अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बड़े और मजबूत सरकारी बैंक होंगे लाभप्रद 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 4, 2019 08:01 AM2019-04-04T08:01:05+5:302019-04-04T08:01:05+5:30

बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय के बाद देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ इसे बड़े एवं मजबूत सरकारी बैंक के रूप में एक लाभप्रद कदम बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं

Bank of Baroda, Dena Bank, Vijaya Bank merger of benefits | अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बड़े और मजबूत सरकारी बैंक होंगे लाभप्रद 

अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बड़े और मजबूत सरकारी बैंक होंगे लाभप्रद 

एक अप्रैल को बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय के बाद भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा दूसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है.  इसके साथ ही 1 अप्रैल से देना बैंक और विजया बैंक की सभी शाखाएं बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा के रूप में कार्य करने लग गई हैं. अब इस एकीकरण के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा के पास 9500 से अधिक शाखाएं, 13400 से अधिक एटीएम, 85000 से अधिक कर्मचारी हो गए हैं. इसी एकीकरण के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा 120 मिलियन से अधिक ग्राहकों को सेवाएं प्रदान करेगा. बैंक ऑफ बड़ौदा के पास 15 लाख करोड़ से अधिक मिश्रित कारोबार होगा. 

गौरतलब है कि बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक के विलय के बाद देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ इसे बड़े एवं मजबूत सरकारी बैंक के रूप में एक लाभप्रद कदम बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं. पिछले दिनों वैश्विक  रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत में सरकार के द्वारा छोटे-छोटे बैंकों के एकीकरण से बड़े और मजबूत बैंक बनाया जाना देश के बैंकिंग परिदृश्य की जरूरत है. 

 वस्तुत: छोटे-छोटे सरकारी बैंकों का एकीकरण तथा सरकारी बैंकों में पुनर्पूजीकरण का कदम एक बड़ा बैंकिंग सुधार है. इससे सरकारी बैंकों को दोबारा सही तरीके से काम करने का अच्छा मौका मिल रहा है. इससे बैंकिंग व्यवस्था मजबूत बन रही है. पिछले दिनों अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और इसमें नई जान फूंकने के लिए बैंकिंग क्षेत्र की हालत को पर्याप्त पुनर्पूजीकरण से बेहतर करना सबसे पहली जरूरत है. इसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण दूसरी जरूरत है. 

आईएमएफ ने कहा है कि भारत को इसके लिए गैर-निष्पादित आस्तियों के समाधान को बढ़ाना होगा तथा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण वसूली प्रणाली को बेहतर बनाना होगा. सरकारी बैंकों के द्वारा एक ओर मुद्रा लोन, एजुकेशन लोन और किसान क्रे डिट कार्ड के जरिए बड़े पैमाने पर कर्ज बांटा जा रहा है. वही दूसरी बैंकरों को लगातार पुराने लोन की रिकवरी भी करनी पड़ रही है. परिणामस्वरूप बैंक ऑफिसर अपने मूल काम यानी कोर बैंकिंग के लिए बहुत कम समय दे पा रहे हैं. 2014 से 2017 के बीच दुनिया में 51 करोड़ खाते खुले. जिसमें से 26 करोड़ खाते केवल भारत में जन-धन योजना के अंतर्गत हैं. भारत में इस अवधि में 26 हजार नई बैंक शाखाएं भी खुली हैं. ऐसे में भारत की नई बैंकिंग जिम्मेदारी बैंकों के निजीकरण से संभव नहीं है. अतएव ऐसी जिम्मेदारी मजबूत सरकारी बैंक के द्वारा ही निभाई जा सकती है. 

नि:संदेह सार्वजनिक क्षेत्र के छोटे और कमजोर बैंकों का एकीकरण देश के नए बैंकिंग दौर की जरूरत है. इस समय जहां देश के बैंकिंग क्षेत्र में नए बड़े आकार के बैंकों की जरूरत है वहीं जरूरी है कि सरकार बैंकों के पुनर्पूजीकरण के कार्य पर उपयुक्त निगरानी और नियंत्रण रखे.

Web Title: Bank of Baroda, Dena Bank, Vijaya Bank merger of benefits

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