प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: देश को बजट का बेसब्री से इंतजार

By Prakash Biyani | Published: May 28, 2019 01:38 PM2019-05-28T13:38:57+5:302019-05-28T13:38:57+5:30

वित्त वर्ष 2018-19 में राजस्व वसूली अनुमान से कम हुई है, वित्त वर्ष 2019-20 में भी बढ़ने की उम्मीद कम है. यदि वित्त मंत्नी वित्तीय घाटा 3.4 फीसदी तक नियंत्रित रखते हैं तो पूंजीगत खर्च घटाना पड़ेगा. इस मोर्चे पर सरकार को बिमल जालान की कमेटी से उम्मीद है जो रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क की समीक्षा कर रही है.

prakash Biyani blog: The country eagerly awaiting the budget | प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: देश को बजट का बेसब्री से इंतजार

प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: देश को बजट का बेसब्री से इंतजार

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्न का चुनाव संपन्न हुआ. अब यह गौण है कि कौन हारा. महत्वपूर्ण यह है कि नरेंद्र मोदी शपथ लेने के साथ अपना मंत्निमंडल बनाएंगे. नई सरकार के वित्त मंत्नी बजट पेश करेंगे जिन्हें कई चुनौतियों का सामना करना है. मसलन, अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिया है और अब भारत ईरान से क्रूड आयल नहीं खरीद सकता. ईरान पर प्रतिबंध लगने से अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में क्रूड आयल के भाव बढ़ने का भी खतरा है. इससे देश का चालू खाते का घाटा बढ़ेगा. घरेलू मार्केट में पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य बढ़े तो महंगाई बढ़ेगी. 

वित्त वर्ष 2018-19 में राजस्व वसूली अनुमान से कम हुई है, वित्त वर्ष 2019-20 में भी बढ़ने की उम्मीद कम है. यदि वित्त मंत्नी वित्तीय घाटा 3.4 फीसदी तक नियंत्रित रखते हैं तो पूंजीगत खर्च घटाना पड़ेगा. इस मोर्चे पर सरकार को बिमल जालान की कमेटी से उम्मीद है जो रिजर्व बैंक के कैपिटल फ्रेमवर्क की समीक्षा कर रही है. इस कमेटी की सलाह पर रिजर्व बैंक संकट कालीन रिजर्व घटाकर सरकार को फंडिंग करे तो कम से कम एक वर्ष तो सरकार को पूंजीगत खर्च घटाना नहीं पड़ेगा और वित्तीय घाटा भी नियंत्रित रहेगा.

नई सरकार को दिवालिया कानून के तहत बैंक डिफॉल्टरों से एनपीए की वसूली को भी गति प्रदान करना है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल इन प्रकरणों को निर्धारित अवधि में नहीं निपटा रहा है. 1143 प्रकरण लंबित हैं. 12 बड़े डिफॉल्टरों से अब तक वसूली हो जानी चाहिए थी पर वे असेट्स बिक्री में बाधाएं खड़ी करने में सफल रहे हैं. एनपीए की वसूली होगी तो ही सरकारी बैंकों की ऋण वितरण क्षमता बढ़ेगी. मार्केट में नगदी की कमी से उद्योगों को वर्किग कैपिटल नहीं मिल रही है और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछड़ रहा है जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ा है. सरकार को जहां रोजगार के अवसर बढ़ाना है वहीं ग्रामीण श्रमिकों की मजदूरी भी बढ़ाना है. 

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी का आकलन करते हुए ग्रोथ रेट घटाकर 3.3 फीसदी कर दी है. ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी आई तो देश की जीडीपी नहीं बढ़ेगी जो यूं भी 2016-17 की 8.2 फीसदी की ग्रोथ से घटकर 2018-19 में 7 फीसदी रह गई है. जीडीपी को बढ़ाने और बेरोजगारी घटाने में अमेरिका-चीन के बीच जारी ट्रेड वार भारत के लिए वरदान साबित हो सकता है. अमेरिकन कंपनियां चीन से मैन्युफैक्चरिंग लोकेशन बदलने की तैयारी कर रही हैं. भारत उनका नया मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकता है पर उन्हें चाहिए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस माहौल. नई सरकार लैंड और लेबर रिफॉर्म करेगी तो ही भारत चीन की तरह ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा. 

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