सूरीनाम के नए राष्ट्रपति होंगे भारतवंशी चंद्रिका प्रसाद संतोखी, पूर्व सैन्य तानाशाह डेसी बॉउटर्स की जगह ली
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 15, 2020 18:10 IST2020-07-15T18:10:00+5:302020-07-15T18:10:00+5:30
संतोखी ने ऐसे समय में सूरीनाम के नेतृत्व की बागडोर संभाली है जब उसके रिश्ते नीदरलैंड समेत दूसरे पश्चिमी देशों से खराब हो चुके हैं। देश इस समय आर्थिक संकट के दौर से भी गुजर रहा है।

सूरीनाम को वापस पटरी पर लाने के लिए नीतियां बनाएगी। 61 वर्षीय संतोखी नीदरलैंड के पुलिस अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। (file photo)
न्यूयार्कः भारतवंशी चंद्रिका प्रसाद संतोखी को लैटिन अमेरिकी देश सूरीनाम का राष्ट्रपति चुन लिया गया है। चंद्रिका ने प्रतिद्वंदी दावेदार पूर्व सैन्य तानाशाह डेसी बॉउटर्स को हराया है। इसके पूर्व सैन्य तानाशाह डेसी बाउटर्स ही वहां के राष्ट्रपति थे। मालूम रहे मई में हुए चुनाव में पूर्व सैन्य तानाशाह डेसी बाउटर्स की नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम हार गई थी।
संतोखी ने ऐसे समय में सूरीनाम के नेतृत्व की बागडोर संभाली है जब उसके रिश्ते नीदरलैंड समेत दूसरे पश्चिमी देशों से खराब हो चुके हैं। देश इस समय आर्थिक संकट के दौर से भी गुजर रहा है। कहा जा रहा है कि संतोखी ऐसे समय में सूरीनाम के राष्ट्रपति के पद पर अपना बागडोर संभालने जा रहे है जब नीदरलैंड समेत दूसरे पश्चिमी देशों से उसके रिश्ते काफी खराब है।
अब भारतवंशी चंद्रिका प्रसाद ने पूर्व राष्ट्रपति सैन्य तानाशाह डेसी बाउटर्स की जगह तो ले ली लेकिन उसके लिए यह काफी अहम घड़ी है जब उन्हें राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए सूरीनाम के अखंडता पर किसी तरह की दाग नहीं आए और अपने पद की गरिमा को भी बचाए रखने में सफल साबित हो।
कैरेबियन मीडिया कारपोरेशन (सीएमसी) की रिपोर्ट के अनुसार, देश के पूर्व न्यायमंत्री व प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी (पीआरपी) के नेता संतोखी को नेशनल एसेंबली ने सोमवार को राष्ट्रपति के रूप में सर्वसम्मति से चुना लिया। इस दौरान संतोखी ने कहा कि देश फिलहाल आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है।
उनकी सरकार सूरीनाम को वापस पटरी पर लाने के लिए नीतियां बनाएगी। 61 वर्षीय संतोखी नीदरलैंड के पुलिस अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। वह सूरीनाम के मुख्य पुलिस आयुक्त रह चुके हैं। वर्ष 2005 के दौरान वह देश के न्याय मंत्री भी रह चुके हैं। संतोखी के सामने पश्चिमी देशों से सूरीनाम के संबंधों को बेहतर बनाने की भी चुनौती होगी।