ब्लॉग: दुनिया के रक्षा निर्यात परिदृश्य में उभर रहा भारत
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 27, 2024 09:11 IST2024-09-27T09:11:15+5:302024-09-27T09:11:26+5:30
रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी गई। नई रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की मांग करने वाली कंपनियों को बढ़ावा दिया गया।

ब्लॉग: दुनिया के रक्षा निर्यात परिदृश्य में उभर रहा भारत
दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अपनी सुरक्षा के लिए आयात पर निर्भर नहीं रह सकता और इसीलिए सरकार आयातित सैन्य साजो-सामान पर निर्भरता कम करना चाहती है और उसने घरेलू रक्षा विनिर्माण का सहयोग करने का निर्णय लिया है। भारतीय सशस्त्र बल अब भारतीय सरजमीं पर निर्मित हथियारों और साजो-सामान का उपयोग कर रहे हैं और देश वैश्विक रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है।
वैश्विक मंचों पर भारत की छवि रक्षा के मामले में सशक्त होती जा रही है। भारत का रक्षा उत्पादन 2023-24 में मूल्य के लिहाज से 1.27 लाख करोड़ रुपए के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है और वह अब 90 से अधिक मित्र देशों को हथियार और सैन्य साजो-सामान निर्यात कर रहा है. रक्षा निर्माण के क्षेत्र में भारत को यह उपलब्धि एक खास रणनीति और कार्ययोजना की वजह से हासिल हुई है।
सरकार ने देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की शुरुआत की और अब भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है। गर्व की बात है कि भारतीय सशस्त्र बल हमारी अपनी धरती पर निर्मित हथियारों और साजो-सामान का उपयोग कर रहे हैं। भारत से जिन हथियारों और सैनिक साजो-सामान के निर्यात की बात होती है उनमें लड़ाकू विमान तेजस, ध्रुव हेलिकॉप्टर, ब्रह्मोस मिसाइल और सुखोई विमान शामिल हैं।
सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार का ध्यान घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने और विशेष रूप से चीन के साथ लगी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में सैन्य तैयारियों को मजबूत करने पर रहा है। इसके परिणाम भी अच्छे मिल रहे हैं। इस समय भारत वैश्विक स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 2029 तक पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च करने का अनुमान है।
रक्षा उत्पादन शुरू में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के अधीन था, लेकिन उसे निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के लिए खोल दिया गया। इस क्षेत्र में बड़े कदमों के तहत रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया को संशोधित किया गया। रक्षा विनिर्माण के लिए निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने पर जोर दिया गया। रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ा दी गई। नई रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की मांग करने वाली कंपनियों को बढ़ावा दिया गया।
देश में आधुनिक तकनीक लाने में सक्षम कंपनियों को प्रश्रय दिया गया। मेक इन इंडिया की वजह से भारत हथियारों के सबसे बड़े आयातक की बजाए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक उभरते हुए प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में जाना जाने लगा है, जो कि अपने लिए हथियार बनाता है और उसे बेचता भी है।