अमेरिका को कृषि उत्पाद के बाजार में प्रवेश नहीं देने में ही भलाई

By प्रमोद भार्गव | Updated: March 11, 2025 06:47 IST2025-03-11T06:47:46+5:302025-03-11T06:47:53+5:30

एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 में अमेरिका का कृषि निर्यात 176 अरब डाॅलर था, जो उसके कुल व्यापारिक निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत है.

It is better not to allow America to enter the agricultural product market | अमेरिका को कृषि उत्पाद के बाजार में प्रवेश नहीं देने में ही भलाई

अमेरिका को कृषि उत्पाद के बाजार में प्रवेश नहीं देने में ही भलाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रशासन के दबाव के बावजूद भारत अमेरिका के लिए कृषि उत्पाद का बाजार खोलने के पक्ष में नहीं दिख रहा है. दरअसल भारत की 70 करोड़ से भी अधिक आबादी कृषि, दूध और मछली व अन्य समुद्री उत्पाद पर आश्रित है. इन उत्पादों से जुड़े लोग आत्मनिर्भर रहते हुए अपनी आजीविका चलाते हैं. हालांकि भारत सरकार इनकी आर्थिक स्थिति को और मजबूत बनाए रखने की दृष्टि से मुफ्त अनाज, खाद्य सब्सिडी और किसानों को छह हजार रुपए प्रतिवर्ष अनुदान के रूप में देती है.

भारत की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि और उससे जुड़े उत्पाद हैं. अब अमेरिका इस परिप्रेक्ष्य में भारत पर द्विपक्षीय बातचीत करने का दबाव बना रहा है. अमेरिका चाहता है कि कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार तो खुलें ही, उत्पादों पर शुल्क भी कम हो. यदि भारत कोई समझौता करता है तो ब्रिटेन और यूरोपीय संघ भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए दबाव बनाएंगे.

यूरोपीय संघ चीज व अन्य दुग्ध उत्पादों पर शुल्क कटौती की इच्छा जता चुका है. अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर ने भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से बातचीत में इन मुद्दों को द्विपक्षीय वार्ता में शामिल करने की बात कही है. किंतु भारत के लिए कृषि में बाहरी दखल एक संवेदनशील मसला है, क्योंकि हमारे किसान विदेशी पूंजीपतियों से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं हैं.

भारत में कृषि केवल आर्थिक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक सांस्कृतिक तरीका भी है. इसीलिए भारत के जितने भी पर्व हैं, उनका पंचांग कृषि पद्धति पर ही आधारित है. जबकि अमेरिका व यूरोपीय देश कृषि को मुनाफे का उद्योग मानते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 में अमेरिका का कृषि निर्यात 176 अरब डाॅलर था, जो उसके कुल व्यापारिक निर्यात का लगभग 10 प्रतिशत है.

बड़े पैमाने पर मशीनीकृत खेती और भारी सरकारी सब्सिडी के साथ अमेरिका और अन्य विकसित देश भारत को अपने निर्यात का विस्तार करने के लिए आकर्षक बाजार के रूप में देखते हैं. जबकि भारत अपने कृषि क्षेत्र को मध्यम से उच्च शुल्क की कल्याणकारी योजनाओं के द्वारा संरक्षित किए हुए है ताकि अपने किसानों को अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाया जा सके.

कृषि क्षेत्र को मुक्त बाजार बनाने का मतलब है कि आयात प्रतिबंधों और शुल्कों को कम करना. कृषि को बाहरी सब्सिडी वाले विदेशी आयातों के लिए खोलने का अर्थ होगा सस्ते खाद्य उत्पादों का भारत में आना. यह खुलापन भारतीय किसानों की आय और आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा.            

Web Title: It is better not to allow America to enter the agricultural product market

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