शेक्सपियर का बेटा, देवकीनंदन खत्री और ‘अमन’ के बर्ट्रेंड रसेल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 25, 2025 07:56 IST2025-11-25T07:56:24+5:302025-11-25T07:56:30+5:30

यह दिलचस्प है कि ‘चंद्रकांता’ के बेदम-कुरूप टीवी रूपांतरण ने देवकीनंदन खत्री की कुछ खोजबीन हुई हो, पर उनकी अपनी जिंदगी भी किसी रोमांचक फिल्म से कम दिलचस्प नहीं रही है.

Shakespeare son Devkinandan Khatri and Bertrand Russell of Aman | शेक्सपियर का बेटा, देवकीनंदन खत्री और ‘अमन’ के बर्ट्रेंड रसेल

शेक्सपियर का बेटा, देवकीनंदन खत्री और ‘अमन’ के बर्ट्रेंड रसेल

सुनील सोनी

2018 में जब टि्वटर पर जब हवा उड़ी कि अमेरिकी अभिनेत्री एनी हैथवे के पति एडम शलमैन की सूरत विलियम शेक्सपीयर से कितनी मिलती-जुलती है, तो लोगों ने ‘द टेलीग्राफ’ में छपी उस गप को भी सही मान लिया कि एनी का नाम शेक्सपियर की पत्नी के नाम पर रखा जाना मामूली संयोग नहीं था. चूंकि एनी के पुरखे आयरिश-अंग्रेज मूल के हैं, तो यह गप भी चल निकली कि उनकी उम्र बढ़ती नहीं दिखती, जो कोई राज है.

बहरहाल, एनी अगले साल क्रिस्टोफर नोलन की ‘द ओडिसी’ में ओडिसिस की बहादुर पत्नी पैनेलोपी के किरदार में उतनी ही गरिमामय दिखेंगी. लेकिन शेक्सपियर की पत्नी एनी हैथवे के पुनर्जन्म की कितनी कहानियां और कल्पनाएं यूरोपीय विश्व में बनती-बिगड़ती रहती हैं. मैरी ओ’फैरेल ने 5 साल पहले शेक्सपियर की जुड़वां संतानों में से एक हैमनेट के इर्दगिर्द उपन्यास रचा, तो हाथोंहाथ लिया गया.

उपन्यास में कल्पना है कि निपुण वैद्य और ज्योतिषी मां भी उसे मृत्यु से न बचा पाई और 11 साल के हैमनेट की अकाल मौत ने शेक्सपीयर को पीड़ा से भर दिया कि उन्होंने विश्वसाहित्य की सर्वश्रेष्ठ शोकांतिका में से एक ‘हैमलेट’ लिखा. इस शोकांतिका को क्लो झाओ ने बड़ी काबिलियत से रुपहले परदे पर उतारा है और सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फिल्म के अगले ऑस्कर के लिए वह ब्रिटेन का नामांकन हो सकती है.

शेक्सपियर के परिजनों के बारे में बस इतना ही सच है कि 18 साल के शेक्सपियर ने 1582 में आठ साल बड़ी एग्नेस से गर्भावस्था के दौरान विवाह कर लिया था और उनकी पहली संतान सुजाना थीं. तीन साल बाद हैमनेट और जूडिथ जन्मे. 1596 में हैमनेट की संभवत: प्लेग से मौत हो गई और अंत्येष्टि में पिता इसलिए शामिल नहीं हो पाए कि वे मीलों दूर रंगमंडली के साथ किसी नाटक का मंचन कर रहे थे और उन तक देर से खबर पहुंची. मैरी ओ’फैरेल ने यह उपन्यास लंबे अनुसंधान के बाद लिखा है और तमाम संभावनाओं को खोजने के लिए दस्तावेज खंगाले हैं. उनका क्लो झाओ के साथ पटकथा लिखना भी रोचकता बरकरार रखते हुए फिल्म को भरोसेमंद बनाना है, जो जगद्गुरु साहित्यकार की छवि धुंधलीे न करे, न ही छिछली.  

नंदिता दास ने 2018 में ‘मंटो’ बनाई, तो विवाद से घिरे रहनेवाले बेहद मशहूर साहित्यकार सआदत हसन मंटो पर वर्षों के शोध से परदे तक पहुंचे सफर को ‘मंटो एंड आई’ में बयान किया. यह मंटो की जीवनी नहीं है, पर उन चार सालों की कहानी है, जिनकी सबसे ज्यादा चर्चा रही है. कोई शक नहीं कि हिंदुस्तान में ऐसे तमाम साहित्यकार रहे हैं, जिनकी जिंदगी की कहानी ऐसी रही है कि उन पर फिल्म बन जाए.

हिंदी फिल्मजगत का साहित्यकारों से यूं घोर नाता रहा है, पर उनकी जीवनी पर फिल्म बनाने का जोखिम या धीरज शायद ही किसी में हो. कोई नहीं सोचता कि तेरहवीं सदी के चंद बरदाई के जीवन में झांकें या सोलहवीं सदी के मलिक मोहम्मद जायसी की जिंदगी में.

सिर्फ हिंदी या उनकी बोलियों के नहीं, तमाम भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों की जिंदगी की कहानी में इतने मसाले हैं कि बॉलीवुड कूटने में कमपड़ जाए.   कथाकार शैलेश मटियानी इसकी बानगी हैं. कोई गिनाने को कहेगा, तो प्रेमचंद, ख्वाजा अहमद अब्बास, अमृतलाल नागर, कैफी आजमी तक तमाम नाम हैं, जिनका हिंदी सिनेमा में योगदान है, पर उन पर कोई सिनेमा नहीं बना.

यह दिलचस्प है कि ‘चंद्रकांता’ के बेदम-कुरूप टीवी रूपांतरण ने देवकीनंदन खत्री की कुछ खोजबीन हुई हो, पर उनकी अपनी जिंदगी भी किसी रोमांचक फिल्म से कम दिलचस्प नहीं रही है. बॉलीवुड में यूं जोखिम लेनेवाले कम नहीं रहे हैं, जैसे फणीश्वरनाथ रेणु की ‘मारे गए गुलफाम उर्फ तीसरी कसम’ पर बनी अद्वितीय ‘तीसरी कसम’ नेे शैलेंद्र की जान ही ले ली.

ऐसा ही जोखिम जुबली कुमार नाम से प्रख्यात फिल्मी सितारे राजेंद्र कुमार ने लिया था, जब उन्होंने 1967 में युद्धविरोधी फिल्म ‘अमन’ बनाई. ऐन पाकिस्तान से युद्ध के बाद आई यह फिल्म देशभक्ति या राष्ट्रवाद के ज्वार के चलते भले ही पिट गई, पर खुद राजेंद्र कुमार ने लंदन जाकर मशहूर गणितज्ञ-दार्शनिक बर्ट्रेंड रसेल का छोटा-सा इंटरव्यू किया था, जिसे फिल्म में दिखाया गया था. यह अनोखा वाकया था, क्योंकि रसेल तब 95 साल के और बीमार थे, परंतु उन्होंने छह घंटों तक शूटिंग करके युद्धविरोधी विचार के प्रति प्रतिबद्धता जताई थी.

Web Title: Shakespeare son Devkinandan Khatri and Bertrand Russell of Aman

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