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इक्रोसॉफ्ट ने आखिरकार इंटरनेट एक्सप्लोरर को क्यों छोड़ दिया

By भाषा | Updated: May 31, 2021 15:53 IST

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विन्ह बुई,लेक्चरर, सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी

लिस्मोर (ऑस्ट्रेलिया), 31 मई (द कन्वरसेशन) प्रौद्योगिकी के महारथी माइक्रोसॉफ्ट ने लंबे समय से अपने वेब ब्राउजर इंटरनेट एक्सप्लोरर की सेवानिवृत्ति की घोषणा की और इसकी जगह इंटरनेट एज के रूप में 15 जून 2022 तक के लिए नया उत्पाद पेश किया। इसका सीधा मतलब है कि इंटरनेट एक्सप्लोरर के बचे हुए उपभोक्ताओं के पास अब विकल्प खोजने के लिए एक वर्ष का समय है, हालांकि ज्यादातर वेब उपयोगकर्ताओं के पास पहले से ही इसका विकल्प है।

वेब के ताजा रूख पर नजर रखने वालों को इंटरनेट एक्सप्लोरर के अंतिम पतन के बारे में पहले से ही अनुमान था, लेकिन इस संबंध में एकदम ताजा जानकारी न रखने वालों के लिए यह एक अवांछित आश्चर्य का कारण हो सकता है। वैसे ज्यादातर के लिए यह कोई धमाकेदार खबर नही थी।

आईटी उद्योग में एक मौजूदा पेशेवर के रूप में, मैं इस निर्णय के कुछ संभावित कारण बताऊंगा, और हम इससे क्या सीख सकते हैं।

लगभग हर कोई गूगल पर सर्च करने के लिए बनाए गए शब्द ‘‘गूगलिंग’’ से परिचित है, लेकिन ‘‘माइक्रोसॉफ्टिंग’’ जैसी कोई चीज नहीं है। ऐसे में गूगल नवेब खोज का पर्याय कैसे बन गया, जबकि माइक्रासाफ्ट अपने लंबे और अग्रणी इतिहास के बावजूद, किसी भी चीज़ का पर्याय बनने में विफल रहा?

इसका जवाब है बाजार हिस्सेदारी। कुल वेब सर्च में गूगल का हिस्सा 92.24 फीसदी है- एक दिन में 3.5 अरब से अधिक खोज। माइक्रोसॉफ्ट के अपने सर्च इंजन बिंग में यह मात्र 2.29 प्रतिशत है।

यह जान लेना आसान है कि उपयोगकर्ता माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर की तुलना में गूगल के अपने वेब ब्राउज़र, क्रोम को क्यों पसंद करते हैं, जो बिंग को अपने डिफ़ॉल्ट खोज इंजन के रूप में उपयोग करता है। जो उपयोगकर्ता गूगल के माध्यम से खोज करना पसंद करते हैं (जो लगभग सभी हैं) गूगल को इंटरनेट एक्सप्लोरर में डिफ़ॉल्ट खोज इंजन बना सकते हैं। लेकिन केवल क्रोम इंस्टॉल करना और वहां से गूगल का उपयोग करना शायद आसान है।

माइक्रोसाफ्ट कभी छोटा खिलाड़ी नहीं था। जब वेब अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, तब यह बाजार में अग्रणी था। ऐप स्टोर, या 5G, या यहां तक ​​कि बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत कंप्यूटर होने से पहले, 1970 के दशक में यूनिक्स-आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम वाले बड़े मेनफ्रेम कंप्यूटर हुआ करते थे।

ये प्रणालियाँ बहुत कम सुविधाएं प्रदान करती थीं और इनमें ग्राफिक्स या इनके उपयोग की क्षमता पर बहुत कम ध्यान दिया गया था। यूनिक्स का मूल वेब ब्राउज़र, नेटस्केप भी इससे ज्यादा अलग नहीं था।

यही वह समय था जब माइक्रोसाफ्ट ने ‘‘व्यक्तिगत कंप्यूटर’’ को और अधिक व्यक्तिगत बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए मैदान में कदम रखा। 1995 में इंटरनेट एक्सप्लोरर के लॉन्च होने के समय तक, बहुत अच्छे डिजाइन और अधिक सहज उपयोगकर्ता इंटरफेस के साथ, माइक्रोसॉफ्ट ने खुद को डिजिटल दुनिया में सबसे आगे रखा।

लेकिन अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करने के बाद, माइक्रोसॉफ्ट ने इंटरनेट एक्सप्लोरर के विकास को आगे बढ़ाना बंद कर दिया, और कहीं और ध्यान लगाना शुरू कर दिया, वह विंडोज में लगातार सुधार कर रहा था लेकिन वेब ब्राउज़र में नहीं। उस समय से, इंटरनेट एक्सप्लोरर हमेशा पिछड़ता रहा फिर चाहे वह टैब्ड ब्राउजिंग हो या सर्च बार जैसे नवाचार। यह लगातार अप्रासंगिक होता चला गया और इसी वजह से इसका प्रचलन भी घटता रहा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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