लाइव न्यूज़ :

ग्रीन हाइड्रोजन: उम्मीद की रोशनी या हरे ईंधन का छलावा?, एक किलो ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने की कीमत 3.5 से 6 डॉलर?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 16, 2025 05:12 IST

Green hydrogen: रायटर्स की ताजा रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटिश पेट्रोलियम ने ऑस्ट्रेलिया की 55 अरब डॉलर की विशाल परियोजना को रोक दिया, फोर्टेस्क्यू मेटल्स ग्रुप ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने प्रयोग स्थगित कर दिए.

Open in App
ठळक मुद्देकई दिग्गज कंपनियां अपने प्रस्तावित प्रोजेक्टों से पीछे हटने लगी हैं.बताया गया कि उत्पादन लागत अभी भी बाजार के अनुकूल नहीं है.एक किलो ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने की कीमत 3.5 से 6 डॉलर के बीच आती है.

कुमार सिद्धार्थ

दुनिया जिस तीव्रता से जलवायु संकट की ओर बढ़ रही है, उसके बीच ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ को एक ऐसे ईंधन के रूप में देखा गया जो भविष्य की ऊर्जा-व्यवस्था को नया स्वरूप दे सकता है - ऐसा स्रोत जो न तो प्रदूषण फैलाता है, न ही सीमित भंडारों पर निर्भर है. लेकिन जैसे-जैसे योजनाएं धरातल पर आईं, यह सपना कठिन और महंगा साबित होने लगा. जो हाइड्रोजन पर्यावरण को बचाने का प्रतीक माना जा रहा था, वही अब तकनीकी जटिलताओं, भारी लागत और अनिश्चित नीतियों के बोझ तले हांफता दिख रहा है. पिछले कुछ वर्षों में यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर जिस उत्साह की लहर उठी थी, वह अब थोड़ी ठंडी पड़ गई है. कई दिग्गज कंपनियां अपने प्रस्तावित प्रोजेक्टों से पीछे हटने लगी हैं.

रायटर्स की ताजा रिपोर्ट बताती है कि ब्रिटिश पेट्रोलियम ने ऑस्ट्रेलिया की 55 अरब डॉलर की विशाल परियोजना को रोक दिया, फोर्टेस्क्यू मेटल्स ग्रुप ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने प्रयोग स्थगित कर दिए, और शेल जैसी ऊर्जा कंपनियां निवेश घटाने लगीं. इसका सबसे बड़ा कारण यही बताया गया कि उत्पादन लागत अभी भी बाजार के अनुकूल नहीं है.

ग्रीन हाइड्रोजन का सबसे बड़ा अवरोध इसकी लागत है. एक किलो ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने की कीमत 3.5 से 6 डॉलर के बीच आती है, जबकि परंपरागत ग्रे हाइड्रोजन केवल डेढ़ डॉलर प्रति किलो में उपलब्ध है. यही आर्थिक अंतर इसके विस्तार की राह में सबसे बड़ी रुकावट बना हुआ है. ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की प्रक्रिया सुनने में जितनी वैज्ञानिक लगती है, व्यवहार में उतनी ही जटिल है.

इसमें पानी को इलेक्ट्रोलाइसिस द्वारा हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित किया जाता है, और इस प्रक्रिया के लिए भारी मात्रा में बिजली चाहिए. यदि यह बिजली सौर या पवन स्रोतों से न मिले तो पूरा उद्देश्य ही अधूरा रह जाता है. इसके अलावा, प्रत्येक किलो हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए दस से तीस लीटर तक स्वच्छ जल चाहिए, जो जल-संकट झेल रहे देशों के लिए नई चुनौती है.

तैयार हाइड्रोजन का भंडारण और परिवहन भी आसान नहीं, क्योंकि यह अत्यंत हल्की और ज्वलनशील गैस है, जिसे ऊंचे दबाव या अत्यधिक ठंडे तापमान पर सुरक्षित रखना पड़ता है. इन तमाम अड़चनों के बावजूद ग्रीन हाइड्रोजन का भविष्य पूरी तरह अंधकारमय नहीं है. ग्लोबल न्यूज वायर की रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक उत्पादन लागत में 60–80% तक की कमी संभव है.

