राज्य प्रायोजित आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को जन्म देता है : संरा में भारत ने कहा

By भाषा | Updated: September 23, 2021 20:13 IST2021-09-23T20:13:18+5:302021-09-23T20:13:18+5:30

State-sponsored terrorism, violent extremism give rise to discrimination against minorities: India to UN | राज्य प्रायोजित आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को जन्म देता है : संरा में भारत ने कहा

राज्य प्रायोजित आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव को जन्म देता है : संरा में भारत ने कहा

(योषिता सिंह)

संयुक्त राष्ट्र, 23 सितंबर आतंकवाद को किसी भी सूरत में न्यायोचित न ठहराये जाने के विचार को दृढते से रखते हुए भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद से समाज में द्वेष पैदा होता है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव बढ़ता है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने महासभा की एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान डरबन घोषणा और कार्य योजना को अपनाने की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर उल्लेख किया कि एक परस्पर जुड़ी दुनिया में मीडिया एक नए रूप में, विशेष तौर पर सोशल मीडिया, नस्लीय घृणा और भेदभावपूर्ण विचारों को बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में उभरा है।

उन्होंने बुधवार को कहा, “हमने देखा है कि किस तरह से नस्लीय या अन्य भेदभाव को आतंकवाद को अपनाने के लिए बहाने के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।”

तिरुमूर्ति ने किसी देश का नाम लिए बगैर कहा, “राज्य प्रायोजित आतंकवाद और आतंकवाद के लिए अनुकूल हिंसक उग्रवाद समाज में द्वेष पैदा करता है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव में वृद्धि करता है। हम संयुक्त राष्ट्र निकायों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि आतंकवाद किसी भी आधार पर उचित नहीं है।”

पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 48वें सत्र में, भारत ने पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए कहा कि इसे विश्व स्तर पर एक ऐसे देश के रूप में मान्यता दी गई है जो ‘राष्ट्र नीति के तौर पर’ संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों सहित आतंकवादियों को खुले तौर पर समर्थन, प्रशिक्षण, वित्तपोषण और हथियार देता है।”

जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव पवन बाधे ने कहा था कि पाकिस्तान सिख, हिंदू, ईसाई और अहमदिया सहित अपने अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम रहा है।

उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं, जिनमें उनके पूजा स्थलों, उनकी सांस्कृतिक विरासत के साथ ही उनकी निजी संपत्ति पर हमले शामिल हैं, को पाकिस्तान में दण्ड से छूट मिली हुई है।

महासभा की बैठक को बुधवार को संबोधित करते हुए, तिरुमूर्ति ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने इन विभाजनों और मौजूदा असमानताओं को और बढ़ा दिया है तथा नस्लीय भेदभाव को मजबूत किया है।

उन्होंने “सामाजिक एकता सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरी ताकत” के साथ ‘इन्फोडेमिक’ (किसी समस्या के बारे में अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध जानकारी जो आम तौर पर अविश्वसनीय होती है) से निपटने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। तिरुमूर्ति ने कहा, “हम दृढ़ता से मानते हैं कि नस्लीय पूर्वाग्रह, भेदभाव और विदेशी लोगों को न पसंद करना (ज़ेनोफोबिया) के खिलाफ सबसे निश्चित गारंटी सहिष्णुता, समझ और विविधता के लिए सम्मान के मूल्यों के साथ लोकतंत्र और बहुलवाद का पोषण है।”

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी, लाखों अन्य लोगों की तरह, नस्लवादी शोषण से पीड़ित थे।

भारतीय दूत ने कहा, “उपनिवेशवाद नस्लीय श्रेष्ठता की धारणा में निहित था”। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद और नस्लीय भेदभाव का विरोध करने के लिए, गांधी ने ‘सत्याग्रह’ को हथियार बनाया, “सत्य और अहिंसा” को। “सत्य और अहिंसा को हथियार के रूप में अपनाकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाई।”

उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई ने देश के संविधान निर्माताओं की सोच को भी प्रेरित किया।

तिरूमूर्ति ने कहा, “हमारा देश लोकतंत्र, बहुलवाद, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर टिका है। भारतीय संविधान ने नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ सुरक्षा उपायों को स्थापित किया है।” उन्होंने कहा, “इन सुरक्षा उपायों को स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका, एक बहुलवादी राजनीति, एक जीवंत नागरिक समाज और स्वतंत्र मीडिया के साथ भारत के व्यापक कानूनी ढांचे द्वारा और मजबूती दी गयी है।

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Web Title: State-sponsored terrorism, violent extremism give rise to discrimination against minorities: India to UN

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