पूर्वी अफ्रीकी देश तंजानिया के राष्ट्रपति जॉन मागुफुली के निधन की खबर की पूरी दुनिया में चर्चा है। 61 साल के मागुफुली के निधन की घोषणा तंजानिया की उपराष्ट्रपति सामिया सुलुहू ने 17 मार्च को की। सुलुहू अब देश की राष्ट्रपति बनने जा रही हैं। वे तंजानिया की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी।
हालांकि, मागुफुली के निधन को लेकर जो विवाद हैं, फिलहाल थम नहीं रहे हैं। उनके निधन को लेकर विवाद इसलिए है क्योंकि 27 फरवरी के बाद से वे सार्वजनिक तौर पर नजर नहीं आए थे। ऐसे में कुछ दिनों से उन्हें लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही थी।
ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही थीं कि वे गंभीर तौर पर बीमार हैं और विदेश में कहीं उनका इलाज चल रहा है। ये भी अटकलें लग रही हैं कि उन्हें असल में कोरोना संक्रमण हुआ था, जिसकी बात छुपाई गई है। मागुफुली के निधन के पीछे हृदय संबंधी बीमारी को वजह बताया गया और उपराष्ट्रपति सामिया सुलुहू ने कहा कि उन्हें ये बीमारी 10 साल से थी।
मागुफुली के मुख्य सचिव का भी कोरोना से निधन!
मागुफली दुनिया के उन कुछ नेताओं में शामिल रहे हैं जिन्होंने कोरोना महामारी को कभी गंभीरता से नहीं लिया। पिछले साल उन्होंने अपने देश के लोगों से कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए चर्च और धार्मिक स्थलों में प्रार्थना करने को कहा था।
यहां तक कि पिछले साल जून में ही मागुफली ने तंजानिया को कोरोना मुक्त घोषित कर दिया था। हालांकि, इसी साल फरवरी में मागुफली के मुख्य सचिव की कोरोना से मौत की खबर आई। मौत के कारणों का लेकिन आधिकारिक तौर पर खुलासा नहीं किया गया।
वहीं, अपने मुख्य सचिव के अंतिम संस्कार के मौके पर मागुफुली ने सांस की बीमारियों से निपटने के लिए लोगों से तीन दिन की प्रार्थना में शामिल होने का आग्रह किया था। बाद में उनका एक और बयान आया जिसमें उन्होंने देश के लोगों से एहतियाती उपाय करने और मास्क पहनने का अनुरोध किया। इसके कुछ दिन बाद मागुफली के बीमार होने की अटकलें शुरू हो गई थीं।
कोरोना पर मागुफुली के अजीबोगरीब बयान
कोरोना संक्रमण के मामले जब पिछले साल पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहे थे तब जॉन मागुफुली के अजीबोगरीब बयान भी चर्चा में रहे थे। उन्होंने एक चर्च में अपने संबोधन में कहा था कि कोरोना वायरस एक शैतान है और ये जीसस क्राइस्ट के शरीर में रह नहीं सकता। यह तुरंत जल जाएगा।
जून में मागुफुली ने तंजानिया को कोरोना से मुक्त घोषित कर दिया और यहां से कोरोना के आंकड़े भी आने बंद हो गए। हालांकि, बाद में तंजानियों में लोगों के बीच सांस की बीमारी में तेजी आने लगी और बड़ी संख्या में अस्पताल में निमोनिया के मामले बढ़ने लगे थे। इन सबके बीच उनके द्वारा 'हर्बल ड्रिंक' के जरिए कोरोना का इलाज करने का दावा भी विवादों में रहा।
मागुफुली को कहा जाता था 'द बुलडोजर'
मागुफुली का जन्म एक किसान परिवार में तंजानिया के 'छाटो' शहर में हुआ। उन्होंने रसायन विज्ञान में पीएचडी की और राजनीति में आने से पहले वे टीचर भी रहे। साल 1995 में पहली बार सांसद चुने जाने वाले मागुफुली को तंजानिया की राजनीति में 'बुलडोजर' भी कहा जाता था।
साल 2015 में वे पहली बार राष्ट्रपति बने और फिर पिछले साल लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए। हालांकि, चुनाव को लेकर विपक्ष धांधली के आरोप लगाता रहा है।
मागुफुली को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े रुख के लिए प्रशंसा उनके पहली बार राष्ट्रपति बनने से पहले ही मिलने लगी थी। उन्होंने तंजानिया में विकास के कई कामों को तेजी से आगे जरूर बढ़ाया लेकिन साथ ही उन पर विपक्ष की आवाज को दबाने और स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने जैसे आरोप भी लगे हैं।