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रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का आरोप, कहा- नाटो, चीन और भारत के बीच परेशानी पैदा करने की कोशिशों में लगा है

By शिवेंद्र राय | Updated: January 19, 2023 14:42 IST

सर्गेई लावरोव ने कहा है कि नाटो, चीन और भारत के बीच अत‍िरिक्‍त परेशानी पैदा करने की कोशिशों में लगा है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा है कि आर्थिक विकास के नए केंद्र उभर रहे हैं और पश्चिम इसे रोकने की कोशिश कर रहा है।

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ठळक मुद्देरूस के विदेश मंत्री का बड़ा आरोपनाटो, चीन और भारत के बीच परेशानी पैदा करने की कोशिशों में लगा है- सर्गेई लावरोवजापान का भी सैन्यीकरण किया जा रहा है- सर्गेई लावरोव

नई दिल्ली: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत-चीन संबंधों के लेकर नाटो देशों और अमेरिका पर बड़ा आरोप लगाया है। सर्गेई लावरोव ने कहा है कि नाटो, चीन और भारत के बीच अत‍िरिक्‍त परेशानी पैदा करने की कोशिशों में लगा है। रूसी विदेश मंत्री ने कहा, "नाटो सिर्फ यूरोपियन देशों तक ही सीमित नहीं है। जून 2022 में नाटो के मैड्रिड सम्‍मेलन में यह घोषणा की गई थी कि मिलिट्री ब्‍लॉक वह वादा है जो पूरे विश्‍व से किया गया है खासतौर पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र के संबंध में। इससे यह साफ है कि नाटो भारत और चीन के बीच रिश्‍ते तनावपूर्ण करने की कोशिशें कर रहा है।"

बता दें कि रूसी विदेश मंत्री ने ऐसा बयान पहली बार नहीं दिया है। इससे पहले दिसंबर 2022 में भी सर्गेई लावरोव चीन और भारत के बीच खराब रिश्‍तों के लिए नाटो को दोषी ठहरा चुके हैं। सर्गेई लावरोव ने आरोप लगाया कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के दबाव में जापान का भी सैन्यीकरण किया जा रहा है और जापान इसी वजह से अपने संविधान में बदलाव कर रहा है। 

सर्गेई लावरोव ने कहा, "नाटो देश अब अपना मिलिट्री ब्‍लॉक तैयार करने में लगे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है "एयूकेयूएस" जो एशिया में एक अलग ही ब्‍लॉक है जिसमें अमेरिका और यूके के साथ ही ऑस्‍ट्रेलिया भी शामिल है।"  लावरोव की मानें तो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नाटो और अमेरिका चीन और रूस के खिलाफ सैन्य गठबंधन खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं जिसका मकसद वर्षों से चली आ रही क्षेत्रीय व्यवस्था को बर्बाद करना है।

सर्गेई लावरोव ने आगे कहा, "चीन और भारत (हमारे रणनीतिक साझेदार), तुर्की, ब्राजील, अर्जेंटीना, मिस्र और कई अफ्रीकी देशों को देखें। ये देश आर्थिक रूप से विकसित हो रहे हैं। उनके अपार प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए उनकी विकास क्षमता बहुत अधिक है। आर्थिक विकास के नए केंद्र उभर रहे हैं और पश्चिम इसे रोकने की कोशिश कर रहा है।"

बता दें कि कुछ सालों से भारत और चीन के संबंध बेहद खराब हैं। भारत के एक तरफ जहां रूस से अच्छे संबंध हैं वहीं पश्चिमी देशों और अमेरिका से भी संबंधों में गर्मजोशी है। दूसरी तरप रूस और चीन घनिष्ठ सहयोगी हैं और नाटो और अमेरिका के खिलाफ हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े रहते हैं। 

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