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जयंतीलाल भंडारी का नजरियाः वैश्विक सुस्ती के बीच भी सबसे तेज बढ़ेगा भारत

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: June 7, 2019 05:09 IST

6 जून को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इससे उद्योग-कारोबार के साथ-साथ, आवास एवं कार ऋणों की दर में कमी आएगी. इससे अर्थव्यवस्था भी गतिशील होगी.

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विकास दर बढ़ाने के लिए सरकार ने रणनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. एक ओर जहां प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के द्वारा 5 जून को आर्थिक वृद्धि, निवेश में कमी व रोजगार के घटते अवसरों की चुनौती से निपटने के लिए पांच सदस्यीय मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया गया है, वहीं 6 जून को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इससे उद्योग-कारोबार के साथ-साथ, आवास एवं कार ऋणों की दर में कमी आएगी. इससे अर्थव्यवस्था भी गतिशील होगी.

हाल ही में 5 जून को विश्व बैंक ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि बेहतर निवेश तथा निजी खपत के दम पर अगले तीन साल तक भारत 7.5 प्रतिशत की विकास दर के साथ सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था बना रहेगा. विश्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 में भारत के 7.2 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने का अनुमान है, जो कि 2019-20 में बढ़कर 7.5 फीसदी हो जाएगी. विश्व बैंक ने यह भी कहा है कि 2018 में चीन की विकास दर 6.6 प्रतिशत रही. इस दर के गिरकर 2019 में 6.2 प्रतिशत, 2020 में 6.1 प्रतिशत और 2021 में 6 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है. ऐसे में जहां आगामी तीन वर्षो में भारत की विकास दर बढ़ेगी, वहीं चीन की विकास दर कम होगी. विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वार से वैश्विक विकास दर में कमी आएगी और यह इस वर्ष 2.6 फीसदी तक सिमट सकती है.

विश्व बैंक की रिपोर्ट एक ऐसे समय आई है जबकि 31 मई को केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) द्वारा जारी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च में जीडीपी पिछले 5 वर्षो के निचले स्तर पर आ गई. इस तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा महज 5.8 प्रतिशत रह गया. निवेश में कमी, विनिर्माण क्षेत्न की सुस्त वृद्धि और कृषि क्षेत्न में कमजोरी से पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी 6.8 प्रतिशत रह गई. 

वित्त वर्ष 2018-19 में जीडीपी सरकार के पहले अग्रिम अनुमान 7.2 प्रतिशत से काफी कम रही. इसी तरह, दूसरे अग्रिम अनुमान में जीडीपी 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई गई थी. आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ने के साथ ही भारत का सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा फिसलकर अब चीन के पास चला गया है. सरकार ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) खंड में पैदा हुए संकट को इसके लिए जिम्मेदार बताया है. कहा गया है कि एनबीएफसी संकट जैसे अस्थायी कारकों की वजह से उपभोग पर असर पड़ा, जिससे चौथी तिमाही में विकास दर सुस्त पड़ गई.

निश्चित रूप से देश की घटी हुई विकास दर बढ़ाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए नई वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण को रणनीतिपूर्वक आगे बढ़ना होगा. चूंकि मोदी-2 सरकार के सामने सबसे पहली चुनौती अर्थव्यवस्था को तेजी देने की है, जिसकी चाल पिछले कुछ महीनों से सुस्त सी पड़ गई है, इसलिए मोदी-2 सरकार को आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिए नई रणनीति बनानी होगी. 

नई रणनीति के तहत आर्थिक वृद्धि को बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाना होगा. वैश्विक कारोबार में वृद्धि करना होगी. टैक्स के प्रति मित्नवत कानून को नई राह देनी होगी. ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवक सुनिश्चित करनी होगी. निर्यात में सुधार और विनिर्माण को आगे बढ़ाने की रणनीति बनानी होगी. भूमि एवं श्रम सुधार और डिजिटलीकरण जैसे नीतिगत प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाना होगा. ग्रामीण विकास, सड़क निर्माण, बुनियादी ढांचा विकास, आवास एवं स्मार्ट सिटी जैसी परियोजनाओं को गतिशील करना होगा. चूंकि देश की ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मुश्किलों का सामना कर रहा है और किसानों की खराब हालत भी स्पष्ट दिखाई देती है, इसलिए सरकार को कृषि तथा किसानों के कल्याण के लिए नए रणनीतिक कदम उठाने होंगे. कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) की कीमतें भी मोदी-2 सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं. इसी तरह मोदी-2 सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती अमेरिका और चीन के बीच गहराते ट्रेड वार के बीच अमेरिका के द्वारा भारत पर भी आयात शुल्क बढ़ाए जाने की आशंका से संबंधित है.

चाहे ये विभिन्न आर्थिक चुनौतियां चिंता पैदा करते हुए दिखाई दे रही हैं, लेकिन देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञों का मत है कि मोदी-2 सरकार के लिए आर्थिक चुनौतियों का सामना करना कुछ आसान इसलिए होगा, क्योंकि ऐतिहासिक चुनावी जीत के बाद मोदी-2 सरकार में समयानुकूल और साहसिक फैसले लेने की बहुत गुंजाइश है. हम आशा करें कि ऐतिहासिक जनादेश से चुनी गई मोदी-2 सरकार नई आर्थिक चुनौतियों का रणनीतिपूर्वक मुकाबला करेगी और देश को विकास और खुशहाली की डगर पर आगे बढ़ाने में कामयाब होगी.

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