शिकागो में बोले उपराष्ट्रपति नायडू, कुछ लोग हिंदू शब्द को अछूत-असहनीय बनाने की कर रहे कोशिश
By भाषा | Published: September 10, 2018 04:04 PM2018-09-10T16:04:09+5:302018-09-10T16:04:09+5:30
यहां द्वितीय विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत वैश्चिक सहिष्णुता में विश्वास रखता है और सभी धर्मों को स्वीकार करता है।
शिकागो, 10 सितंबरः हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों की रक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कुछ लोग हिंदू शब्द को ‘‘अछूत’’ तथा ‘‘असहनीय’’ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जैसे संतों की दिखाई राह पर चलकर हिंदू धर्म के सच्चे मूल्यों की रक्षा करने की जरूरत है ताकि ‘‘अल्प-जानकारी’’ के कारण बनी राय को बदला जा सके।
यहां द्वितीय विश्व हिंदू कांग्रेस (डब्ल्यूएचसी) के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत वैश्चिक सहिष्णुता में विश्वास रखता है और सभी धर्मों को स्वीकार करता है।
तीन दिवसीय डब्ल्यूएचसी का समापन समारोह उसी दिन हुआ जब 125 वर्ष पहले शिकागो में वर्ष 1893 में स्वामी विवेकानंद ने ऐतिहासिक भाषण दिया था। इसमें करीब 60 देशों से 250 वक्ता और 2,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
नायडू ने हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदू दर्शन के मूल में है साझा करना और देखभाल करना। उन्होंने इस बात पर दुख जताया कि (हिंदू धर्म के बारे में) बहुत दुष्प्रचार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग हिंदू शब्द को अछूत और असहनीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए मौजूदा परिदृश्य में उन मूल्यों को साफ-साफ देखने की जरूरत है जो इन विचारों को सही रूप में प्रस्तुत कर सकें और विश्व के समक्ष इन्हें पूरे प्रामाणिक रूप में ला सकें,’’ विश्वसनीय दृष्टिकोण आने से विकृति और गलत नजरिए अपनी पकड़ नहीं बना सकेंगे।
उप राष्ट्रपति ने यह स्वीकार किया कि समाज में कुछ खामियां आई हैं जिनसे समाज सुधारकों को निबटने की जरूरत है। कि हिंदू धर्म प्रकृति के साथ तालमेल में रहना सिखाता है और ‘‘इस अमूल्य धरोहर को सच्चा राष्ट्रवाद ही सुरक्षित रख सकता है।’’ महिलाओं के सशक्तिकरण और सम्मान को हिंदुत्व का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वामीजी हिंदू संस्कृति का मूर्त रूप थे। उन्होंने 11 सितंबर 1893 को अपने उद्घाटन भाषण में कहा था कि हमारे देश ने पूरी दुनिया को सहिष्णुता और वैश्विक स्वीकार्यता का पाठ सिखाया है।’’
उप राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ अभूतपूर्व बदलाव से गुजर रही दुनिया में हमें भरोसेमंद नेतृत्व तथा धार्मिक दिशासूचक की आवश्यकता है। भारत दुनिया को यह दे सकता है। कड़वाहट से भरे विश्व को भारत अलग-अलग पुष्पों से एकत्र मधु रूपी ज्ञान दे सकता है।’’
उन्होंने कहा कि जैसा कि विवेकानंद ने शिकागो में कहा था, ‘‘ हमारे देश ने दुनिया को सहिष्णुता और वैश्विक स्वीकार्यता का पाठ सिखाया है,’’ उसी तरह भारत ‘‘ वैश्विक सहिष्णुता में विश्वास करने के साथ ही सभी धर्मों को सच मानता है।’’
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को विश्व हिंदू कांग्रेस कहा जाता है लेकिन सही मायनों में हिंदुत्व है क्या? जैसा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, ‘‘ हिंदू धर्म की व्याख्या करना असंभव नहीं तो कम से कम मुश्किल तो लगता ही है।’’
नायडू ने राधाकृष्णन को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘ दुनिया के अन्य धर्मों के विपरीत हिंदू धर्म में कोई पैगंबर नहीं है, इसमें किसी एक ईश्वर को नहीं पूजा जाता, कोई एक धर्मसिद्धांत नहीं है, इसमें केवल एक ही प्रकार के धार्मिक रीति-रिवाजों या क्रियाओं का पालन नहीं किया जाता, बल्कि ऐसा नहीं लगता कि इसमें किसी धर्म या पंथ की संकीर्ण परंपरागत विशिष्टताओं को संतुष्ट किया जा रहा हो। इसकी व्याख्या कुछ और नहीं तो मोटे तौर पर जीवन जीने के तरीके के रूप में की जा सकती है।’’
उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा कि वह अपनी मातृभाषा और संस्कृति की रक्षा करें। अगली विश्व हिंदू कांग्रेस नवंबर 2022 में बैंकॉक में होगी। इलिनोइस के गवर्नर ने 11 सितंबर 2018 को स्वामी विवेकानंद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।