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ओमीक्रोन प्रभावित दक्षिण अफ्रीका भविष्य की झलक हो सकता है

By भाषा | Updated: December 4, 2021 09:49 IST

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जोहानिसबर्ग, चार दिसंबर (एपी) डॉ सिखुलीले मोयो पिछले हफ्ते बोत्सवाना में अपनी प्रयोगशाला में कोविड-19 के नमूनों का विश्लेषण कर रहे थे, जब उन्होंने देखा कि ये नमूने दूसरों से आश्चर्यजनक रूप से अलग दिख रहे थे।

कुछ ही दिनों में, दुनिया इस खबर से हिल उठी कि कोरोना वायरस का एक चिंताजनक नया स्वरूप सामने आया है, एक ऐसा स्वरूप जिससे दक्षिण अफ्रीका में कोविड के मामलों में नाटकीय उछाल देखा जा रहा है और जो इस बारे में एक झलक पेश कर रहा है कि वैश्विक महामारी अब किस दिशा में बढ़ रही है।

दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 के नये मामले नवंबर के मध्य में प्रतिदिन लगभग 200 से बढ़कर शुक्रवार को 16,000 से अधिक हो गए। स्वास्थ्य मंत्री जो फाहला ने कहा कि देश के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत गौतेंग में एक हफ्ते पहले ओमीक्रोन का पता चला था और तब से यह सभी आठ अन्य प्रांतों में फैल गया है।

तेजी से बढ़ने के बावजूद, संक्रमण के नए दैनिक मामले अभी भी 25,000 से नीचे है जो दक्षिण अफ्रीका में जून और जुलाई में पिछली लहर के दौरान देखने को मिले थे।

ओमीक्रोन की पहचान करने वाले संभवत: पहले व्यक्ति, वैज्ञानिक मोयो ने कहा कि नए स्वरूप के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन दक्षिण अफ्रीका में वृद्धि से पता चलता है कि यह अधिक संक्रामक हो सकता है।

ओमीक्रोन में 50 से अधिक परिवर्तन (म्यूटेशन) हैं, और वैज्ञानिकों ने इसे वायरस के विकास में एक बड़ा उछाल कहा है।

फाहला ने कहा कि जिन लोगों को टीका लगाया गया है, उनमें से केवल कुछ ही लोग बीमार हुए हैं, जिनमें ज्यादातर हल्की बीमारी के मामले हैं, जबकि अस्पताल में भर्ती होने वालों में से अधिकतर को टीका नहीं लगा हुआ था।

लेकिन एक चिंताजनक घटनाक्रम में, दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने पाया है कि ओमीक्रोन पहले के स्वरूप की तुलना में उन लोगों में पुन: संक्रमण का कारण बन रहा है, जिनको पहले से कोविड हो चुका है।

हालांकि, वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि टीका अब भी गंभीर संक्रमण के खिलाफ कारगर होगा।

इस बीच, मोयो ने एक साक्षात्कार में दक्षिण अफ्रीका पर लगाए प्रतिबंधों पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा, “आप इस तरह से विज्ञान को सम्मानित करते हैं? देशों को ब्लैकलिस्ट करके?’’

उन्होंने कहा, "वायरस पासपोर्ट नहीं जानता है, यह सीमाओं को नहीं जानता है।" "हमें वायरस को लेकर भू-राजनीति नहीं करनी चाहिए। ... हमें सहयोग करना चाहिए और समझना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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