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भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: ऐसे बढ़ सकती है विकास दर  

By भरत झुनझुनवाला | Updated: April 6, 2019 09:03 IST

वर्तमान वर्ष में केंद्र एवं राज्य सरकारों का विकास कार्यो का कुल बजट लगभग 24 लाख करोड़ रु. प्रति वर्ष है. इसमें से यदि 20 प्रतिशत जरूरी कार्यो को छोड़ कर शेष 80 प्रतिशत योजनाओं को रद्द कर दिया जाए तो हमारी सरकारों को 19 लाख करोड़ रु. की विशाल रकम उपलब्ध हो सकती है.

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बीते दशक में हमारी विकास दर लगभग सात प्रतिशत रही है. इससे देश की जनता संतुष्ट नहीं है. इसे बढ़ाने के लिए मांग और निवेश के सुचक्र  को गति देनी होगी. बाजार में माल की मांग होगी तो निजी निवेश स्वयं आएगा. साथ-साथ टेलीफोन, हाईवे, रेल जैसी बुनियादी सुविधाओं में सरकारी निवेश होने से निजी निवेश को गति मिलती है. अत: ऐसी नीतियां बनानी होंगी जिससे बाजार में मांग उत्पन्न हो और बुनियादी सुविधाओं में निवेश के लिए सरकार के पास धन उपलब्ध हो. 

मांग बढ़ाने का सीधा उपाय है कि सरकार के बजट के रिसाव को बंद किया जाए. सरकार अपने बजट से जो खर्च करती है उसका बड़ा हिस्सा विकास कार्यो में जाता है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा इत्यादि में. इन खर्चो का अधिकतर हिस्सा सरकारी कर्मियों के वेतन में लग जाता है. सरकारी कर्मी इस वेतन से कम ही खपत करते हैं. उनके द्वारा भारी मात्ना में सोना खरीदा जाता है, विदेश रकम भेजी जाती है अथवा विदेश में बना माल खरीदा जाता है.  

उपाय है कि विकास कार्यो के माध्यम से जो रकम सरकारी कर्मियों को दी जा रही है उसे सीधे जनता को उपलब्ध करा दिया जाए. जनता में हम यदि 70 प्रतिशत को ‘आम’ मानें तो इन्हें दी गई रकम का बड़ा हिस्सा घरेलू माल की खपत में जाएगा. आम नागरिक को यदि 6 हजार रुपए मिलते हैं तो वह उस रकम का उपयोग कपड़े अथवा जूते खरीदने में करेगा. इसकी तुलना में वही 6 हजार रु. यदि सरकारी कर्मी को वेतन के रूप में मिलते हैं तो वह इसके एक बड़े हिस्से का उपयोग सोना खरीदने अथवा विदेश भेजने में करता है. 

वर्तमान वर्ष में केंद्र एवं राज्य सरकारों का विकास कार्यो का कुल बजट लगभग 24 लाख करोड़ रु. प्रति वर्ष है. इसमें से यदि 20 प्रतिशत जरूरी कार्यो को छोड़ कर शेष 80 प्रतिशत योजनाओं को रद्द कर दिया जाए तो हमारी सरकारों को 19 लाख करोड़ रु. की विशाल रकम उपलब्ध हो सकती है. इस रकम का उपयोग देश के 30 करोड़ परिवारों में 60 हजार रु. प्रति वर्ष वितरित करने के लिए किया जा सकता है. ऐसा करने से बाजार में भारी मांग उत्पन्न होगी और मांग व निवेश का सुचक्र स्थापित हो जाएगा.

टॅग्स :सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)
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