Lok Sabha Elections 2024: भाकपा-माले ने आरा और सीवान और भाकपा बेगूसराय, बांका और मधुबनी में तैयारी शुरू की, सीट को लेकर महागठबंधन में तकरार, जानें समीकरण
By एस पी सिन्हा | Published: December 14, 2023 03:56 PM2023-12-14T15:56:12+5:302023-12-14T15:57:12+5:30
Lok Sabha Elections 2024: विपक्षी महागठंधन में शामिल वाम दलों ने अपनी पसंदीदा सीटों को किसी भी हाल में हासिल करना चाहती हैं।
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों के द्वारा कमर कसा जाने लगा है। सभी दलों ने अपनी सियासी गतिविधियों को तेज कर दिया है। इसी कड़ी में वाम दलों ने सीटों के बंटवारे के बिना ही अपनी तैयारी तेज करते हुए सीटों पर दावेदारी शुरू कर दी है। विपक्षी महागठंधन में शामिल वाम दलों ने अपनी पसंदीदा सीटों को किसी भी हाल में हासिल करना चाहती हैं।
ऐसे में महागठबंधन में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसका कारण यह है कि सभी की अपनी-अपनी दावेदारी है। विपक्षी गठबंधन में शामिल माकपा फिलहाल सुरक्षित सीट की खोज में है। पार्टी का मानना है कि पूर्व में नवादा एवं भागलपुर से जीत मिली है और समस्तीपुर जिला के उजियारपुर में पिछले चुनाव में तीसरा स्थान मिला था।
ऐसे में इन्हीं में से किसी एक पर चुनाव लड़ा जा सकता है। वहीं, भाकपा-माले ने दो सीटों आरा और सीवान में अपनी तैयारी शुरू कर दी है। जबकि भाकपा बेगूसराय, बांका और मधुबनी में अपने पुराने और जिताऊ जनाधार की खोज में जुट गई है। भाकपा के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने बताया कि मधुबनी में छह और बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में दो बार हमारे पार्टी के उम्मीदवारों की जीत हो चुकी है।
इन सीटों पर कई बार हमारे उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे हैं। बांका के दो चुनावों में भाकपा को सम्मानजक वोट मिला था। इसलिए इन सीटों पर हमारे दावे का तार्किक आधार है। बता दें कि भाकपा-माले ने आरा और सीवान लोकसभा क्षेत्रों में तैयारी कर रही है। आरा में 1989 में उसकी जीत हुई थी।
उस समय इंडियन पीपुल्स फ्रंट के नाम से भाकपा- माले चुनाव लड़ती थी। 2019 में आरा में माले उम्मीदवार राजू यादव को चार लाख 19 हजार वोट मिला था। इसी तरह सीवान भी उसका आधार क्षेत्र रहा है। सीवान में माले की कभी जीत नहीं हुई। लेकिन, तीन चुनावों में उसके उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे हैं।
भाकपा-माले और राजद के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव में भी समझौता हुआ था। भाकपा स्वतंत्र लड़ी थी। भाकपा का जदयू के साथ 2014 में चुनावी समझौता हुआ था। जदयू ने उसके लिए बेगूसराय और बांका की सीट छोड़ दी थी।