बिहार सरकार और राजभवन के बीच टकराव जारी, नए आदेश से टकराव बढ़ने की संभावना, जानें मामला
By एस पी सिन्हा | Updated: September 1, 2023 15:57 IST2023-09-01T15:56:46+5:302023-09-01T15:57:43+5:30
पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अब राजभवन और राज्यपाल सचिवालय के अलावा किसी अन्य स्तर से जारी आदेश का पालन नहीं करेंगे।

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पटनाः बिहार में सरकार और राजभवन के बीच जारी टकराव थमने का नाम नही ले रहा है। विभिन्न मौकों पर दोनों तरफ से आदेश वार शुरू होने से विश्वविद्यालयों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। एक बार फिर से राजभवन सचिवालय ने राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र भेजकर आदेश जारी किया है।
पत्र में कहा गया है कि विश्वविद्यालय अब राजभवन और राज्यपाल सचिवालय के अलावा किसी अन्य स्तर से जारी आदेश का पालन नहीं करेंगे। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू की तरफ से जारी इस पत्र के बाद एक बार फिर बिहार में सियासी घमासान के आसार हैं।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के द्वारा विश्वविद्यालयों को जारी किए जा रहे नित नए आदेशों के कारण सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कुछ दिनों पहले ही राजभवन और शिक्षा विभाग में मतभेद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राजभवन की ओर से विज्ञापन निकाले जाने के बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से भी नियुक्ति का विज्ञापन निकाल दिया गया था। इसके साथ ही साथ शिक्षा विभाग के एसीएस केके पाठक ने बीआरए विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के वीसी और प्रो वीसी के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाई थी।
जिसके बाद राज्यपाल के प्रधान रॉबर्ट एल चोंग्थू ने बैंकों को आदेश जारी किया है कि वे केके पाठक के आदेश को नहीं मानें। इन दोनों ही मामलों को लेकर राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। राजभवन एवं राज्य सरकार की टकराहट के बीच पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की थी।
विश्वविद्यालय विवाद के बीच यह मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच पहली मुलाकात थी। इस दौरान राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा से संबंधित विषयों पर समाधान पूर्ण विमर्श किया गया था। उस वक्त ऐसा लग रहा था कि राजभवन और सरकार के बीच चल रहा विवाद दूर हो गया है।
हालांकि अब एक बार फिर से टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। राज्यपाल के प्रधान सचिव रॉबर्ट एल चोंग्थू की तरफ से जारी जारी पत्र में साफ कहा गया कि राजभवन अथवा राज्यपाल सचिवालय को छोड़कर किसी अन्य द्वारा विश्वविद्यालय को निर्देश देना उनकी स्वायत्तता के अनुकूल नहीं है।
ऐसा देखा जा रहा है कि विश्वविद्यालय की स्वायत्तता की अनदेखी करते हुए भी किसी अन्य द्वारा निर्देश दिया जा रहा है। यह बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के प्रावधानों का उल्लंघन है। इसलिए सिर्फ और सिर्फ राज्यपाल सचिवालय द्वारा जारी निर्देश का ही कुलपति समेत विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी पालन करना सुनिश्चित करें।