जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः अनेक कारणों से बढ़ रही सोने की कीमत
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: July 15, 2019 07:14 IST2019-07-15T07:14:15+5:302019-07-15T07:14:15+5:30
इन दिनों पूरी दुनिया में सोने में तूफानी तेजी का परिदृश्य दिखाई दे रहा है और कीमतें छह साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं.

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः अनेक कारणों से बढ़ रही सोने की कीमत
इन दिनों पूरी दुनिया में सोने में तूफानी तेजी का परिदृश्य दिखाई दे रहा है और कीमतें छह साल की ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. सोने की कीमतें बढ़ने के चार प्रमुख कारण दिखाई दे रहे हैं. एक, 5 जुलाई को घोषित वर्ष 2019-20 के बजट में सोने पर सीमा शुल्क 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया है. दो, दुनिया के केंद्रीय बैंकों के द्वारा डॉलर की तुलना में सोने को महत्व दिया जा रहा है और वे सोने की खरीदी बढ़ा रहे हैं. तीन, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के कारण वैश्विक मंदी का डर सता रहा है. ऐसे में निवेशक सोने की खरीदी को उपयुक्त मान रहे हैं तथा चार, अमेरिका में ब्याज दरें घटने की संभावना से डॉलर कमजोर हुआ है और इससे सोने की चमक तेज हुई है.
पूरी दुनिया के अधिकांश केंद्रीय बैंकों द्वारा की जा रही सोने की अधिक खरीदी के कारण सोने की कीमतें सर्वोच्च ऊंचाई पर पहुंच गई हैं. जून 2015 में सोने की जो कीमत करीब 1070 डॉलर प्रति औंस थी वह जुलाई 2019 में करीब 1400 डॉलर प्रति औंस के पार हो गई है. वस्तुत: पिछले कई वर्षो में सोने से दूरी बनाए रखने वाले केंद्रीय बैंकों के लिए सोना एक बार फिर से महत्वपूर्ण हो गया है. रूस, चीन और भारत सहित दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने पिछले कुछ महीनों में काफी मात्ना में सोना खरीदा है. 613 टन सोने के भंडार के साथ भारतीय रिजर्व बैंक इस मामले में 10वां सबसे बड़ा सोने के भंडार वाला केंद्रीय बैंक है.
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि सोने की कीमतों में नई तेजी की जड़ें दुनिया के कई विकसित देशों के द्वारा डॉलर के नए विकल्प की तलाश में आगे बढ़ने में भी हैं. चीन अमेरिकी डॉलर की तुलना में सोने की खरीदी पर अधिक जोर दे रहा है. कच्चे तेल के भंडार रखने वाले कई खाड़ी देश भी सोना खरीद रहे हैं. ऐसे परिदृश्य में निकट भविष्य में सोना मजबूत बना रह सकता है. चीन तथा रूस के साथ-साथ अमेरिका का विरोध करने वाले देशों के द्वारा डॉलर की धार को मंद करना भी सोने की कीमतों की तेजी की एक वजह है. ये देश डॉलर की तुलना में सोने को महत्व दे रहे हैं.
भारत में भी सोने की बढ़ती मांग का परिदृश्य बता रहा है कि एक बार फिर भारत के निवेशक बड़ी संख्या में सोने की खरीदी की तरफ और अधिक आकर्षित हो रहे हैं. सोने की कुल वैश्विक मांग का एक तिहाई भारत में है. भारत में सोने की 90 फीसदी मांग आभूषणों या भगवान को चढ़ाने के लिए होती है. बड़ी संख्या में लोग मंदिरों में सोना धार्मिक आस्था की वजह से चढ़ाते हैं. इसके अलावा सोने के आभूषण पहनना हमारी संस्कृति का अंग भी है.
हम आशा करें कि सरकार सोने की बढ़ती हुई खरीदारी के बीच देश के उपभोक्ताओं को उनकी बचत को सोने की खरीदी की तुलना में स्वर्ण बॉन्ड के विकल्प की ओर प्रवृत्त करने हेतु प्रयास करेगी. स्वर्ण बॉन्ड में निवेश पर सरकार ने कई तरह की रियायतों की घोषणा की है, जिससे इसमें निवेश ज्यादा फायदेमंद हो सकता है.