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ब्लॉग: एथनॉल वाले पेट्रोल को भारत ने तय समय से दो महीने पहले कर लिया तैयार, कीमतों में हो सकती है कमी, कई और फायदे

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 10, 2023 14:07 IST

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर है. एथनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से भारत को बड़ा फायदा होगा।

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ऋषभ मिश्रा

भारत ने ऊर्जा सप्ताह 2023 में ई-20 यानी 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल को समय से दो महीने पहले ही तैयार कर लोगों के समक्ष पेश किया है. सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों के समन्वित प्रयासों से देश के 11 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के चुनिंदा पेट्रोल पंप पर 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल की खुदरा बिक्री शुरू हो गई है. 

पहले 20 प्रतिशत एथनॉल वाला पेट्रोल अप्रैल में लाने की योजना थी. उत्सर्जन में कमी के लिए जैव ईंधन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने तथा आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकार पेट्रोल में एथनॉल मिलाने के काम को तेजी से आगे बढ़ा रही है और 2025-26 तक इस आंकड़े को दोगुना करने का लक्ष्य है. पहले 2014 में पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण डेढ़ प्रतिशत तक ही सीमित था.

दरअसल भारत सरकार ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने, ईंधन के लिए आयात पर निर्भरता कम करने, विदेशी मुद्रा बचाने, पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने और घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है. 

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है जो अपनी 85 प्रतिशत से अधिक मांग को पूरा करने के लिए विदेशों से आयात पर निर्भर है. एथनॉल पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण के साथ-साथ किसानों के जीवन पर भी बेहतर प्रभाव पड़ रहा है क्योंकि यह किसानों को आय का एक और स्रोत उपलब्ध कराता है. 

एथनॉल गन्ने, गेहूं और टूटे चावल जैसे खराब हो चुके खाद्यान्न तथा कृषि अवशेषों से निकाला जाता है. इससे प्रदूषण भी कम होता है और किसानों को अलग आमदनी का एक जरिया भी मिलता है. एथनॉल मिश्रण वाले पेट्रोल के इस्तेमाल से सबसे पहले तो पेट्रोल की कीमतों में कमी आने की संभावना है. 

दूसरे, देश में उन फसलों को बढ़ावा मिलेगा जिनके जरिये एथनॉल निकाला जाता है. दरअसल एथनॉल व कच्चे तेल पर टैक्स अलग-अलग है. ऐसे में उपभोक्ता को एथनॉल पर टैक्स कम होने का लाभ मिलता दिखाई दे रहा है. 

भारत दुनिया में अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय संघ और चीन के बाद एथनॉल का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक देश है. अधिक एथनॉल सम्मिश्रण से एथनॉल की खरीद अब सालाना 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 320 करोड़ लीटर हो गई है. अब 20 प्रतिशत सम्मिश्रण होने से एथनॉल खरीद की मात्रा और बढ़ने की उम्मीद दिखाई दे रही है. 

पिछले साल तेल कंपनियों ने एथनॉल खरीद पर 21,000 करोड़ रुपए खर्च किए थे. भारत अभी अपनी कच्चे तेल संबंधी 85 फीसदी जरूरत के लिए आयात पर निर्भर है. ऐसी स्थिति में ‘बायोफ्यूल पॉलिसी’ काफी मददगार होगी जिससे आयात पर देश की निर्भरता कम होगी.

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