चीन का दावा: एक हजार साल से दक्षिण चीन सागर पर उसकी संप्रभुता, अमेरिका के समुद्री साम्राज्य के दावे को भी खारिज किया

By भाषा | Published: July 14, 2020 09:19 PM2020-07-14T21:19:16+5:302020-07-14T21:19:16+5:30

चीन ने मंगलवार को विवादित दक्षिण चीन सागर में ‘समु्द्री साम्राज्य’ स्थापित करने के अमेरिका के आरोपों का खंडन किया।

US backs ASEAN on South China Sea, challenges China’s predatory world view | चीन का दावा: एक हजार साल से दक्षिण चीन सागर पर उसकी संप्रभुता, अमेरिका के समुद्री साम्राज्य के दावे को भी खारिज किया

चीन का दावा : एक हजार साल से दक्षिण चीन सागर पर उसकी संप्रभुता। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsचीन ने दावा किया कि विशाल समुद्र पर उसकी संप्रभुता एक हजार साल से अधिक समय से है। चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका उसके और दक्षिण पूर्वी एशिया के अन्य देशों के बीच विवाद के बीज बोने की कोशिश कर रहा है।

बीजिंग। विवादित दक्षिण चीन सागर में ‘समु्द्री साम्राज्य’ स्थापित करने के अमेरिका के आरोपों का खंडन करते हुए चीन ने मंगलवार को दावा किया कि इस विशाल समुद्र पर उसकी संप्रभुता एक हजार साल से अधिक समय से है। चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका उसके और दक्षिण पूर्वी एशिया के अन्य देशों के बीच विवाद के बीज बोने की कोशिश कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ने सोमवार को अहम नीतिगत भाषण देते हुए कहा कि दुनिया रणनीतिक रूप से अहम दक्षिण चीन सागर को चीन के समुद्री साम्राज्य के तौर इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने इसके साथ ही संसाधन संपन्न इस इलाके पर कब्जे के लिए चीन द्वारा चलाए जा रहे धमकाने के अभियान के खिलाफ दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का समर्थन करने का भरोसा दिया। पोम्पियो के बयान पर टिप्पणी करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने बीजिंग में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिकी विदेशमंत्री ने दक्षिण चीन सागर से जुड़े इतिहास और तथ्यों को नजरअंदाज किया है। उन्होंने अमेरिका के उस दावे पर भी सवाल उठाया जिसके मुताबिक वर्ष 2009 में चीन अपने दावे के समाधान के लिए दक्षिण सागर में नौ- बिंदु रेखाओं के साथ आया था।

झाओ ने कहा, ‘‘अमेरिका ने कहा कि चीन ने 2009 में दक्षिण चीन सागर में बिंदु रेखा की घोषणा की थी जो सच नहीं है। चीन का इतिहास के अनुसार इसपर संप्रभुता है। हमारी दक्षिण चीन सागर के टापुओं और पानी पर गत एक हजार से अधिक साल पहले से प्रभावी अधिकार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 1948 से चीन आधिकारिक रूप से बिंदु रेखा से सीमा को रेखांकित करने वाला मानचित्र प्रकाशित करता है और क्षेत्र के किसी भी देश ने कोई सवाल नहीं उठाया।’’

दक्षिण चीन सागर के संसाधनों पर ऐतिहासिक दावा साबित करने का कानूनी आधार नहीं

झाओ ने कहा कि चीन का कानूनी और ऐतिहासिक अधिकार है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2016 में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावों को खारिज करते हुए बीजिंग द्वारा इलाके में कृत्रिम द्वीप बनाने को लेकर फटकार लगाई थी। इस बारे में झाओ ने कहा कि ‘‘न्यायाधिकरण ने अपने अधिकार का दुरुपयोग किया, सहमति के सिद्धांत का उल्लंघन किया।’’ न्यायाधिकरण ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर के संसाधनों पर ऐतिहासिक दावा साबित करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है और यह विवादित क्षेत्र में फिलीपींस की संप्रभुता का उल्लंघन करता है।

चीन 13 लाख वर्ग मील में फैले दक्षिण चीन सागर पर करता है दावा

पोम्पियो ने कहा कि न्यायाधिकरण ने मध्यस्थता के लिए लाए गए मामले में फिलीपींस के लगभग सभी दावों का पक्ष लिया। झाओ ने कहा, ‘‘फैसला फर्जी सबूतों और कानून के अवांछित उपयोग पर आधारित था। अमेरिका मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले का इस्तेमाल अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए कर रहा है जिसे चीन कभी स्वीकार नहीं करेगा।’’ झाओ ने कहा कि चीन संबंधित देशों के साथ मामले को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है। उल्लेखनीय है कि चीन 13 लाख वर्ग मील में फैले दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा करता है। वह ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम के दावे वाले इलाके में कृत्रिम द्वीप बनाकर उनपर सैन्य ठिकाना स्थापित कर रहा है।

Web Title: US backs ASEAN on South China Sea, challenges China’s predatory world view

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