नोबेल विजेता वीएस नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में निधन

By पल्लवी कुमारी | Published: August 12, 2018 08:49 AM2018-08-12T08:49:21+5:302018-08-12T08:49:21+5:30

2008 में द टाइम्‍स ने 50 महान ब्रिटिश लेखकों की सूची में नायपॉल को सातवां स्‍थान दिया गया था। खास बात यह थी कि इस सूची में 1945 से बाद की कृतियों को जगहों दी जानी थी। 

Nobel prize winning writer V S Naipaul passes away at 85 in London | नोबेल विजेता वीएस नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में निधन

नोबेल विजेता वीएस नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में निधन

लंदन, 12 अगस्त: भारतीय मूल के लेखक और नोबेल पुरस्कार विजेता सर विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल का 85 वर्ष की उम्र में लंदन में निधन हो गया। ब्रिटिश नागरिक नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज और 2001 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1990 में नायपॉल को नाइटहुड से सम्मानित किया गया था। नायपॉल के निधन पर उनकी पत्नी नादिरा नायपॉल ने कहा, "वो जो चाहते थे उसमें उन्होंने वृहद उपलब्धि हासिल की। वह अपने अंतिम क्षण में उन लोगों के साथ थे जो उनसे काफी प्यार करते थे।”

नायपॉल के निधन पर भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सर सलमान रश्दी ने कहा, “हम ताउम्र एक दूसरे से असहमत रहे, राजनीति और साहित्य हर विषय पर लेकिन आज मैं उतना ही दुखी महसूस कर रहा हूँ जितना कोई अपने सगे भाई की मौत पर करता है।” वीएस नायपॉल जन्म 17 अगस्त सन 1932 को त्रिनिदाद में हुआ था। वीएस नायपॉल के पूर्वज प्रवासी मजदूर के रूप में भारत से त्रिनिदाद गए थे और वहीं रह गए। नायपॉल की शिक्षा-दीक्षा इंग्‍लैंड में हुई और वह अंतिम समय तक लंदन में ही रहे।

अपने छह दशकों से लम्बे साहित्यिक जीवन में नायपॉल ने नॉवेल और यात्रा वृतांतों से अपार लोकप्रियता और सम्मान अर्जित किया। उनका पहला नॉवेल 'द मिस्टिक मसर' 1957 में प्रकाशित हुआ था।‘अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास’ (1961), ‘एन एरिया ऑफ डार्कनेस’(1964), इन ए फ्री स्टेट’ (1971), अ बेंड इन द रिवर’ (1979), ’इंडिया: अ वुंडेड सिविलाइजेशन’ (1977), अ कांगो डायरीज (1980), अमॉन्ग द बिलिवर्स (1981) उनकी सबसे मशहूर किताबें हैं। इन ए फ्री स्टेट’ (1971) के लिए उन्हें बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

मशहूर पत्रिका द टाइम्‍स ने साल 2008 में 50 महान ब्रिटिश लेखकों की सूची में नायपॉल को सातवां स्‍थान दिया था। इस सूची में दूसरे विश्व युद्ध (1945) के बाद प्रकाशित कृतियों के लेखकों को जगहों दी गयी थी। साहित्‍य के क्षेत्र में योगदान के लिए  नायपॉल को दुनियाभर में कई पुरस्‍करों से नवाजा गया था। उन्हें जॉन लिलवेलीन रीज पुरस्कार, दी सोमरसेट मॉघम अवार्ड, दी होवथोरडन पुरस्कार, दी डब्ल्यू एच स्मिथ साहित्यिक अवार्ड इत्यादि से सम्मानित किया गया था। 

नायपॉल ने पेट्रीसिया एन हेल से वर्ष 1955 में शादी की थी। 1972 में उनका मार्गरेट गूडिंग नाम महिला से प्रेम शुरू हुआ जो विवाह के समानांतर अगले ढाई दशकों तक जारी रहा। वर्ष 1996 में पेट्रीसिया के निधन के दो महीने बाद उन्होंने उम्र में करीब 20 साल छोटी पाकिस्तानी पत्रकार नादिरा अल्वी से विवाह कर लिया।

वीएस नायपॉल की कुछ उल्‍लेखनीय कृतियां

नायपॉल ने अपने जीवन में 30 से अधिक किताबें लिखीं। ‘द मिस्टिक मसर’ (1957), अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास' (1961), ’द मिमिक मेन’ (1967) , ‘इन ए फ्री स्टेट’ (1971) , गुरिल्लाज’ (1975), ए बेंड इन द रिवर’ (1979), ’इंडिया: अ वुंडेड सिविलाइजेशन’ (1977), ‘अ कांगो डायरीज (1980), अमॉन्ग द बिलिवर्स (1981), ‘द इनिग्मा ऑफ अराइवल‘ (1987), ‘ए वे इन वर्ल्ड’ (1994) , ‘बियॉन्ड बिलिफ : इस्लामिक एक्सकर्जन अमंग द कन्वर्टेड पीपुल्स’ (1998), ‘हॉफ ए लाइफ’ (2001), ‘द राइटर एंड द वर्ल्ड’ (2002), ‘लिटरेरी ऑकेजन्स (2003), ‘द नॉवेल मैजिक सीड्स’ (2004) आदि उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

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