कुरैशी ताजिकिस्तान में हर्ट ऑफ एशिया सम्मेलन मे जायेंगे, हो सकती है जयशंकर से भेंटवार्ता

By भाषा | Updated: March 23, 2021 18:49 IST2021-03-23T18:49:30+5:302021-03-23T18:49:30+5:30

Qureshi to attend Heart of Asia conference in Tajikistan, may meet Jaishankar | कुरैशी ताजिकिस्तान में हर्ट ऑफ एशिया सम्मेलन मे जायेंगे, हो सकती है जयशंकर से भेंटवार्ता

कुरैशी ताजिकिस्तान में हर्ट ऑफ एशिया सम्मेलन मे जायेंगे, हो सकती है जयशंकर से भेंटवार्ता

(साजिद हुसैन)

इस्लामाबाद, 23 मार्च पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ‘हर्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस महीने के आखिर में ताजिकिस्तान जायेंगे और उस कार्यक्रम में उनके भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के भी पहुंचने की संभावना है । ऐसे में, पाकिस्तानी सेना के शांति रूझानों के बीच दोनों के बीच बैठक की अटकलें लगने लगी हैं। यहां मीडिया ने यह खबर दी।

हालांकि भारत से इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है कि जयशंकर इस सम्मेलन के लिए ताजिकिस्तान जायेंगे या नहीं और यह कि उनकी पाकिस्तानी समकक्ष के साथ बैठक होने की संभावना है या नहीं।

हर्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल प्रोसेस का नौवां मंत्री स्तरीय सम्मेलन ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में 30 मार्च, 2021 को होगा।

डॉन अखबार ने खबर दी कि हाल के घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में 30 मार्च के इस कार्यक्रम में जयशंकर और कुरैशी की भागीदारी से ऐसी अटकलें हैं कि वे बैठक कर सकते हैं।

अखबार ने एक अधिकारी के हवाले से लिखा, ‘‘ हाल के घटनाक्रम के मद्देनजर हम यह नहीं कह सकते कि यह असंभव है।’’

भारत और पाकिस्तान की सेनाओं ने 25 फरवरी को घोषणा की थी कि वे जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा एवं अन्य सेक्टरों में संघर्ष-विराम के सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करने पर राजी हुई हैं।

अठारह मार्च को पाकिस्तान के प्रभावशाली सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के लिए यह ‘अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने’’ का समय है।

यहां पहले इस्लामाबाद सिक्युरिटी डॉयलाग में जनरल बाजवा ने यह भी कहा था कि क्षेत्रीय शांति एवं विकास की संभावना हमेशा ही भारत और पाकिस्तान के बीच के विवादों की बंधक रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम महसूस करते हैं कि यह अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढने का समय है।’’ हालांकि उन्होंने सार्थक वार्ता की जिम्मेदारी भारत के पाले में डाल दी।

भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह आतंक, शत्रुता और हिंसा से मुक्त माहौल में पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी जैसा संबंध चाहता है और ऐसा माहौल पैदा करने की जिम्मेदार पाकिस्तान की है।

वर्ष 2016 में पठानकोट वायुसेना स्टेशन और बाद में उरी में भारतीय सेना के शिविर पर हुए आतंकवादी हमले के चलते दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़ गये थे। फिर 2019 में पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत के जंगी विमानों द्वारा जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमले के बाद रिश्ते और खराब हो गए थे।

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