New Labour Codes: विकास में नई जान फूंकेंगे नए श्रम कानून
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: November 24, 2025 05:39 IST2025-11-24T05:38:54+5:302025-11-24T05:39:33+5:30
New Labour Codes: नई चार श्रम संहिताएं सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी का भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल और हमारे लोगों, विशेष रूप से नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए लाभकारी अवसरों के लिए एक मजबूत नींव के रूप में काम करेंगी.

file photo
New Labour Codes: हाल ही में 21 नवंबर को केंद्र सरकार ने देश में पांच साल के लंबे समय से प्रतीक्षित श्रम संहिता (लेबर कोड) को लागू कर दिया है. नए श्रम कानून के तहत चार श्रम संहिताएं- मजदूरी संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता 2020 शामिल हैं. नए श्रम कानून के परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये श्रम कानून देश में स्वतंत्रता के बाद से सबसे व्यापक और प्रगतिशील श्रम-उन्मुख सुधार हैं. वस्तुतः नई चार श्रम संहिताएं सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी का भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल और हमारे लोगों, विशेष रूप से नारी शक्ति और युवा शक्ति के लिए लाभकारी अवसरों के लिए एक मजबूत नींव के रूप में काम करेंगी.
साथ ही नए श्रम कानून भविष्य के लिए एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण करेंगे, जो श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को मजबूत करेगा. निश्चित रूप से नई श्रम संहिताओं ने श्रम कानूनों को सरल, निष्पक्ष और नए दौर के कामकाजी वातावरण के अधिक अनुकूल बना दिया है.
ये नए श्रम कानून श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने, सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा में सुधार करने, व्यवसायों के लिए नियमों का अनुपालन करना आसान बनाने और बढ़ती अर्थव्यवस्था में अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के मद्देनजर अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं. नई श्रम संहिताओं के तहत श्रमिकों, उद्योगों और सरकार के हितों से संबंधित बहुआयामी लाभ उभरकर दिखाई दे रहे हैं.
अब नियोक्ताओं को सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र जारी करना होगा तथा गिग और प्लेटफॉर्म कामगारों सहित पूरे श्रमबल को सामाजिक सुरक्षा कवरेज प्रदान करना होगा. न्यूनतम मजदूरी का भुगतान और 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच प्रदान किया जाना भी सुनिश्चित किया गया है.
अब तय अवधि के लिए ठेके पर काम करने वाले कामगारों को स्थायी श्रमिकों के बराबर सभी लाभ मिलेंगे और वे पांच साल के बजाय सिर्फ एक साल बाद ग्रेच्युटी पाने के हकदार होंगे. नए श्रम नियम महिलाओं को रात की पाली में काम करने और देश भर में कर्मचारियों के राज्य बीमा लाभों का विस्तार करने की अनुमति भी देते हैं, इन सबसे श्रम की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ेगी.
यदि हम देश में श्रम कानूनों का इतिहास देखें तो पाते हैं कि भारत के कई श्रम कानून स्वतंत्रता से पहले और स्वतंत्रता के बाद के आरंभिक काल में उस समय बनाए गए थे, जब अर्थव्यवस्था और कार्य की दुनिया वर्तमान व्यवस्थाओं से पूरी तरह भिन्न थी.
जैसे-जैसे 1991 के बाद वैश्वीकरण बढ़ता गया, वैसे-वैसे दुनिया के अधिकांश बड़े विकसित और विकासशील देशों ने पिछले कुछ दशकों में अपने श्रम नियमों को समय के साथ अनुकूल व सरल बनाया और उन्हें एकीकृत किया है.