ऑनलाइन दुरुपयोग: अनाम सोशल मीडिया खातों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं

By भाषा | Published: October 21, 2021 06:20 PM2021-10-21T18:20:27+5:302021-10-21T18:20:27+5:30

Online abuse: Banning anonymous social media accounts is not the solution | ऑनलाइन दुरुपयोग: अनाम सोशल मीडिया खातों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं

ऑनलाइन दुरुपयोग: अनाम सोशल मीडिया खातों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं

(हैरी टी डाइर, शिक्षा व्याख्याता, यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंगलिया)

नॉर्विच (यूके), 21 अक्टूबर (कन्वरसेशन) साउथेंड वेस्ट के संसद सदस्य डेविड एम्स की दुखद मौत के मद्देनजर, साथी सांसद इस बारे में बात कर रहे हैं कि राजनीतिक नेताओं और जनता दोनों को दुर्व्यवहार एवं नुकसान से कैसे बचाया जाए।

इसमें ऑनलाइन दुरुपयोग को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों को लागू करने पर एक मजबूत केंद्रबिंदु शामिल है, भले ही पुलिस ने एम्स की हत्या को सीधे इस मुद्दे से नहीं जोड़ा है।

ऐसा कहा जाता रहा है कि इस तरह का दुरुपयोग कम से कम आंशिक रूप से ऑनलाइन नाम उजागर न करने की वजह से हो सकता है - यानी, कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ता उपनामों का उपयोग करके अपने एकाउंट सेट करते हैं, और बिना तस्वीरों के यह प्रकट करते हैं कि वे कौन हैं, ताकि उनकी पहचान छिपी रहे।

स्काई न्यूज से बातचीत में गृह मंत्री प्रीति पटेल ने संकेत दिया कि अनाम खातों से संबंधित समस्या से निपटने की आवश्यकता है। यह पूछे जाने पर कि क्या वह सोशल मीडिया पर नाम न उजागर न करने संबंधी अधिकार को हटाने के लिए कानून पर विचार करेंगी, पटेल ने जवाब दिया:

मैं चाहती हूं कि हम सब कुछ देखें। और पहले से ही काम हो रहा है लेकिन हम इस तरह आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

मैं वास्तव में उन समुदायों के साथ बहुत अधिक समय बिताती हूं जिन पर मूल रूप से हमला किया गया है, जिन्होंने सभी प्रकार के पोस्ट ऑनलाइन रखे हैं, और उन पोस्ट को हटाने के लिए यह एक संघर्ष है। हम इसमें कुछ बड़े बदलाव करना चाहते हैं।

फिर भी यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया और उसके साथ हम कैसे जुड़ते हैं, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, नाम न बताने संबंधी चीज को हटाने से ऑनलाइन दुरुपयोग की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। वास्तव में, ऑनलाइन नाम न बताने के अधिकार को हटाने से कई उपयोगकर्ताओं को नुकसान हो सकता है, विशेषकर उनको जो वंचित समूहों से हैं।

नाम उजागर न करना सुरक्षा का प्रकार है।

हालांकि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोग अनाम सोशल मीडिया खातों का उपयोग दूसरों को ऑनलाइन गाली देने के लिए करते हैं, यह भी उतना ही स्पष्ट है कि नाम उजागर न करना कई उपयोगकर्ताओं और समुदायों के लिए एक जीवन रेखा हो सकता है। अनाम रूप से पोस्ट करने से लोग अपनी रक्षा कर सकते हैं - जटिल विषयों पर खुले तौर पर चर्चा कर सकते हैं और संबंधित मुद्दे से सुरक्षित रूप से निपट सकते हैं। यह लोगों को दुर्व्यवहार के बारे में बोलने और जानकारी प्राप्त करने की अनुमति दे सकता है।

उदाहरण के लिए, एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदायों में सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने ऑनलाइन नाम उजागर न करने के महत्व के बारे में बात की है, जो कामुकता की चर्चाओं पर सुरक्षित रूप से बातचीत करने का एक तरीका है, जहां उनके नाम का खुलासा करने से उन्हें ऑनलाइन और ऑफलाइन दुरुपयोग तथा नुकसान का महत्वपूर्ण जोखिम हो सकता है।

कुछ ने कहा कि नाम उजागर न करने से उन्हें मूल्यवान जानकारी तक ऑनलाइन पहुंच मिली क्योंकि उन्होंने अपनी पहचान को नेविगेट किया।

