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क्वाड नेताओं ने ‘मुक्त’ और ‘समावेशी’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई

By भाषा | Updated: September 25, 2021 12:22 IST

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(ललित के झा)

वाशिंगटन, 25 सितंबर क्वाड नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को “मुक्त एवं स्वतंत्र” और “समावेशी एवं लचीला” बनाने की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा कि चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाज़ी का गवाह बन रहा यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र उनकी साझा सुरक्षा और समृद्धि का आधार है।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन, जापानी प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को अपने पहले व्यक्तिगत क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद इसे अपनी और पूरी दुनिया को हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर फिर से ध्यान देने का अवसर बताया।

क्वाड नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा, “साथ मिलकर, हम स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून में निहित है और बिना किसी दबाव के, हिंद-प्रशांत और उससे आगे की सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं।”

बयान में कहा गया, “हम विधि के शासन, नौवहन की स्वतंत्रता और ऊपर से विमानों को गुजरने देने की अनुमति देने, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, लोकतांत्रिक मूल्यों, देशों की क्षेत्रीय अखंडता के समर्थक हैं।”

क्वाड नेताओं ने आसियान की एकता और केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण के लिए अपने मजबूत समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने कहा, “हम व्यावहारिक और समावेशी तरीकों से आसियान और उसके सदस्य देशों - हिंद-प्रशांत क्षेत्र का केंद्र - के साथ काम करने के प्रति अपने समर्पण को रेखांकित करते हैं। हम हिंद-प्रशांत में सहयोग के लिए सितंबर 2021 की यूरोपीय संघ की रणनीति का भी स्वागत करते हैं।”

क्वाड नेताओं ने कहा, “इस ऐतिहासिक अवसर पर हम अपनी साझेदारी के लिए, और एक ऐसे क्षेत्र के लिए फिर से प्रतिबद्ध हैं जो हमारी साझा सुरक्षा और समृद्धि का आधार है - एक स्वतंत्र और खुला हिंद-प्रशांत, जो समावेशी और लचीला भी है।”

भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, खुले और संपन्न हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में बात कर रही हैं।

चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर क्षेत्र पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर अपना-अपना दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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