World Hindu Congress in Bangkok: प्रधानमंत्री ने कहा- हिंदू जीवन मूल्यों से ही विश्व में शांति स्थापित होगी
By धीरज मिश्रा | Published: November 24, 2023 06:40 PM2023-11-24T18:40:00+5:302023-11-24T19:03:47+5:30
World Hindu Congress in Bangkok: थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन ने कहा कि हिन्दू जीवन मूल्यों से ही विश्व में शांति स्थापित होगी।
World Hindu Congress in Bangkok: थाईलैंड के प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन ने कहा कि हिन्दू जीवन मूल्यों से ही विश्व में शांति स्थापित होगी। तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस में थाईलैंड की प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन ने शांति को बढ़ावा देने वाले हिंदू मूल्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि अशांति से जूझ रही दुनिया को अहिंसा, सत्य, सहिष्णुता और सद्भाव के हिंदू मूल्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए, तभी दुनिया में शांति स्थापित होगी। दुनिया में हिंदुओं की पहचान एक प्रगतिशील और प्रतिभाशाली समाज के रूप में स्थापित करना है।
Peace will be established in world only through Hindu values of life: Thai Prime Minister
— ANI Digital (@ani_digital) November 24, 2023
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हालांकि उन्हें उद्घाटन सत्र में हिस्सा लेना था। लेकिन वह किसी कारण हिस्सा नहीं ले सकें। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित विश्व हिंदू कांग्रेस की मेजबानी करना हमारे लिए गर्व की बात है। यहां जानकारी के लिए बताते चले कि इस कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के महासचिव मिलिंद परांडे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी पूर्णानंद सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम में देश भर से 2200 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिन्होंने शिक्षा, अर्थव्यवस्था, सहित अन्य फिल्ड में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
लड़खड़ा रही दुनिया को प्रसन्नता और संतोष का मार्ग भारत दिखाएगा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोगों के बाद लड़खड़ा रही दुनिया को प्रसन्नता और संतोष का मार्ग भारत दिखाएगा। थाइलैंड की राजधानी में तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भागवत ने दुनियाभर के हिंदुओं से अपील की कि वे एक दूसरे से जुड़ें और मिलकर दुनिया से कड़ी जोड़ें।
उन्होंने दुनियाभर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा। सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे। हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।’’ भागवत ने कहा कि दुनिया, खासतौर पर कोविड महामारी के बाद यह मान चुकी है और आम-सहमति से यह बात सोच रही है कि भारत प्रसन्नता और संतोष का मार्ग दिखाएगा।
उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोग करते हुए लड़खड़ा रही है और प्रसन्नता की तलाश में वह हिंदुत्व की ओर देख रही है। संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘आज का विश्व लड़खड़ा रहा है। 2,000 साल से उन्होंने खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए अनेक प्रयोग किए हैं। उन्होंने भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोग किए हैं। उन्होंने अनेक धर्मों से जुड़े प्रयोग किए हैं। उन्हें भौतिक समृद्धि मिल गई है, लेकिन संतोष नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कोविड महामारी के बाद उन्होंने पुनर्विचार करना शुरू किया। अब ऐसा लगता है कि वे यह सोचने में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा।
भागवत ने कहा, ‘‘हमें सभी के पास जाकर संपर्क करना होगा, उनसे जुड़ना होगा और अपनी सेवाओं से उन्हें अपनी ओर लाना होगा। हमारे पास उमंग है। हम निस्वार्थ सेवा के मामले में दुनिया में अग्रणी हैं। यह हमारी परंपराओं और मूल्यों में है। इसलिए लोगों तक पहुंचिए और दिल जीतिए।’’ इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों को दुनियाभर में हिंदुओं के समक्ष आ रहीं चुनौतियों पर विचार-विमर्श का अवसर मिलेगा। भागवत ने कहा कि हिंदुओं को ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना का प्रसार करने में अहम भूमिका निभानी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें साथ आना होगा, साथ रहना होगा और साथ में काम करना होगा।’’ भागवत ने कहा, ‘‘सभी को दुनिया के लिए कुछ योगदान देना होगा। हमने अपनी विशेषता पहचान ली है। हमारे अंदर सभी के प्रति सम्मान है। हमारे पूर्वजों ने इसे पहचाना था लेकिन हम इस कौशल को भूल गए और टुकड़ों में बांट दिए गए और अधीन हो गए।
अब हमें एक साथ आना होगा।’’ उन्होंने कहा कि आक्रोश, घृणा, घृणा भरे भाषण, द्वेष और अहंकार लोगों को साथ में आने से रोकते हैं और समाज या संगठन को तोड़ देते हैं। वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की। इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।