बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को लेकर मिशन मोड में सरकार, अगस्त के अंत तक काम पूरा करने को कहा
By अनिल शर्मा | Published: August 11, 2023 02:47 PM2023-08-11T14:47:47+5:302023-08-11T14:51:30+5:30
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि “हम बहुत खुश हैं कि अदालत ने सर्वेक्षण को बरकरार रखा। लेकिन एक याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट चला गया है। भले ही अब थोड़े काम बचे हैं, हम कोई बाधा नहीं चाहते हैं और जल्द ही सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करेंगे।
पटनाः बिहार सरकार जाति-आधारित सर्वेक्षण को लेकर मिशन मोड में आ चुकी है। उसने सरकारी मशीनरी को सर्वेक्षण अगस्त के अंत तक पूरा कर लेने को कहा है। दरअसल, राज्य सरकार ने अब सरकारी स्कूल के शिक्षकों को ड्यूटी के घंटों के बाद एकत्रित डेटा संकलित करने के निर्देश दिया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, शिक्षा, केके पाठक ने सभी जिला मजिस्ट्रेटों को लिखे अपने पत्र में कहा है, “जाति सर्वेक्षण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और अब डेटा एंट्री का काम बाकी है। शिक्षकों के लिए डाटा एंट्री का कार्य ड्यूटी समय के बाद करना उचित होगा। डेटा प्रविष्टि के लिए शिक्षकों की सेवाएं लेने का अनुरोध किया जाता है। ”
गौरतलब है कि जनवरी में शुरू हुए दो चरण के सर्वेक्षण पर इस मई में पटना उच्च न्यायालय द्वारा एक अंतरिम आदेश के माध्यम से रोक लगाने से पहले, लगभग 60 प्रतिशत काम पूरा हो चुका था।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि “हम बहुत खुश हैं कि अदालत ने सर्वेक्षण को बरकरार रखा। लेकिन एक याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट चला गया है। भले ही अब थोड़े काम बचे हैं, हम कोई बाधा नहीं चाहते हैं और जल्द ही सर्वेक्षण रिपोर्ट तैयार करेंगे।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार के पास विशेष सत्र या शीतकालीन सत्र के माध्यम से सर्वेक्षण रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने का विकल्प होगा। शिक्षक किसी की जाति, आय, व्यवसाय और आवासीय स्थिति पर अनिवार्य प्रश्नों के उत्तर के आधार पर एक ऐप पर डेटा संकलित कर रहे हैं। हालाँकि कई गणनाकारों ने "किसी की आय को बड़े पैमाने पर कम बताने" की शिकायत की है, लेकिन उनका कहना है कि लोग जो उन्हें बताते हैं उसे दर्ज करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है।
अधिकारी ने कहा कि शिक्षक किसी की जाति, आय, व्यवसाय और आवासीय स्थिति पर अनिवार्य प्रश्नों के उत्तर के आधार पर एक ऐप पर डेटा संकलित कर रहे हैं। हालाँकि कई गणनाकारों ने "किसी की आय को बड़े पैमाने पर कम बताने" की शिकायत की है, लेकिन उनका कहना है कि लोग जो उन्हें बताते हैं उसे दर्ज करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है।
एक गणनाकर्ता का कहना है कि “यह मूल रूप से एक जाति सर्वेक्षण है, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण नहीं है। अधिकांश ओबीसी, ईबीसी और अनुसूचित जाति के लोग अपनी जाति का खुलासा करने को लेकर बहुत उत्साहित हैं। ”