कोविड-19 के भारत में पाए गए दो स्वरूप के नए नाम होंगे ‘डेल्टा’ और ‘कप्पा’

By भाषा | Published: June 1, 2021 12:27 PM2021-06-01T12:27:02+5:302021-06-01T12:27:02+5:30

The new names for the two forms of Kovid-19 found in India will be 'Delta' and 'Kappa' | कोविड-19 के भारत में पाए गए दो स्वरूप के नए नाम होंगे ‘डेल्टा’ और ‘कप्पा’

कोविड-19 के भारत में पाए गए दो स्वरूप के नए नाम होंगे ‘डेल्टा’ और ‘कप्पा’

संयुक्त राष्ट्र/जिनेवा, एक जून (एपी) कोरोना वायरस के भारत में पहली बार पाए गए स्वरूप बी.1.617.1 और बी.1.617.2 को अब से क्रमश: ‘कप्पा’ तथा ‘डेल्टा’ से नाम से जाना जाएगा।

दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों की नामावली की नई व्यवस्था की घोषणा की है जिसके तहत वायरस के विभिन्न स्वरूपों की पहचान यूनानी भाषा के अक्षरों के जरिए होगी। यह फैसला वायरस को लेकर सार्वजनिक विमर्श का सरलीकरण करने तथा नामों पर लगे कलंक को धोने की खातिर लिया गया।

दरअसल तीन हफ्ते पहले नोवेल कोरोना वायरस के बी.1.617 स्वरूप को मीडिया में आई खबरों में ‘भारतीय स्वरूप’ बताने पर भारत ने आपत्ति जताई थी उसी की पृष्ठभूमि में डब्ल्यूएचओ ने यह कदम उठाया है। हालांकि भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी ने अपने दस्तावेज में उक्त स्वरूप के लिए ‘‘भारतीय’’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है।

इसी क्रम में संरा की स्वास्थ्य एजेंसी ने कोविड-19 के B.1.617.1 स्वरूप को ‘कप्पा’ नाम दिया है तथा B1.617.2 स्वरूप को ‘डेल्टा’ नाम दिया है। वायरस के ये दोनों ही स्वरूप सबसे पहले भारत में सामने आए थे।

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 संबंधी तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान केरखोव ने सोमवार को ट्विटर पर लिखा, ‘‘आज डब्ल्यूएचओ ने सार्स-सीओवी2 के चिंताजनक स्वरूपों को नए एवं सरल नाम दिए हैं। हालांकि ये नाम वर्तमान के वैज्ञानिक नामों का स्थान नहीं लेंगे लेकिन इन नए नामों का उद्देश्य इन स्वरूपों को लेकर सार्वजनिक विमर्श को सरल बनाना है।’’

संरा स्वास्थ्य एजेंसी ने नामकरण की नई प्रणाली की घोषणा करते हुए कहा कि नई व्यवस्था, स्वरूपों के ‘‘सरल, बोलने तथा याद रखने में आसान’’ नाम देने के लिए है। उसने कहा कि वायरस के स्वरूप जिन देशों में सबसे पहले सामने आए, उन्हें उन देशों के नाम से पुकारना ‘‘कलंकित करना और पक्षपात करना है’’।

डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को एक ट्वीट में कहा, ‘‘ये नए नाम वर्तमान के वैज्ञानिक नामों का स्थान नहीं लेंगे क्योंकि वैज्ञानिक नामों से उनके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है तथा इनका इस्तेमाल अनुसंधान में होता रहेगा।’’

एजेंसी ने कहा कि देश और अन्य भी इन नामों को अपनाएं क्योंकि इससे सार्वजनिक विमर्श सरल होगा।

इन स्वरूपों को अब तक उनके तकनीकी अक्षर-संख्या कोड के नाम से जाना जाता है या उन देशों के स्वरूप के रूप में जाना जाता है जहां वे सबसे पहले सामने आए थे।

इस तरह का एक स्वरूप जो सबसे पहले ब्रिटेन में नजर आया था और जिसे अब तक B.1.1.7 नाम से जाना जाता है उसे अब से ‘‘अल्फा’’ स्वरूप कहा जाएगा। वायरस का B.1.351 स्वरूप जिसे दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के नाम से भी जाना जाता है उसे ‘बीटा’ स्वरूप के नाम से जाना जाएगा।

ब्राजील में पाया गया पी.1 स्वरूप ‘गामा’ और पी.2 स्वरूप ‘जीटा’ के नाम से पहचाना जाएगा। अमेरिका में पाए गए वायरस के स्वरूप ‘एपसिलन’ तथा ‘लोटा’ के नाम से पहचाने जाएंगे।

आगे आने वाले चिंताजनक स्वरूपों को इसी क्रम में नाम दिया जाएगा।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह नई व्यवस्था विशेषज्ञों के समूहों की देन है। उसने कहा कि वैज्ञानिक नामावली प्रणाली को खत्म नहीं किया जाएगा और नई व्यवस्था, स्वरूपों के ‘‘सरल, बोलने तथा याद रखने में आसान’’ नाम देने के लिए है।

इससे पहले, 12 मई को भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन मीडिया रिपोर्टों को ‘‘निराधार’’ बताते हुए खारिज कर दिया था जिनमें B.1.617 प्रकार को ‘‘भारतीय स्वरूप’’ कहा गया था। उल्लेखनीय है कि इस स्वरूप को डब्ल्यूएचओ ने हाल में ‘‘वैश्विक चिंता वाला स्वरूप’’ बताया था।

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Web Title: The new names for the two forms of Kovid-19 found in India will be 'Delta' and 'Kappa'

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