दावोस सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा- हमारी लाइफ स्टाइल है क्लाइमेट के लिए बड़ी चुनौती
By रुस्तम राणा | Published: January 17, 2022 09:26 PM2022-01-17T21:26:13+5:302022-01-17T21:28:31+5:30
उन्होंने कहा, हमें ये मानना होगा कि हमारी लाइफ स्टाइल भी क्लाइमेट के लिए बड़ी चुनौती है।‘थ्रो अवे’ कल्चर और कंज्यूमरिज्म ने क्लाइमेट चेंज को और गंभीर बना दिया है।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को विश्व आर्थिक मंच के दावोस सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया। दावोस सम्मेलन को संबोधित करते हुए हमारी लाइफ स्टाइल को पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती बताया है। उन्होंने कहा, हमें ये मानना होगा कि हमारी लाइफ स्टाइल भी क्लाइमेट के लिए बड़ी चुनौती है।‘थ्रो अवे’ कल्चर और कंज्यूमरिज्म ने क्लाइमेट चेंज को और गंभीर बना दिया है।
इससे पहले पीएम मोदी ने कहा, भारत ने दुनिया को एक उम्मीद का गुलदस्ता दिया है। पीएम मोदी ने कहा इस गुलदस्ता में 21वीं सदी को सशक्त करने वाली तकनीकी है। इस गुलदस्ता में हम भारतीयों का स्वभाव और टैलेंट है। इस गुलदस्ता में हम भारतीयों का डेमोक्रेसी पर अटूट विश्वास है। उन्होंने कहा, कोरोना के इस समय में हमने देखा है कि कैसे भारत ‘वन अर्थ, वन हैल्थ’ के विजन पर चलते हुए, अनेकों देशों को जरूरी दवाइयां देकर, वैक्सीन देकर, करोड़ों जीवन बचा रहा है। आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा फार्मा प्रोड्यूसर है।
उन्होंने कहा, आज भारत, दुनिया में रिकॉर्ड सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स भेज रहा है। 50 लाख से ज्यादा सॉफ्टवेयर डेवलेपर्स भारत में काम कर रहे हैं। आज भारत में दुनिया में तीसरे नंबर के सबसे ज्यादा यूनीकॉर्न (Unicorns) हैं। 10 हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप्स पिछले 6 महीने में रजिस्टर हुए हैं। आज भारत के पास विश्व का बड़ा, सुरक्षित और सफल डिजीटल पेमेंट्स प्लेटफॉर्म है। सिर्फ पिछले महीने की ही बात करूं तो भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface) के माध्यम से 4.4 बिलियन हस्तांतरण हुए हैं।
देश के प्रधानमंत्री ने ग्लोबल मंच में कहा, आज भारत ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को बढ़ावा दे रहा है, सरकार के दखल को कम से कम कर रहा है। भारत ने अपने कॉरपोरेट टेक्स रेट को सरलीकरण करके, कम करके, उसे दुनिया में अधिक कॉम्प्टीटिव बनाया है। भारतीयों में नवाचार की, नई टेक्नोलॉजी को स्वीकार करने की जो क्षमता है, इंटरप्रिनियोरशिप की जो स्पिरिट है, वो हमारे हर ग्लोबल पार्टनर को नई ऊर्जा दे सकती है। इसलिए भारत में इन्वेस्टमेंट का ये सबसे सबसे अच्छा समय है।
उन्होंने कहा, भारतीय युवाओं में आज इंटरप्रिनियोरशिप एक नई ऊंचाई पर है। 2014 में जहां भारत में कुछ सौ रजिस्टर्ड स्टार्ट अप थे। वहीं आज इनकी संख्या 60 हजार के पार हो चुकी है। इसमें भी 80 से ज्यादा यूनिकॉर्न्स हैं, जिसमें से 40 से ज्यादा तो 2021 में ही बने हैं। आत्मनिर्भरता के रास्ते पर चलते हुए भारत का फोकस सिर्फ प्रोसेस को आसान करने पर ही नहीं है, बल्कि निवेश और प्रोडक्शन को इन्सेन्टीवाइज करने पर भी है। इसी अप्रोच के साथ आज 14 सेक्टर्स में 26 बिलियन डॉलर की प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव स्कीम्स लागू की गई हैं।
पीएम ने कहा, आज भारत वर्तमान के साथ ही अगले 25 वर्षों के लक्ष्य को लेकर नीतियां बना रहा है, निर्णय ले रहा है। इस कालखंड में भारत ने हाई ग्रोथ के वेलफेयर और वेलनेस की परिपूर्णता के लक्ष्य रखे हैं। ग्रोथ का ये कालखंड ग्रीन भी होगा, क्लीन भी होगा, सतत भी होगा, विश्वास योग भी होगा।
उन्होंने कहा, आज की जो ‘टेक-मेक-यूज-डिस्पोज’ इकॉनोमी है, उसको तेज़ी से सर्कुलर इकॉनोमी की तरफ बढ़ाना बहुत ज़रूरी है। मिशन लाइफ का ग्लोबल मास मूवमेंट बनना ज़रूरी है। लाइफ जैसे जनभागीदारी के अभियान को हम P-3, ‘प्रो प्लेनेट पीपुल’ का एक बड़ा आधार भी बना सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा, आज ग्लोबल ऑर्डर में बदलाव के साथ ही एक वैश्विक परिवार के तौर पर हम जिन चुनौतियों का सामना करते रहे हैं, वो भी बढ़ रही हैं। इनसे मुकाबला करने के लिए हर देश, हर वैश्विक एजेंसी द्वारा कलेक्टिव और सिंक्रोनाइज्ड एक्शन की जरूरत है।
उन्होंने आगे कहा, आज वैश्विक परिदृष्य को देखते हुए, सवाल ये भी है कि बहुपक्षीय संगठन, नए वर्ल्ड ऑर्डर और नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं? जब ये संस्थाएं बनी थीं, तो स्थितियां कुछ और थीं। आज परिस्थितियां कुछ और हैं। इसलिए हर लोकतांत्रित देश का ये दायित्व है कि इन संस्थाओं में सुधार पर बल दे ताकि इन्हें वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सके।