प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: शेयर डीमैट सिस्टम कितना सुरक्षित?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 5, 2019 07:17 AM2019-12-05T07:17:24+5:302019-12-05T07:17:24+5:30
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए स्टॉक ब्रोकिंग फर्म बिना ‘पावर आॅफ अटॉर्नी’ डीमैट खाता नहीं खोलते हैं.
बीएसई और एनएसई ने देश की सबसे बड़ी स्टॉक ब्रोकिंग फर्म कार्वी का ट्रेडिंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया है. आरोप है कि कार्वी ने अपने क्लाइंट्स के शेयर गिरवी रखकर अपने रियल एस्टेट बिजनेस के लिए कर्ज लिया था. शुक्र है कि समय रहते सेबी ने इन शेयरों की ओनरशिप ब्लॉक कर दी और हजारों शेयर धारक ठगे जाने से बच गए. देश में 5 हजार से ज्यादा स्टॉक ब्रोकिंग फर्म हैं.
इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता कि वह ऐसी धोखाधड़ी कर सकती हैं या कर रही हों. अपने ही ग्राहकों से यह धोखाधड़ी वैसी ही अमानत में खयानत है जैसे बैंक के लॉकर में रखे जेवर बैंक गिरवी रख दे या बेच दे. इसके साथ यह सवाल खड़ा हो गया है कि रिटेल निवेशक ब्रोकर के पास डीमैट खाता खोलकर शेयर मार्केट में सुरक्षित निवेश कैसे करे? क्या शेयर होल्डिंग का डीमैट खाता सिस्टम सेफ है?
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए स्टॉक ब्रोकिंग फर्म बिना ‘पावर आॅफ अटॉर्नी’ डीमैट खाता नहीं खोलते हैं. ‘पावर आॅफ अटॉर्नी’ से उन्हें अपने ग्राहक के निवेश पर पूरा नियंत्रण मिल जाता है, शॉर्ट टर्म के
लिए ट्रेडिंग करने वालों या मार्जिन पर ट्रेडिंग करने वालों के लिए यह व्यवस्था ठीक है, क्योंकि ब्रोकर को विशेष परिस्थितियों जैसे निवेशक सेटलमेंट के पहले भुगतान न करने पर शेयर बेचने की जरूरत पड़ सकती है. पर जो निवेशक पूरी रकम का भुगतान करके शेयर खरीदते हैं और महीनों या बरसों तक उसे होल्ड करते हैं उन्हें भी ब्रोकर को पावर आॅफ अटॉर्नी’ देनी पड़ती है. यह ‘पावर आॅफ अटॉर्नी’ निवेशक के इस भरोसे पर प्रश्न चिह्न लगाती है कि वे जब चाहे अपने निवेश को इनकैश कर लें.
इस मामले ने निवेशक और ब्रोकर के रिश्ते की बुनियाद को हिलाकर रख दिया है. इसने शेयर मार्केट में रिटेल निवेशकों की भागीदारी को भी एक नए मोड़ पर खड़ा कर दिया है. सेबी जब तक इस सिस्टम को सेफ न करे ग्राहकों को अपने डीमैट खाते की होल्डिंग्स सेंट्रल डिपॉजटरी की वेबसाइट पर चेक करते रहना चाहिए. उन्हें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि स्टॉक ब्रोकर उनकी होल्डिंग अपने पुल अकाउंट में तो नहीं रख रहा है. उनके शेयर उनके ही डीमैट खाते में जमा हो रहे हैं. सच यह है कि शेयरों को गिरवी रखकर पूंजी जुटाने की प्रक्रिया में सुधार होना चाहिए. कंपनी के प्रमोटर भी शेयर गिरवी रख कर्ज लेते हैं जिससे मार्केट में शेयर मूल्य प्रभावित होते हैं. इस प्रकरण में बैंकों ने शंकास्पद टाइटल (अस्पष्ट मालकियत) वाली सम्पदा के बदले कर्ज देने की भी चूक की है