अश्विनी महाजन का ब्लॉग: हाउसिंग क्षेत्र को मिल रही है नई जान
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 10, 2021 01:13 PM2021-03-10T13:13:54+5:302021-03-10T13:18:42+5:30
केंद्र सरकार ने रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्टों को वापस पटरी पर लाने के लिए ‘स्पेशल विंडो फॉर एफोर्डेबल एंड मिड इनकम हाउसिंग’ (स्वामीएच) योजना शुरू किया है.
पिछले लंबे समय से भारत का रियल इस्टेट क्षेत्र भारी संकट से गुजर रहा है. जहां एक ओर पूर्व में तैयार आवास खरीददार न होने के कारण बिना बिके खाली पड़े हैं, तो दूसरी ओर हजारों की संख्या में हाउसिंग प्रोजेक्ट बिल्डरों के पास धनाभाव के कारण अधूरे पड़े हैं.
सबसे कष्ट का विषय यह है कि कुछ समय पूर्व तक इस समस्या का कोई कारगर उपाय भी दिखाई नहीं दे रहा था. ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा इन रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्टों को दुबारा शुरू करवाने के कई प्रयास हो रहे हैं.
सरकार ने रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्टों को वापस पटरी पर लाने हेतु एक अत्यंत सुविचारित योजना के तहत प्रयास प्रारंभ किए. इस योजना का नाम है ‘स्पेशल विंडो फॉर एफोर्डेबल एंड मिड इनकम हाउसिंग’ (स्वामीएच).
इस योजना के तहत 25 हजार करोड़ रुपए का एक निवेश फंड स्थापित किया गया, जिसमें ‘रेरा’ में रजिस्टर्ड सस्ते आवासों एवं मध्यम आयवर्ग की आवासीय परियोजनाओं, जो धन के अभाव में रुकी हुई थीं, उसको पूरा करने का प्रावधान रखा गया.
यह फंड सिक्योरिटी एवं एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी ‘सेबी’ के साथ रजिस्टर्ड किया गया है. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कैप वेंचर्स को इसका संचालक बनया गया है, जो एसबीआई कैप्टिल मार्केट्स के अंतर्गत आती है और जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के स्वामित्व में है. इस फंड को भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के द्वारा प्रायोजित किया गया है.
अभी तक एक लाख से ज्यादा हाउसिंग इकाइयों को पूर्ण करने के उद्देश्य से 165 परियोजनाओं को इस फंड के तहत अनुमति दी जा चुकी है. इनमें से 55 प्रोजेक्टों को अंतिम अनुमति भी मिल गई है. मार्च 2022 तक 6 हजार हाउसिंग इकाइयों को पूरा करने की तैयारी चल रही है.
‘स्वामीएच’ का उद्देश्य 1500 रूके हुए हाउसिंग प्रोजेक्टों को मदद देने का है, इसमें वो प्रोजेक्ट भी शामिल हैं जिन्हें नॉन परफॉरमिंग एस्सेट (एनपीए) घोषित किया जा चुका है अथवा जिन पर दिवालिया होने की कार्रवाई भी चल रही है. इस फंड के 14 निवेशक हैं, जिसमें 50 प्रतिशत भागीदारी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की है और एलआईसी और स्टेट बैंक की 10-10 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
अनुमान है कि देश में कुल 4.5 लाख आवासीय इकाइयों वाले 1600 प्रोजेक्ट रूके हुए हैं, जिनमें से अधिकांश मुंबई मेट्रोपोलिटन रिजन (41 प्रतिशत) और एनसीआर (24 प्रतिशत) के हैं.
इस योजना के पूर्ण होने पर यदि 4.5 लाख रुकी हुई आवासीय इकाइयों को पूर्ण करने में सफलता मिलती है तो अनुमानत: 2 लाख करोड़ रुपए के मृत निवेश पुनर्जीवित कर, अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाना संभव हो सकेगा.