चुनौतियों के बीच अमेरिका से कारोबार की नई संभावनाएं
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 20, 2025 06:34 IST2025-02-20T06:34:45+5:302025-02-20T06:34:58+5:30
दोनों देशों ने द्विपक्षीय बातचीत के दौरान भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के लिए 500 अरब डाॅलर का लक्ष्य निर्धारित किया है.

चुनौतियों के बीच अमेरिका से कारोबार की नई संभावनाएं
जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में 17 फरवरी को भारतीय स्टेट बैंक के द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भले ही अमेरिकाभारत के उत्पादों पर 15 से 20 फीसदी का उच्च टैरिफ लगाए, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका को होने भारतीय निर्यात में कुल गिरावट केवल 3 से 3.5 फीसदी के आसपास ही रहने का अनुमान है. दूसरी ओर भारत-अमेरिका की द्विपक्षीय वार्ता से अब भारत-अमेरिका के आर्थिक रिश्तों का जो नया दौर शुरू होगा, वह भारत के लिए कुल निर्यात बढ़ाने और अन्य वैश्विक कारोबार में भी लाभप्रद होगा.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प के बीच व्हाइट हाउस में हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक हाथ से देने और दूसरे हाथ से लेने में अच्छी तरह से कामयाब दिखाई दे रहे हैं. द्विपक्षीय वार्ता में भारत और अमेरिका दोनों देशों ने व्यापार निवेश, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में कारोबार तथा वैश्विक व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर सहमति जताई है.
दोनों देशों ने अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने, व्यापार पर गतिरोध के बीच टैरिफ को कम करने, अधिक अमेरिकी तेल, गैस और लड़ाकू विमानों की खरीदी के बारे में बात करने और रियायतों पर भी सहमति व्यक्त की है. दोनों देशों ने द्विपक्षीय बातचीत के दौरान भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के लिए 500 अरब डाॅलर का लक्ष्य निर्धारित किया है.
ट्रम्प ने कहा कि भारत और अमेरिका भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) के निर्माण के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए हैं. निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी और ट्रम्प के बीच हुई अत्यधिक उत्साहजनक और सकारात्मक द्विपक्षीय वार्ता के बाद भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ संबंधी चुनौतियों के बावजूद कारोबार के नए ऐतिहासिक अध्यायों की डगर आगे बढ़ने की संभावनाएं उभरकर दिखाई दे रही हैं.
चूंकि ट्रम्प भारत की ओर से अमेरिकी उत्पादों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाने की शिकायत करते हुए भारत पर भी टैरिफ लगाने की बात लगातार कहते आए हैं, अब उनके द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति से भारत के भी अधिक टैरिफ वसूली की सीमा में आने की आशंका है. भारत ने पहले से ही इस बात को समझा है कि ट्रम्प एक हाथ से लेने व दूसरे हाथ से देने में विश्वास करते हैं.
यही कारण है कि भारत ने देखते ही देखते अपने यहां कुछ अमेरिकी सामान पर टैरिफ कम करना शुरू कर दिया. एक फरवरी को पेश वर्ष 2025-26 के बजट में भारत ने अमेरिका से आने वाली वस्तुओं जैसे महंगी मोटरसाइकिल, सैटेलाइट के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे कुछ सामानों पर शुल्क घटा दिए हैं. साथ ही अब द्विपक्षीय वार्ता के आधार पर दोनों देश एक-दूसरे के लिए उपयुक्त टैरिफ की डगर पर आगे बढ़ेंगे.
हम उम्मीद करें कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रम्प के बीच 14 फरवरी को हुई द्विपक्षीय वार्ता से जो नई आर्थिक इबारत लिखी गई है, उससे भारत-अमेरिका के आर्थिक रिश्तों का नया दौर आगे बढ़ेगा. हम उम्मीद करें कि भारत का उद्योग-कारोबार गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और लागत में कमी करते हुए ट्रम्प के रेसिप्रोकल टैरिफ का मुकाबला करने में सफल होगा.