प्रकाश बियाणी का ब्लॉगः पेट्रोल-डीजल बिक्री पर मुनाफाखोरी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 23, 2018 03:34 IST2018-11-23T03:34:21+5:302018-11-23T03:34:21+5:30

याद करें कि 1 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल का मूल्य उच्चतम स्तर पर था तब पेट्रोल का रिटेल मूल्य मुंबई में प्रति लीटर 90 रु पए प्लस हो गया था. सारे देश में शोर मचा तो केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 1.50  रुपए और राज्य सरकारों ने स्टेट टैक्स 2.50 रुपए घटाया.

Prakash Biyani's blog: Profit on petrol and diesel sales | प्रकाश बियाणी का ब्लॉगः पेट्रोल-डीजल बिक्री पर मुनाफाखोरी

प्रकाश बियाणी का ब्लॉगः पेट्रोल-डीजल बिक्री पर मुनाफाखोरी

-प्रकाश बियाणी

अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम वर्ष के न्यूनतम स्तर पर हैं. अक्तूबर माह में ही इसके दाम 30 फीसदी घटे हैं. देश की तीन ऑयल मार्केटिंग कंपनियों- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने पिछले साल पेट्रोल पर 2.60  रु. और डीजल पर 2.80 रु. प्रति लीटर मुनाफा कमाया था. इसी अनुपात से ऑयल मार्केटिंग कंपनियां आज मुनाफा अर्जन करें तो पेट्रोल डीजल के रिटेल मूल्य 4.50 से 5 रु पए लीटर कम हो जाएं. पर ये कंपनियां आज पेट्रोल की बिक्री से प्रति लीटर करीब 6 रु. और डीजल पर 4.80 रु. मुनाफा कमा रही हैं.

याद करें कि 1 अक्तूबर को अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल का मूल्य उच्चतम स्तर पर था तब पेट्रोल का रिटेल मूल्य मुंबई में प्रति लीटर 90 रु पए प्लस हो गया था. सारे देश में शोर मचा तो केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 1.50  रुपए और राज्य सरकारों ने स्टेट टैक्स 2.50 रुपए घटाया. सरकार ने ऑयल मार्केटिंग कंपनियों से कहा कि वे भी अपना मार्जिन प्रति लीटर 1 रु. कम कर दें. इसके बाद पेट्रोल- डीजल के रिटेल दाम 5 रु. लीटर कम हुए थे. 

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की कमाई एक रुपया प्रति लीटर मार्जिन कटौती के कारण एक माह में करीब 5 अरब रुपए कम हो गई और केंद्र सरकार का मासिक राजस्व करीब 6 अरब रुपए घट गया. ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पिछले साल की तुलना में दोगुना मार्जिन कमाकर इस घाटे की पूर्ति कर रही हैं. 2019 में चुनाव के नजदीक अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम बढ़ने पर  भी सरकार रिटेल मूल्य नहीं बढ़ाने देगी, इस आशंका से वे कुशन भी तैयार कर रहे हैं. केंद्र सरकार भी घुमाकर कान पकड़ रही है. ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा तो वर्षात पर सरकार को उनसे ज्यादा डिविडेंड मिलेगा और जो एक्साइज ड्यूटी कम करनी पड़ी थी वह चेहरा बदलकर सरकारी खजाने में लौट आएगी. पिछले वर्ष सरकार को तीनों ऑयल मार्केटिंग कंपनियों से 8119 करोड़ रुपए डिविडेंड मिला था जो इस साल 15-16 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है.

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की प्रति लीटर लागत प्लस फ्रेट खर्च और इस पर एक्साइज ड्यूटी, स्टेट टैक्स, डीलर के कमीशन और मार्जिन के योग से पेट्रोल डीजल का रिटेल मूल्य तय होता है. आज ऑयल कंपनियों की पेट्रोल की प्रति लीटर लागत और फ्रेट खर्च करीब 32.50 रु. है. 1 अक्तूबर को यह करीब 40.70 रु. था. तदनुसार 4 अक्तूबर को सरकार ने जो 5 रु पए की कटौती और करवाई थी वह भी सरकार उपभोक्ता से वापस ले ले तो पेट्रोल डीजल के रिटेल मूल्य 4 से 5 रुपए प्रति लीटर कम होना चाहिए. पर जब सरकार और सरकारी कंपनियां ही मुनाफाखोरी करने लगें तो कौन किसकी सुने?

(प्रकाश बियाणी लेखक-पत्रकार हैं। मूलतः ये बैंकर रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक में 25 साल तक नौकरी के बाद इन्होंने 'दैनिक भास्कर' में बतौर कार्पोरेट संपादक सेवाएं दीं। अब ये नियमित पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन करते हैं।)

Web Title: Prakash Biyani's blog: Profit on petrol and diesel sales

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