ब्लॉग: सोना-चांदी की आड़ में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ का धंधा!

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: August 21, 2023 09:35 AM2023-08-21T09:35:57+5:302023-08-21T09:36:34+5:30

साफ है कि ऋण लेते समय कुछ हेरफेर हुई। कुछ हद तक इसी में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ की भी आशंका है। पिछले कुछ सालों से केंद्र सरकार नकदी की हेराफेरी में जोरदार कार्रवाई कर रही है, जिसमें उसे हाल ही में अस्तित्व में आए ‘मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ के प्रावधानों से ताकत मिली हुई है।

india The business of 'money laundering' in the guise of gold and silver! | ब्लॉग: सोना-चांदी की आड़ में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ का धंधा!

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

महाराष्ट्र के अनेक स्थानों पर राजमल लखीचंद ज्वेलर्स की दुकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम की छापेमारी के बाद यह तय हो गया है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी तो है।

हालांकि जब ईडी के अधिकारियों ने राजमल लखीचंद ज्वेलर्स के अनेक ठिकानों पर छापा मारा तो वहां सोने का भारी भंडार होने का अंदेशा था। मगर कार्रवाई में सिर्फ 40 किलोग्राम सोना ही मिला, जबकि स्टेट बैंक से 353 करोड़ रुपए का कर्ज लेते समय 1284 किलोग्राम सोना बताया गया था।

साफ है कि ऋण लेते समय कुछ हेरफेर हुई। कुछ हद तक इसी में ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ की भी आशंका है। पिछले कुछ सालों से केंद्र सरकार नकदी की हेराफेरी में जोरदार कार्रवाई कर रही है, जिसमें उसे हाल ही में अस्तित्व में आए ‘मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ के प्रावधानों से ताकत मिली हुई है।

नए कानून के अनुसार किसी भी आभूषण दुकानदार के लिए ग्राहक से 10 लाख रुपए या उससे अधिक की नकद बिक्री या लेन-देन करने की जानकारी संबंधित विभागों को देना आवश्यक हो गया है। भले ही लेन-देन एक से अधिक बार में क्यों न किया गया हो। इससे गलत तरीके से धन कमाकर बाजार के जरिये सफेद करने वाले निशाने पर हैं।

कुछ खास तरीकों जैसे ड्रग, हथियार, अपराध या भ्रष्टाचार के जरिये कमाने वाले नए कानून के तहत सरकार की नजर में हैं। सरकार सीमावर्ती इलाकों में मादक पदार्थों के कारोबार और आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए अनेक स्तर पर मुहिम आरंभ कर चुकी है।

दरअसल गैरकानूनी रूप से कमाए पैसे को सोने में बदल देने का बहुत आसान-सा चलन है। इसके अलावा जहां धन नहीं दिखाना हो, वहां आभूषणों से काम सरल हो जाता है।

इस काम में आभूषण विक्रेताओं की भूमिका हमेशा ही शक के दायरे में रही है। ताजा मामले में राजमल लखीचंद ज्वेलर्स कोई नया नाम नहीं है और न ही उसका मामला ताजा है। उसकी पिछले साल से प्रकाश में आए मामले की जांच आरंभ थी और जिसमें छापेमारी और गहन जांच की कार्रवाई अब हुई है।

देखने में आ रहा है कि जब से नोटबंदी हुई या दो हजार रुपए का नोट बंद हुआ, तब से सोने-चांदी के प्रति सामान्य रुझान बढ़ा है. मगर गलत रास्तों से की गई कमाई को सोने-चांदी में बदलना काफी पुराना है, जिस पर कानूनी कार्रवाई नहीं होने से हर वर्ग को आसानी नजर आती है।

अब कानून के अमल में आने और शिकायतें सामने आने से कार्रवाई आरंभ हुई है। इनकी तह तक जाने से आभूषणों की आड़ में हो रहे गलत कामों पर रोक भी लगाई जा सकेगी।

फिलहाल राजमल लखीचंद ज्वेलर्स के माध्यम से कर्ज के मामले से परतें खुलना आरंभ हुई हैं लेकिन तह तक पहुंचना आसान नहीं है। बड़े कारोबार की बड़ी फेहरिस्त होती है, जिसमें सही और गलत को परखने के लिए बारीक नजर जरूरी है। ईडी की कार्रवाई की यही परीक्षा और यही अपेक्षा है।

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