात को लेकर बहस हो गया। टिकट काटने वाले ने बिहारी लहजे में अपने सहकर्मी से पूछा ,जरा पता करो रांची की ट्रेन आ गयी क्या ? पहले तो मैं समझ नहीं पाया, फिर दिमाग पर जोर लगाया तो समझ में आया की टिकट काटने वाला व्यंग कर रहा है और उस व्यक्ति को रांची से सटे कांके में अवस्थित मानसिक आरोग्यशाला से जोड़ कर बता रहा है।
दूसरी घटना 2006 की है। मै अपने मित्रों के साथ सिक्किम में योगथांग जा रहा था। पूरे रास्ते आबादी बहुत ही विरल थी। रास्ते में हमलोग चाय के एक छोटे दुकान पर रुके। चाय वाले से बात होने लगी और उसने हमलोगों से पूछा की आपलोग कहां से हैं। मैंने बताया की हमलोग रांची से हैं। आप रांची के बारे में जानते हैं? मेरी बात पूरी होने से पहले ही पहाड़ी चाय वाले ने कहा की अरे रांची को कौन नहीं जानता हैं ,वहीं जहां धोनी रहता है।
उसके बाद से मुझे याद है की जब भी अपने देश में किसी भी जगह गया, सुदूर हो या महानगर, किसी को भी कहाँ की मैं रांची से हूँ। हर किसी ने एक ही शब्द कहा धोनी के शहर से या फिर कोई भी सेलिब्रिटी रांची आया। गुलाम अली हो,आशा भोसले हो, सोनू निगम हो, सुखविंदर हो या फिर कोई और रांची। आते ही हर आम और खास पहला सवाल यही पूछता है धोनी को जानते हैं या धोनी कहां रहता है या फिर आप धोनी से मुलाकात करा सकते हैं। अपने माही ने रांची की पहचान बदल कर रख दिया।
धोनी की पहचान अपने शहर में कैसे बदली ये भी समझिए। अपने को भी क्रिकेट खेलने का खूब जूनून था। उसी समय सुना करता था की एक लड़का डीएवी श्यामली स्कूल (अब जेवीएम श्यामली) का है, बहुत डेंजर (जबर्दस्त )खेलता है, लंबा -लंबा छक्का मारता है। धोनी ने स्कूली क्रिकेट में धूम मचा रखा था। उसके बाद ऑफिस लीग में सीसीएल की तरफ से खेलते हुए उरीमारी ,सयाल, मुरी जैसी छोटी छोटी जगहों में जाकर धोनी ने खूब छक्के लगाए।
अख़बारों में खूब उसके चर्चे होने लगें। लेकिन धोनी भारतीय टीम में जाएगा इसकी उम्मीद बहुत कम लोगों को थी।लोगों का मानना था पूर्वी भारत से वो भी झारखंड से किसी को नेशनल टीम में मौका मिलेगा,असंभव है। कुछ साथी क्रिकेटर रश्क में कहतें थें की इसका बैटिंग तकनीक बहुत ही बेकार है।अंदाज पर बल्ला चलाता है, बढ़िया बॉलिंग अटैक होगा तो नहीं खेल पाएगा। लेकिन धोनी ने रेलवे से रणजी, सीके नायडू में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इंडिया ए और अंत में इंडिया टीम में अपनी जगह में अपनी जगह बना ली।
मुझे याद है धोनी जब इंडिया टीम में आए तो उस समय दिनेश कार्तिक से उनकी तुलना की जाती थी और टीवी में बड़े एक्सपर्ट्स साबित करने में लगे रहते थें की दिनेश कार्तिक की कीपिंग और बैटिंग तकनीक धोनी से बेहतर है। लेकिन 2005 में अपने पांचवें एकदिवसीय मैच में जिस तरीके का धुआंधार शतक धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ बनाया वो एक इतिहास बन गया। उसके बाद धोनी ने दूसरे खिलाड़ियों से इतना अंतर बना दिया की उनकी तुलना सिर्फ गिलक्रिस्ट से की जाती है या उससे भी बेहतर माना जाता है।
कैप्टन कूल के रूप में उनके नेतृत्व में भारत 2007 में 20 -20 वर्ल्ड कप और 2011 में एक दिवसीय वर्ल्ड कप में चैंपियन बना। टेस्ट क्रिकेट में ICC वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर 1 टीम बना। बार बार धोनी ने देश का नाम रोशन किया और रांची को नयी पहचान दी। कप्तानी से संन्यास लेने के बाद आज भी जिस समय धोनी मैच में रहते हैं निवर्तमान कप्तान विराट कोहली मैदान में कठिन क्षणों में उनकी सलाह को बहुत ज्यादा तवज्जो देते हैं। ऐसा लगता है धोनी ही टीम के कप्तान हैं। उनकी क्रिकेटिंग सेंस का लोहा सारी दुनिया मानती है।
ठीक वर्ल्ड कप से कुछ दिन पहले संजय मांजरेकर ने एक इंटरव्यू में कहा कि आने वाले वर्ल्ड कप के लिए टीम की कमान धोनी को सौंप देना चाहिए। कुछ दिनों पहले ऑस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लेंगर ने कहा कि महेंद्र सिंह धोनी एक जीनियस है। भारतीय टीम के कोच रवि शास्त्री ने कहा की भारतीय क्रिकेट इतिहास में धौनी का नाम सुनील गावस्कर, कपिलदेव और सचिन तेंदुलकर के साथ लिया जाएगा। लीजेंडरी प्लेयर्स के इस तरह के बयानों से धोनी के इंटरनेशनल क्रिकेट में बनाए गए उनके इम्पैक्ट को दर्शाता है।दुनिया के बेस्ट फिनिशर और सबसे कूल टेम्परामेंट के खेलाड़ी और कप्तान का रिप्लेसमेंट ढूंढना बहुत मुश्किल होगा।
क्रिकेट में लीजेंडरी बनने के बाद भी महेंद्र सिंह धोनी ने अपना नाता बनाए रखा है। जब भी मैच नहीं होता है वो रांची में क्रिकेट स्टेडियम प्रैक्टिस करते, सिल्ली में फुटबॉल खेलते, सड़कों पर गाड़ी चलाते, फॉल्स में नहाते, देवड़ी मंदिर के दर्शन करते नजर आते हैं।अपनी बेटी जीवा की परवरिश और पढ़ाई लिखाई धोनी राँची में ही कर रहे हैं। ये धोनी का राँची के प्रति प्रेम दिखाता है।