वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक हैं। वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से जुड़े रहे हैं और उसके हिन्दी सेवा 'भाषा' के संस्थापक संपादक रहे हैं।Read More
सबसे पहले तो हम चुनाव-प्रणाली ही बंद कर दें। इसकी जगह हर पार्टी को उसकी सदस्य-संख्या के अनुपात में सांसद और विधायक भेजने का अधिकार मिले। इसके कई फायदे होंगे। चुनाव खर्च बंद होगा। भ्रष्टाचार मिटेगा। करोड़ों लोग राजनीतिक रूप से सक्रिय हो जाएंगे। ...
नीतीश कुमार यदि बिहार के गरीब परिवारों की मदद के लिए यह जनगणना शुरू करवाई है तो वे सिर्फ गरीबों की जनगणना करवाते। उसमें जाति और मजहब का ख्याल बिल्कुल नहीं किया जाता लेकिन नेता लोग जाति और धर्म का डंका जब पीटने लगें तो यह निश्चित है कि वे थोक वोटों का ...
ऐसे में अब जबकि विदेशी विश्वविद्यालय भारत में खुल जाएंगे तो निश्चय ही इससे प्रतिभा-पलायन घटेगा और देश का पैसा भी बचेगा। इसके अलावा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मान्यता है कि दुनिया की सर्वश्रेष्ठ शिक्षा-पद्धतियां भारत में प्रारंभ हो जाएंगी, जिसका लाभ ...
ऐसे में एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश के 89 प्रतिशत लोग स्वभाषाओं का प्रयोग करते हैं। वहीं अंग्रेजी लिखने, बोलने, समझनेवालों की संख्या देश में सिर्फ 12.85 करोड़ यानी मुश्किल से 10 प्रतिशत है। ...
सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों में से चार की राय थी कि हर मंत्री अपने बयान के लिए खुद जिम्मेदार है। उसके लिए उसकी सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इस राय से अलग हटकर न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना का कहना था कि यदि उस मंत्री का बयान किसी सरकारी नीति क ...
दिल्ली, मुंबई तथा कई अन्य शहरों और गांवों में जैन-समाज सड़कों पर उतर आया है। वह श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन केंद्र बनाने की घोषणा को निरस्त करने की मांग कर रहा है। उनकी यह मांग बिल्कुल जायज है। मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मांग का समर्थन किय ...
लगभग 30 करोड़ लोग इसी कारण वोट डालने से वंचित रह जाते हैं। भारत के लोग केरल से कश्मीर तक मुक्त रूप से आते-जाते हैं और एक-दूसरे के प्रांत में रहते भी हैं। जरा सोचिए कि कोई मलयाली आदमी सिर्फ वोट डालने के लिए कश्मीर से केरल क्यों जाएगा? ...
अफगानिस्तान में आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मदद बहुत कम आ रही है. तालिबानी जुल्म इसी तरह जारी रहा तो कोई आश्चर्य नहीं कि उन्हें सख्त बगावत का सामना करना पड़ जाए. ...