ब्लॉग: अर्थव्यवस्था पर बोझ डालता जा रहा है बढ़ता प्रदूषण
By ऋषभ मिश्रा | Published: November 25, 2023 11:38 AM2023-11-25T11:38:57+5:302023-11-25T11:42:36+5:30
सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली सहित कई शहरों में वायु की गुणवत्ता में गिरावट आने लगती है। वायु प्रदूषण को आम तौर पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के तौर पर ही देखा जाता है, लेकिन कई प्रतिष्ठित संस्थानों की रिसर्च रिपोर्ट इशारा कर रही है कि यह अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक हो सकता है।
सर्दी का मौसम आते ही दिल्ली सहित कई शहरों में वायु की गुणवत्ता में गिरावट आने लगती है। वायु प्रदूषण को आम तौर पर स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के तौर पर ही देखा जाता है, लेकिन कई प्रतिष्ठित संस्थानों की रिसर्च रिपोर्ट इशारा कर रही है कि यह अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक हो सकता है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ‘फिच’ ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक वृद्धि की दर के दुनिया की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा रहने का अनुमान लगाया है।
रेटिंग एजेंसी ने इस अवधि के लिए भारत की विकास दर 6.3 फीसदी रहने की उम्मीद जताई है। एक अन्य रेटिंग एजेंसी ‘एसएंडपी’ का भी आकलन है कि साल 2030 तक भारत 7.3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। लेकिन विकास के ये तमाम अनुमान धरे के धरे रह सकते हैं, अगर हमने प्रदूषण, खासकर वायु प्रदूषण को नियंत्रण के दायरे में नही रखा। और अब इन आशंकाओं को बल भी मिलने लगा है।
विश्व बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों ने अपनी अलग-अलग रिपोर्ट्स में आशंका जताई है कि प्रदूषण की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। विश्व बैंक के अनुसार घरेलू उत्पाद की वृद्धि में साल-दर-साल लगभग 0.56 फीसदी तक की कमी आ सकती है। वहीं ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण भारत की जीडीपी के 5.4 फीसदी के बराबर यानी 150 अरब डॉलर का आर्थिक बोझ देश पर पड़ रहा है।
गौरतलब है कि आज भारत के दिल्ली जैसे बड़े शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित स्तर का लगभग 20 गुना तक अधिक है। अगर जीडीपी की गणना में शामिल वस्तुओं एवं सेवाओं पर किसी चीज का नकारात्मक असर पड़ता है तो उससे अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रहती है। बढ़ते वायु प्रदूषण से भारत की अर्थव्यवस्था इस तरह प्रभावित होगी।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) की वायु प्रदूषण से संबंधित एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सहित विकासशील देशों में वायु प्रदूषण के कारण लोग अपनी सेहत पर अपने कुल खर्च का 7 फीसदी अधिक खर्च करते हैं। यानी जो पैसा सकारात्मक दिशा में लगना चाहिए वह नकारात्मक दिशा में लगने लगता है। वहीं ‘लैंसेट कमीशन’ के एक अध्ययन के अनुसार प्रदूषण के कारण भारत में 20 लाख से भी अधिक लोगों की असामयिक मृत्यु हो जाती है।
इन असामयिक मौतों का अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के मुताबिक प्रदूषण व ग्रीन हाउस गैसों की वजह से साल 2030 तक कृषि के उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है।