नेपाल में देउबा सरकार का कार्यकाल विश्वास मत पर निर्भर

By भाषा | Updated: July 14, 2021 16:22 IST2021-07-14T16:22:36+5:302021-07-14T16:22:36+5:30

Tenure of Deuba government in Nepal depends on trust vote | नेपाल में देउबा सरकार का कार्यकाल विश्वास मत पर निर्भर

नेपाल में देउबा सरकार का कार्यकाल विश्वास मत पर निर्भर

काठमांडू, 14 जुलाई उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद रिकॉर्ड पांचवीं बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शेर बहादुर देउबा की नियुक्ति से देश में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक स्थिरता का आना अभी दिखाई नहीं देता है क्योंकि उन्हें 30 दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा।

‘काठमांडू पोस्ट’ की खबर के अनुसार नेपाल कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा (75) अगर किसी तरह विश्वास मत जीत लेते हैं, तो 18 महीनों में नए सिरे से चुनाव कराने होंगे। देउबा के पास 275 सदस्यीय प्रतिनिधिसभा में केवल 61 सीटें हैं। यदि वह विश्वास मत हासिल नहीं कर पाते हैं तो देश में छह महीनों के भीतर चुनाव होंगे।

नेपाल की संसद के निचले सदन प्रतिनिधिसभा ने अपने पांच साल के कार्यकाल का साढ़े तीन साल से अधिक समय पूरा कर लिया है।

खबर में कहा गया है कि देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने संबंधी अपने आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि उन्हें ‘‘संविधान के अनुच्छेद 76 (6) के अनुसार विश्वास मत प्राप्त करने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।’’ इसमें कहा गया है कि अनुच्छेद 76 (6) के अनुसार, उन्हें नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर संसद में विश्वास मत हासिल करना होगा।

अखबार ने ‘काठमांडू यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ’ के पूर्व डीन बिपिन अधिकारी के हवाले से कहा, ‘‘विश्वास मत का परिणाम देउबा सरकार के भाग्य का फैसला करेगा।’’

देउबा ने सदन में अपनी 61 सीटों के साथ, चार अन्य दलों के सांसदों के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। कुल मिला कर, प्रतिनिधिसभा के 149 सदस्यों ने उनका समर्थन किया है जिसमें यूएमएल के माधव नेपाल गुट के 26 सदस्य शामिल हैं।

खबर में कहा गया है कि सोमवार को उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद देउबा का समर्थन करने वाले दलों के अन्य नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान, माधव नेपाल ने कहा था कि वह अब गठबंधन में नहीं रह सकते हैं। इसमें कहा गया है कि देउबा को 136 वोटों की जरूरत है क्योंकि सदन में फिलहाल केवल 271 सदस्य हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मंगलवार को न्यायालय पर विपक्षी दलों के पक्ष में ‘‘जानबूझ कर’’ निर्णय सुनाने का आरोप लगाया था और कहा था कि इसका देश में बहुदलीय संसदीय प्रणाली पर ‘‘दीर्घकालिक प्रभाव’’ पड़ेगा।

राष्ट्र को संबोधित करते हुए, 69 वर्षीय ओली ने यह भी कहा था कि ‘‘लोगों की पसंद’’ होने के बावजूद, वह पद से इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने उनकी जगह नेपाली कांग्रेस प्रमुख और विपक्ष के नेता शेर बहादुर देउबा को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने का आदेश दिया है।

इससे पूर्व देउबा चार बार - पहली बार सितंबर 1995- मार्च 1997, दूसरी बार जुलाई 2001- अक्टूबर 2002, तीसरी बार जून 2004- फरवरी 2005 और चौथी बार जून 2017- फरवरी 2018 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Tenure of Deuba government in Nepal depends on trust vote

विश्व से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे