Driver Traffic Rules: यातायात नियमों को लेकर बरती जा रही लापरवाही बेहद चिंताजनक, चालान काटना ही नहीं, सख्ती से वसूलना भी महत्वपूर्ण
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: March 15, 2024 11:12 AM2024-03-15T11:12:01+5:302024-03-15T11:12:59+5:30
Driver Traffic Rules: यातायात नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ यातायात पुलिस द्वारा ई-चालान की कार्रवाई की जाती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में मोटर चालकों द्वारा अपने ई-चालान का भुगतान ही नहीं किया जा रहा है.
Driver Traffic Rules: वाहन चालकों द्वारा यातायात नियमों को लेकर बरती जा रही लापरवाही निश्चित रूप से बेहद चिंताजनक है. जैसा कि नागपुर के पुलिस आयुक्त डॉ. रवींद्रकुमार सिंगल ने नागपुर में मंगलवार को लोकमत भवन में लोकमत समूह से बात करते हुए बताया, अकेले महाराष्ट्र में ही 4200 करोड़ से ज्यादा के चालान पेंडिंग पड़े हैं. यातायात नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ यातायात पुलिस द्वारा ई-चालान की कार्रवाई की जाती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में मोटर चालकों द्वारा अपने ई-चालान का भुगतान ही नहीं किया जा रहा है.
अधिकांश मोटर चालक शायद यही मानकर चलते हैं कि लोक अदालत का नोटिस आएगा तो सेटलमेंट कर लेंगे! हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि अनेक वाहन चालकों को अपने वाहन का ई-चालान होने का पता ही तब चल पाता है जब उनके पास अदालत का नोटिस आता है. इसलिए इस बात की पुख्ता व्यवस्था की जानी चाहिए कि वाहन चालकों को उनके ई-चालान का मैसेज अनिवार्य रूप से मिले.
वैसे वाहन चालक परिवहन मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर भी अपने ई-चालान का पता लगा सकते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि अधिकांश लोगों में इतनी जागरूकता ही नहीं है कि वे इतनी जहमत उठाएं. भारी संख्या में लंबित ई-चालान को संभालना भी यातायात पुलिस के लिए कम सिरदर्द नहीं होता.
शायद यह भी एक बड़ा कारण हो सकता है कि पिछले साल अक्तूबर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में 17 लाख से ज्यादा लंबित ट्रैफिक चालान माफ करने का फैसला किया था. यही नहीं बल्कि इसके पहले पहले भी राज्य सरकार ने दिसंबर 2016 से दिसंबर 2021 के बीच जारी किए गए करीब 30000 चालान रद्द कर दिए थे.
लेकिन चालान रद्द करना समस्या का कोई हल नहीं है क्योंकि इससे जो वाहन चालक पहले चालान भर चुके होते हैं, वे अपने आपको ठगा हुआ महसूस करते हैं. इसके अलावा भविष्य में जिन वाहन चालकों पर चालान की कार्रवाई होती है, उनमें से कई आगे रद्द की उम्मीद में भी चालान भरने से कतराते हैं.
ई-चालान की शुरुआत होने पर उम्मीद जताई जा रही थी कि इससे पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा और लोग यातायात पुलिस की मौजूदगी के बिना भी यातायात नियमों का पालन करेंगे, क्योंकि सड़कों पर लगे कैमरों के जरिये यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर वाहनों चालकों को ई-चालान भेजे जाने का डर रहेगा.
लेकिन नागरिकों की लापरवाही के कारण इतनी अच्छी योजना पूरी तरह से कारगर नहीं हो पा रही है. नागपुर के सीपी सिंगल का कहना बिल्कुल सही है कि नागरिकों को खुद सजग होकर यातायात नियमों का पालन करना चाहिए. आखिर सड़क दुर्घटना में जो घायल होता है या जिसकी मौत होती है वह कोई आम नागरिक ही तो होता है! इसके लिए लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए.
लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोगों का विवेक इतना कमजोर होता है कि वे दंड की भाषा ही समझते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराए जाने की चुस्त व्यवस्था भी करनी होगी, क्योंकि लापरवाह लोगों की लापरवाही से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में घायल कोई और होता है या किसी की जान जाती है.