सोशल मीडिया डिज़ाइन और पहचान के बारे में मेरी 2020 की किताब के लिए मेरे अपने शोध में, मेरे प्रतिभागियों ने उन कई तरीकों के बारे में बात की जिनसे उन्हें लगा कि नाम उजागर न करने से उन्हें समुदाय की भावना विकसित करने में मदद मिली है।

इनमें एक प्रतिभागी ने चर्चा की कि कैसे अन्य लोगों के साथ छद्म शब्दों का उपयोग करते हुए कमेंट बोर्ड के माध्यम से सामाजिक संबंध बनाए गए: "मुझे उन सभी के बारे में कुछ बहुत ही व्यक्तिगत चीजें पता हैं, इस तथ्य के अलावा कि मुझे उनके नाम मालूम नहीं हैं।"

वहीं, उत्तरदाताओं ने अनाम उपयोगकर्ताओं से ऑनलाइन दुरुपयोग की घटनाओं के बारे में बात की, जिससे यह स्पष्ट था कि समान रूप से, नाम उजागर न किए जाने से समुदायों के निर्माण और नेटवर्क का समर्थन करने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

वास्तविक नामों पर जोर देने से पहले से ही हाशिए पर पड़े समुदायों और उपयोगकर्ताओं के लिए बाधाएं और चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं जिनके लिए "असली नाम" एक जटिल मुद्दा है। इनमें लैंगिक गैर-अनुरूपता वाले उपयोगकर्ता, ड्रैग क्वीन, मूल अमेरिकी और दुर्व्यवहार से बचे लोग शामिल हैं।

अनाम स्थिति का इस्तेमाल महिलाओं, एलजीबीटीक्यूआईए + लोगों और मुसलमानों जैसे "अन्य" समूहों से दुर्व्यवहार के लिए किया जा सकता है।

हालांकि, शोध से पता चलता है कि अपने असली नाम का इस्तेमाल करने वाले लोग भी गाली-गलौज और बदमाशी करते हैं।

सोशल मीडिया पर हम देखते हैं कि उपयोगकर्ता अपमानजनक बातें कहने के लिए तैयार हैं और खतरनाक सामग्री को उनके पूरे नाम, शीर्षक और प्रदर्शन पर जानकारी के साथ साझा करते हैं।

इसलिए अनाम सोशल मीडिया प्रोफाइल पर प्रतिबंध लगाने से उस नफरत की जड़ का पता नहीं चलेगा जो हम ऑनलाइन देखते हैं, चाहे वह हाशिए पर रहने वाले समुदायों या सांसदों के लिए हो।

शोध से पता चलता है कि महिला सांसदों पर केंद्रित ऑनलाइन दुर्व्यवहार के तहत अश्वेत और एशियाई महिला सांसदों को सबसे अधिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, यह सुझाव देते हुए कि नाम उजागर न करने का मुद्दा शायद दुर्व्यवहार का मूल कारण नहीं है, बल्कि गहरे सामाजिक मुद्दों को ऑनलाइन प्रकट करने का एक तरीका है। कैटरीन टिडेनबर्ग और एमिली वैन डेर नागेल ने अपनी पुस्तक सेक्स एंड सोशल मीडिया में लिखा है:

नाम उजागर हो या नहीं, लोग मौजूदा पोस्ट और टिप्पणियों को देखते हैं कि किसी विशेष ऑनलाइन स्थान में किस चीज की अनुमति है और उसके अनुसार व्यवहार करते हैं। यह केवल अनाम लोगों के अच्छे नहीं होने की बात नहीं है: प्लेटफ़ॉर्म डिज़ाइन और मॉडरेशन की सोशल मीडिया पर किस तरह के व्यवहार की अनुमति है, इसके साथ बहुत कुछ है।

मैं इससे सहमत हूं, और मंचों से उन समुदायों के लिए अधिक जिम्मेदारी लेने का मेरा आह्वान है जिन्हें वे बढ़ावा देते हैं, और जिन आवाजों तथा तर्कों पर वे जोर देते हैं।

हालांकि ऑनलाइन दुरुपयोग से निपटने के लिए राजनीतिक नेताओं की इच्छा को देखना नया है, लेकिन नाम को अनाम रखने पर प्रतिबंध लगाना इसका समाधान नहीं है। नाम उजागर न करना पहले से ही हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा हो सकता है, और इसे हटाने से अनजाने में उन समुदायों को नुकसान हो सकता है जिन्हें सांसद बचाना चाहते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Online abuse: Banning anonymous social media accounts is not the solution

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