ताइवान का आरोप, "21 चीनी लड़ाकू विमानों ने उसकी वायु सीमा का अतिक्रमण किया"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 2, 2023 08:07 AM2023-03-02T08:07:24+5:302023-03-02T08:13:16+5:30
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि पिछले 24 घंटों में चीन के 21 विमानों को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में देखा गया है। चीन के 17 लड़ाकू विमान J-10 और चार लड़ाकू विमान J-16 ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी कोने में उड़ान भर रहे थे।
ताइपे: ताइवान ने अपने वायु सीमा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चीनी युद्धक विमानों के अतिक्रमण का आरोप लगाया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में गुरुवार को कहा कि बीजिंग के चल रहे सैन्य अभियान के तहत पिछले 24 घंटों में चीन के 21 विमानों को ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में देखा गया है।
चीन के कथित वायु अतिक्रमण के बारे में जानकारी देते हुए ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन के 17 लड़ाकू विमान J-10 और चार लड़ाकू विमान J-16 की पहचान की गई है, जो ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी कोने में उड़ान भर रहे थे। रक्षा मंत्रालय ने अपने आरोपों की पुष्टि के लिए बाकायदा चीनी लड़ाकू विमानों के उड़ान मार्ग का नक्शा भी जारी किया है।
ताइवान ने जिन दो लड़ाकू विमानों का जिक्र किया है। उसने से J-10 चीन का पुराना लड़ाकू विमान है, जो पहली बार करीब दो दशक पहले चीनी रक्षा मंत्रालय का हिस्सा बना था। ताइवान के आरोपों के अनुसर J-10 विमानों ने चीनी तट के करीब उड़ान भरी थी, जबकि J-16 चीन का नया और अधिक उन्नत लड़ाकू विमान है, जो ताइवान के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में उड़ रहा था।
ताइवान के मंत्रालय ने कहा कि ताइवानी सेना और रक्षा कवच ने चीनी विमानों की हलचल देखते हुए फौरन अपने वायु सेना को अलर्ट भेजा और वायु अतिक्रमण के क्षेत्रों की हवाई निगरानी की। इससे पहले भी ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सूचना साझा की थी कि बुधवार को भी ताइवान के एयर डिफेंस जोन में चीन के 19 विमानों को चक्रमण करते हुए देखा गया है।
मालूम हो कि चीन अपने पड़ोसी ताइवान को अपने अधीन क्षेत्र के तौर पर देखता है। इसके साथ ही चीन ने बीते तीन वर्षों से ताइवान के आसपास सैन्य गतिविधियों को बढ़ा दी है, जिस पर ताइवान तीखी आपत्ति दर्ज कराता रहता है। ताइवान का आरोप है कि बीजिंग बदनियती से उसकी संप्रभुता और स्वतंत्रता पर हमला करता रहता है।
वहीं ताइवान के आरोपों पर चीन का कहना है कि ताइवान के सीमावर्ति क्षेत्रों में उसकी गतिविधियां उचित हैं क्योंकि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना चाहता है और अमेरिका-ताइवान के बीच चल रही "मिलीभगत" के खिलाफ चेतावनी देना चाहता है।