पाकिस्तान: आतंकवाद को वित्त पोषण के दो मामलों में हाफिज सईद को 11 साल की कैद
By भाषा | Published: February 13, 2020 06:45 AM2020-02-13T06:45:24+5:302020-02-13T06:45:24+5:30
यह सजा ऐसे समय में दी गयी है जब फ्रांस की राजधानी पेरिस में चार दिन बाद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक होने वाली है जहां पाकिस्तान को काली सूची में शामिल होने से बचने के लिए अपना पक्ष रखना है।
मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तथा कुख्यात आतंकवादी एवं जमात उद दावा प्रमुख हाफिज सईद को पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने आतंकवाद को वित्त पोषण करने के दो मामलों में बुधवार को 11 साल के कैद तथा 30 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनायी है। यह सजा ऐसे समय में दी गयी है जब फ्रांस की राजधानी पेरिस में चार दिन बाद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक होने वाली है जहां पाकिस्तान को काली सूची में शामिल होने से बचने के लिए अपना पक्ष रखना है।
संयुक्तराष्ट्र से आतंकवादी घोषित सईद को पिछले साल 17 जुलाई को आतंकवाद के वित्त पोषण के मामले में गिरफ्तार किया गया था । वह उच्च सुरक्षा वाले लाहौर के कोट लखपत जेल में बंद है। अमेरिका ने सईद पर एक करोड़ डालर का इनाम भी रखा है । आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश अरशद हुसैन भुट्टा ने सईद एवं उसके करीबी सहयोगी जफर इकबाल को साढे पांच साल के कारावास की सजा सुनायी गयी है एवं 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
दोनों मामलों में कुल 11 साल की सजा साथ साथ चलेगी । सईद एवं इकबाल को दो मामलों में यह सजा सुनायी गयी है जो लाहौर एवं गुजरांवाला में पंजाब पुलिस के काउंटर टेररिज्म विभाग के आवेदन पर दर्ज किया गया था । उप महाभियोजक अब्दुल रऊफ वट्टू ने बताया कि अदालत ने दोनों मामलों में सईद को साढ़े पांच साल - साढ़े पांच साल कैद की सजा सुनायी है तथा 15-15 हजार का जुर्माना भी लगाया है।
अधिकारी ने बताया कि दोनों मामलों में सजा साथ साथ चलेगी । अदालत के एक अन्य अधिकारी ने बताया, ‘‘जब एटीसी न्यायाधीश ने सजा का ऐलान किया तो सईद शांत था ।’’ संवाददाताओं से बातचीत करते हुए सईद के अधिवक्ता इमरान फजल गिल ने कहा कि जमात प्रमुख को सजा का ऐलान एफएटीएफ के दवाब का परिणाम है । उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग एटीसी के फैसले से दुखी हैं और इसे लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) में चुनौती देंगे । उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष के सभी गवाह अदालत में मौजूद थे और सईद एवं इकबाल के खिलाफ किसी आरोप को साबित नहीं कर सके ।
गिल ने कहा, ‘‘सईद एवं इकबाल के खिलाफ एटीसी का फैसला कमजोर आधार पर दिया गया है और हमें उम्मीद है कि उच्च न्यायालय से राहत मिलेगी ।’’ आतंकवाद निरोधक अदालत ने आतंकवाद को वित्त पोषण करने के मामलों की रोजाना सुनवाई करते हुए 11 दिसंबर को सईद एवं उसके एक सहयोगी को दोषी करार दिया था । पिछले शनिवार को लाहौर आतंकवाद निरोधक अदालत (एटीसी) के न्यायाधीश भुट्टा ने सईद के खिलाफ आतंकवाद को वित्त पोषण के दोनों ममलों में सजा को 11 फरवरी तक टाल दिया था । हालांकि, वट्टू ने बुधवार की सुबह एटीसी में एक आवेदन देकर दोनों मामलों में सईद के खिलाफ फैसला सुनाने का आग्रह किया था ।
दोनों मामलों में अभियोजन पक्ष ने एटीसी में 20 या इससे अधिक गवाह पेश किये जिन्होंने सईद और उसके सहयोगी के खिलाफ गवाही दी । सईद ने दोनों मामलों में अपनी गलती नहीं स्वीकारी । लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के वित्त पोषण को रोकने में विफल रहने के कारण एफएटीएफ ने पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ में रखने का निर्णय किया था ।
अगर पाकिस्तान अप्रैल तक इस सूची से नहीं निकलता है तो उसे काली सूची में डाला जा सकता है जिसे ईरान की तरह गंभीर आर्थिक प्रतिबंध झेलना पड़ सकता है । काउंटर टेररिज्म विभाग ने सईद और उसके साथियों के खिलाफ 23 मामले दर्ज किये हैं । उनके खिलाफ पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में आतंकवाद का वित्त पोषण करने का आरोप है । सईद के खिलाफ ये मामले लाहौर, गुजरांवाला एवं मुल्तान में दर्ज किये गये थे । उसके खिलाफ विभिन्न न्यासों एवं संपत्तियों के माध्यम से आतंकवाद के वित्त पोषण के लिए कोष उगाही करने का आरोप था । इन न्यासों में अल अंफाल ट्रस्ट, दावतुल इरशाद ट्रस्ट, मुआज बिन जबाल ट्रस्ट आदि शामिल है ।
काउंटर टेररिज्म विभाग (सीटीडी) के अनुसार प्रतिबंधित संगठनों -जमात उद दावा एवं लश्कर ए तैयबा - के खिलाफ वित्त पोषण के मामले में सईद एवं संबंधित संगठनों के खिलाफ संयुक्तराष्ट्र के प्रतिबंधों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी के निर्देश पर जांच शुरू की गयी थी । प्रधानमंत्र इमरान खान की अध्यक्षता में नेशनल एक्शन प्लान को लागू करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कमेटी की एक जनवरी 2019 को यहां बैठक हुई थी, इसी बैठक में यह निर्देश दिया गया था ।
सईद के जमात उद दावा के बारे में माना जाता है कि वह लश्कर ए तैयबा का सहायक संगठन है, जो मुंबई में 2008 में हुए आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार है। इस हमले में छह अमेरिकी समेत 166 लोगों की मौत हो गयी थी । अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने सईद को ‘स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट’ करार दिया था और अमेरिका ने उस पर 2012 से एक करोड़ अमेरिकी डालर का इनाम घोषित किया था । सईद को कोट लखपत जेल में कैद में भेजा जाएगा जहां वह पिछले साल जुलाई से हिरासत में है।