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ऐसा कोई संकेत नहीं है कि भारत ने हेडली के प्रत्यर्पण का अनुरोध करना बंद कर दिया है: राणा का वकील

By भाषा | Updated: February 6, 2021 09:20 IST

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(ललित के झा)

वाशिंगटन, छह फरवरी मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के वकील ने अमेरिका की अदालत में कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि भारत ने हमलों के एक अन्य आरोपी डेविड कोलमैन हेडली के प्रत्यर्पण का अनुरोध करना बंद कर दिया है।

राणा (69) हेडली के बचपन का मित्र है। भारत ने 2008 में मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में उसकी संलिप्तता के कारण उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध किया है। इस हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की मौत हो गई थी। राणा को भारत में भगौड़ा घोषित किया जा चुका है। राणा स्वयं को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के अनुरोध का विरोध कर रहा है।

लॉस एंजिलिस में अमेरिका डिस्ट्रिक्ट जज जैकलीन केलोनियन के समक्ष इस सप्ताह की शुरुआत में दिए अभ्यावेदन में राणा के वकील ने अपने मुवक्किल को प्रत्यर्पित करने के अनुरोध का विरोध करते हुए दावा किया कि अभी तक इस बात का कोई संकेत नहीं मिला है कि भारत हेडली के प्रत्यर्पण का अनुरोध नहीं करने पर सहमत हो गया है।

अभ्यावेदन में अदालत को बताया गया, ‘‘भारत हेडली द्वारा अमेरिका को दी गई सहायता के एवज में उसके प्रत्यर्पण का अनुरोध करना बंद करने पर संभवत: सहमत हो गया होगा, लेकिन रिकॉर्ड में इस बात का कोई संकेत नहीं है।’’

राणा के वकीलों ने कहा, ‘‘बल्कि सरकार के विशेषज्ञ के तौर पर सेवाएं दे रहे भारतीय अभियोजक के मुताबिक: मौजूदा राय विशेष रूप से भगौड़े तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण के अनुरोध से जुड़ी है। इस राय को किसी भी तरीके से इस बात का संकेत नहीं माना जाना चाहिए कि उपरोक्त मामले में आरोपी नंबर एक डेविड कोलमेन हेडली के प्रत्यर्पण के अनुरोध समेत विभिन्न सम्प्रभु देशों में लंबित प्रत्यर्पण के अनुरोध करने बंद कर दिए गए हैं।’’

मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश रचने में लश्कर-ए-तैयबा का पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी हेडली शामिल था। उसे इस मामले में सरकारी गवाह बनाया गया था और वह हमले में अपनी भूमिका के लिये फिलहाल अमेरिका की जेल में 35 साल के कारावास की सजा काट रहा है।

राणा ने अदालत में पेश किए गए अपने अभ्यावेदन में हेडली को झूठा बताया है।

उसने कहा कि हेडली ने इन मामलों में संघीय एजेंटों, जजों और अभियोजकों से झूठ बोला। हेरोइन के मामले में पहली बार मिली सजा (जिसे उसके सहयोग के कारण कम कर दिया गया था) के बाद उसने फिर हेरोइन का कारोबार नहीं करने का वादा किया लेकिन वह फिर इसमें लिप्त हो गया।

उसने कहा कि वह बिना अनुमति के पाकिस्तान गया और उसने एजेंटों के निर्देश की अवहेलना की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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