यदि यह घटकर 1–2 डॉलर प्रति किलोग्राम तक पहुंचती है तो यह बाजार में जीवाश्म ईंधनों से प्रतिस्पर्धा कर सकेगी. भारत के लिए यह चुनौती ही नहीं, अवसर भी है. यदि ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़े तो इससे न केवल ऊर्जा-आयात पर निर्भरता घटेगी बल्कि औद्योगिक क्षेत्र को भी नई गति मिलेगी. इसी लक्ष्य के तहत भारत सरकार ने 2023 में ‘राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ की शुरुआत की.

इस योजना का उद्देश्य 2030 तक पांच मिलियन टन वार्षिक उत्पादन हासिल करना और भारत को इस क्षेत्र का वैश्विक केंद्र बनाना है. देश में इस दिशा में शुरुआती प्रयोग शुरू हो चुके हैं. लेह में एनटीपीसी ने विश्व की सबसे ऊंचाई पर हाइड्रोजन बसें चलाकर इतिहास रचा है. दिल्ली और फरीदाबाद में हाइड्रोजन बसों का ट्रायल सफल रहा है.

चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में बनी हाइड्रोजन ट्रेन ने अपनी पहली परीक्षण यात्रा पूरी की है. आंध्र प्रदेश में शुरू होने वाली 35 हजार करोड़ रु. की परियोजना देश की सबसे बड़ी ग्रीन हाइड्रोजन इकाई होगी, जहां पूरी प्रक्रिया सौर और पवन ऊर्जा से संचालित होगी. ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर वैश्विक परिदृश्य फिलहाल विरोधाभासी है.

एक ओर विकसित देश निवेश घटा रहे हैं, दूसरी ओर विकासशील देश - विशेषकर भारत - इसे अवसर के रूप में देख रहे हैं.  फिर भी, कुछ बुनियादी सावधानियां बरतना अनिवार्य है.  जल उपयोग पर सख्त निगरानी होनी चाहिए, ताकि हाइड्रोजन उत्पादन नए पर्यावरण संकट का कारण न बने.

सुरक्षा मानकों का पालन सर्वोपरि हो, क्योंकि एक दुर्घटना पूरे क्षेत्र की विश्वसनीयता को प्रभावित कर सकती है. साथ ही, इलेक्ट्रोलाइजर जैसे उपकरणों का स्वदेशी निर्माण बढ़ाया जाए, ताकि तकनीकी निर्भरता कम हो और लागत नियंत्रित रहे.

टॅग्स :हरित ऊर्जाGreen Hydrogen Electrolyzer Gigafactoryऑस्ट्रेलियाअमेरिका
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

क्रिकेटAus vs ENG: इंग्लैंड 334 रन पर आउट, रूट 138 रन बनाकर रहे नाबाद

विश्वTrump Health Report: व्हाइट हाइस ने जारी किया राष्ट्रपति ट्रंप का एमआरआई स्कैन, जानें हेल्थ रिपोर्ट में क्या आया सामने

विश्वअमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए दो तीखे लाल मिर्च..!

कारोबार‘आधी भारतीय’ मेरी ‘पार्टनर’ शिवोन जिलिस?, एलन मस्क ने कहा-बच्चे का नाम नोबेल पुरस्कार विजेता सुब्रमण्यन चंद्रशेखर के नाम पर शेखर रखा

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारसवाल है कि साइबर हमला किया किसने था ?

कारोबारPetrol, Diesel Price Today: कच्चे तेल के दामों में उतार-चढ़ाव, जानें ईंधन पर इसका क्या असर; प्राइस लिस्ट यहां

कारोबारIndiGo Crisis: इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने फ्लाइट कैंसिल होने पर माफी मांगी, कहा- बताया कब स्थिति हो जाएगी सामान्य

कारोबारRBI Monetary Policy: 25 बेसिस पॉइन्ट की कटौती, लोन में सुविधा; जानें आरबीआई की MPC बैठक की मुख्य बातें

कारोबारShare Market Today: RBI के ब्याज दर कटौती से शेयर बाजार में तेजी, घरेलू शेयरों ने पकड़ी रफ्तार