विगत 31 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था में करीब चार दशक बाद पहली बार भारी गिरावट देखी गई है. अप्रैल-जून 2020 की तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की भारी बड़ी गिरावट आई है. यह गिरावट कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 50.3 फीसदी, ट्रेड, ट्रांसपोर्ट, होटल सेक्टर में 47.0 फीसदी, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 39.3 फीसदी, फायनेंशियल सर्विस सेक्टर में 5.3 फीसदी और उपयोगी सेवाओं के सेक्टर में 7.3 फीसदी रही है. कृषि ही एकमात्र ऐसा सेक्टर है, जिसमें 3.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. स्थिति यह है कि भारत में जीडीपी आंकड़ों में गिरावट अन्य जी-20 देशों की तुलना में बहुत ज्यादा है. हालांकि ब्रिटेन में जीडीपी में गिरावट 20 फीसदी के आसपास दिखाई दे रही है.
यदि हम महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी देश के राजकोषीय घाटे के नवीनतम आंकड़ों को भी देखें तो देश की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट की तस्वीर दिखाई देती है. स्थिति यह है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा लॉकडाउन के कारण कमजोर राजस्व संग्रह के चलते वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती चार महीनों यानी अप्रैल-जुलाई में ही पूरे साल के बजट अनुमान को पार कर गया है.
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जुलाई 2020 के चार महीनों के दौरान केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा इसके वार्षिक अनुमान की तुलना में करीब 103 फीसदी यानी करीब 821349 करोड़ रु. तक पहुंच गया है. एक साल पहले 2019 में इन्हीं चार महीनों की अवधि में यह वार्षिक बजट अनुमान का 77.8 फीसदी ही रहा था. ज्ञातव्य है कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रु. यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
गौरतलब है कि अप्रैल से जून 2020 में कोविड-19 से पूरी दुनिया बुरी तरह प्रभावित रही है. यही वह समय था जब भारत में भी केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस महामारी का प्रसार रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने देश भर की आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित किया. यही कारण है कि अप्रैल से जून 2020 तिमाही में कृषि को छोड़कर हर क्षेत्र का आर्थिक प्रदर्शन कोविड-19 के बाहरी झटकों की वजह से प्रभावित हुआ है.
निसंदेह जून 2020 के बाद अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलने का सकारात्मक असर पड़ा है. अब आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहने की संभावनाएं हैं. स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि भारत में अनलॉक की घोषणा के बाद संतोषप्रद आर्थिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं. लॉकडाउन के महीनों की तुलना में अब प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ रहा है.
उल्लेखनीय है कि 31 अगस्त को वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर के आंकड़ों में बड़ी गिरावट सामने आने के एक दिन बाद एक सितंबर को अर्थव्यवस्था में बेहतरी दिखाने वाले आंकड़े भी सामने आ गए हैं. स्थिति यह है कि अगस्त 2020 में ज्यादातर कार कंपनियों की बिक्री ने पिछले साल 2019 में इसी महीने में हुई बिक्री को पीछे छोड़ दिया है. बढ़ती हुई रेलवे माल ढुलाई आर्थिक गतिविधियों की बेहतर संकेतक है. साथ ही बिजली की खपत में भी अच्छा सुधार दिखाई दे रहा है.
निश्चित रूप से सरकार के द्वारा लोगों की आमदनी में वृद्धि एवं आर्थिक विकास हेतु कारोबार एवं रोजगार के सतत सुधार के लिए सक्षम माहौल भी बनाना होगा. यद्यपि कृषि क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन संतोषप्रद है लेकिन विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में अधिक से अधिक रोजगार अवसर तैयार करने होंगे ताकि सात फीसदी विकास दर हासिल करने की ओर आगे बढ़ा जा सके. देश के आम आदमी की आमदनी बढ़ाने के लिए रोजगार परिदृश्य को सुधारने के अधिकतम प्रयत्न जरूरी हैं.