ईरान परमाणु वार्ता में अमेरिका को वापस लाने के लिए बातचीत ‘आगे बढ़ी’

By भाषा | Updated: May 7, 2021 18:28 IST2021-05-07T18:28:38+5:302021-05-07T18:28:38+5:30

Talks to bring America back to Iran nuclear talks 'go ahead' | ईरान परमाणु वार्ता में अमेरिका को वापस लाने के लिए बातचीत ‘आगे बढ़ी’

ईरान परमाणु वार्ता में अमेरिका को वापस लाने के लिए बातचीत ‘आगे बढ़ी’

वियना, सात मई (एपी) ऑस्ट्रिया में दुनिया के शक्तिशाली देशों ने ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते में अमेरिका को वापस लाने के लिए उच्चस्तरीय वार्ता की, जहां दोनों पक्षों ने वार्ता की राह की प्रमुख अड़चनों को दूर करने की इच्छा जताई ।

वार्ता अप्रैल में शुरू हुई थी और रूसी प्रतिनिधिमंडल में शामिल मिखाइल उल्यानोव ने शुक्रवार की बैठक के बाद ट्वीट किया, ‘‘प्रतिनिधियों ने प्रक्रिया को तेज करने पर सहमति जताई।’’

उन्होंने लिखा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल लक्ष्य हासिल करने तक वियना में रूकने के लिए तैयार दिख रहा है।’’

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2015 में हुए इस समझौते से 2018 में हट गए थे और कहा था कि फिर से समझौता किए जाने की जरूरत है। समझौते में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर पाबंदियों के बदले उसे आर्थिक सहूलियत देने का वादा किया गया था और तेहरान पर नई वार्ता के लिए दबाव बनाने के असफल प्रयास के तहत ट्रंप प्रशासन ने उस पर भारी प्रतिबंध लगा दिए थे।

प्रतिक्रिया स्वरूप ईरान ने समझौते का उल्लंघन करना शुरू कर दिया, जिसका उद्देश्य देश को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना था। इसके बाद ईरान ने यूरेनियम संवर्द्धन शुरू कर दिया तथा उन्नत सेंट्रीफ्यूज का प्रयोग एवं अनुमति से अधिक भंडारण शुरू कर दिया ताकि वह विश्व की शक्तियों पर आर्थिक राहत की खातिर समझौते में बने रहने का दबाव बना सके। इन विश्व शक्तियों में जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और चीन शामिल हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि वह समझौते से फिर जुड़ना चाहते हैं, जिसे ‘ज्वाइंट कांप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन’ या जेसीपीओए के नाम से जाना जाता है। साथ ही बाइडन ने कहा था कि ईरान को समझौते का अनुपालन करना होगा।

ईरान ने कहा कि वह परमाणु बम नहीं बनाना चाहता है और समझौते में किए उल्लंघनों को फिर से दुरूस्त कर सकता है लेकिन वॉशिंगटन को ट्रंप शासन के दौरान लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटाना होगा।

चूंकि वर्तमान में अमेरिका समझौते से बाहर है इसलिए वार्ता में अमेरिका का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इसमें शामिल प्रतिनिधि ईरानी पक्ष और वियना में कहीं और ठहरे वॉशिंगटन के प्रतिनिधिमंडल के बीच भाग-दौड़ कर रहे हैं।

वार्ता शुरू होने से पहले अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर संकेत दिए हैं कि ईरान को अमेरिका से किसी तरह की नयी एवं बड़ी रियायतों की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

शीर्ष प्रशासनिक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं को बताया कि अमेरिका ने वर्ष 2015 के ऐतिहासिक परमाणु समझौते में फिर से शामिल होने के लिए तैयार की गई रियायतों की सूची सामने रख दी है।

अधिकारी ने कहा कि सफलता या विफलता अब ईरान पर निर्भर करती है कि वह इन रियायतों को स्वीकार करने और समझौते के तहत अनुपालन की तरफ लौटने का क्या राजनीतिक फैसला लेता है।

अधिकारी ने वियना में वार्ता फिर से शुरू होने की पूर्व संध्या पर विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित कॉन्फ्रेंस कॉल में संवाददाताओं से यह बात कही।

वार्ता में शामिल ईरान के प्रतिनिधि उप विदेश मंत्री अब्बास अरागाची ने अपने देश की सरकारी इरना संवाद समिति से कहा कि उनकी टीम जल्द से जल्द समझौते पर पहुंचना चाहती है लेकिन वे जल्दबाजी के बजाय ईरान के राष्ट्रीय हितों के अनुरूप काम करेंगे।

अरागाची ने कहा, ‘‘हम अपनी राह पर हैं लेकिन रास्ते में गंभीर बाधाएं भी हैं।’’

उल्यानोव ने ट्वीट किया कि ईरान के मंत्री के बयान में उन्हें सकारात्मक संदेश दिख रहा है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ईरानी प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख वियना वार्ता में वर्तमान स्थितियों के आकलन में सतर्क हैं। ईरान और अमेरिका दोनों निराशावादी निष्कर्ष से दूर हैं। यह बुरा संकेत नहीं है।

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