Blog: आखिर 'सैराट' या 'धड़क' जैसी फिल्मों की क्या जरुरत है ?

By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: July 24, 2018 10:45 AM2018-07-24T10:45:41+5:302018-07-24T10:45:41+5:30

कल मैंने भी जबरदस्त कमाई करने वाली फिल्म धड़क देख ली। फिल्म में ईशांन खट्ट और जाह्नवी कपूर मुख्य किरदार में थे। अब दोनों ही कलाकारों के खून में ही अभिनय तो अपनी अपनी जगह दोनों ने   अच्छा काम किया है।

Dhadak movie Or Sairat: Do we really need to release these type of movies | Blog: आखिर 'सैराट' या 'धड़क' जैसी फिल्मों की क्या जरुरत है ?

Blog: आखिर 'सैराट' या 'धड़क' जैसी फिल्मों की क्या जरुरत है ?

कल मैंने भी जबरदस्त कमाई करने वाली फिल्म धड़क देख ली। फिल्म में ईशांन खट्ट और जाह्नवी कपूर मुख्य किरदार में थे। अब दोनों ही कलाकारों के खून में ही अभिनय तो अपनी अपनी जगह दोनों ने   अच्छा काम किया है। अब बात फिल्म की करूं तो मैं थोड़ा निराश हुई शायद इसका कारण था कि पहले से मराठी फिल्म सैराट देख रखी थी। 

एक बात साफ समझ गई हूं अगर एक अच्छी फिल्म का रीमेक पर्दे पर आता है तो कभी नहीं देखने जाना चाहिए वरना फिल्म के साथ जो ऐसी तैयसी होती है बड़ा दुख देती है। फिल्म  का लास्ट देखने के बाद वही, सवाल मन में आया जो सैराट के देखने के बाद आया था कि क्या सैराट और धड़क जैसी फिल्मों की आज जरुरत है। एक तरफ हम कहते हैं वक्त बदल गया है हमको पुरानी रूढ़ियों वाली सोच से बाहर आना चाहिए। शादी के लिए जाति धर्म को नहीं देखा जाना चाहिए। वहीं, दूसरी तरफ ऑनरकिलिंग को पेश करती हुई इस तरह की फिल्मों को पेश किया जाना क्या है। 

मेरी तो समझ के परे है। मुझे ऐसा लगता है कि एक निर्देशक निर्माता अगर कोई फिल्म बना रहा है और कहानी नहीं बची हैं तो कम से कम उन चीजों को तो ना पेश किया जाए जो समाज पर गलत प्रभाव डालती हैं। ऑनरकिलिंग समाज के लिए गलत धारण पैदा करना वाली चीज है ऐसे में जब फिल्मों में ही ये सब दिखाया जाएगा तो फिर हर कैसे कह सकते हैं कि फिल्मों में अच्छी चीजें भी दिखाईं जाती हैं। जहां आज भी लव मैरेज या इंटरकास्ट जैसी शादियों को समाज का कुछ वर्ग स्वीकार नहीं कर पा रहा है। 

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वहीं ऑनरकिलिंग मेरी समझ से गलत है। प्रेम कहानी और अंत में एक दूसरे के लिए जान दे देनी वाली फिल्में हमेशा बनीं लेकिन वो फिल्में एक मैसेज देती थीं आप सोच बदलो प्यार को नहीं। लेकिन धड़क या सैराट को देखकर लगा प्यार बदलो हम सोच नहीं बदलेंगे। मुझे बड़ा दुख होता है आज की सदी में इस तरह की फिल्में क्यों बनाईं जा रहीं हैं। 

एक ये ही विषय क्यों ना जाने इस तरह के कितने विषय हैं जो कुरीतियों को बढ़ावा देते हैं उन पर तेजी से फिल्में और सीरियल्स बन रहे हैं। माना की जो पेश किया जा रहा है वो मनोरंजन की दृष्टि से केवल देखा जाना चाहिए लेकिन हमारा देश बहुत बड़ा है जहां करोड़ों लोग रहते हैं इनमें कुछ लोग ऐसे भी  हैं जो आप भी फिल्मों या सीरियल्स से गलत चीजें जल्दी लेते हैं इसका रूप क्राइम में देखता जाता है। खैर फिल्म में अभिनय तो सराहा जा सकता है लेकिन ऐसी फिल्म को नहीं जो किसी गलत चीज को पेश करे। उम्मीद तो फिर से यही कि निर्माता निर्देश अपनी जेबें भरने के लिए इस तरह की फिल्मों से दूर रहेंगे।

Web Title: Dhadak movie Or Sairat: Do we really need to release these type of movies

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