म्यांमार से जान बचाकर भागे 150 से अधिक सैनिकों ने ली भारत में शरण, असम राइफल्स ने दी जरूरी सहायता
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: December 31, 2023 10:18 AM2023-12-31T10:18:11+5:302023-12-31T10:25:34+5:30
असम राइफल्स के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि म्यांमार में एक सशस्त्र जातीय समूह द्वारा भूभाग पर जबरन कब्जा किये जाने के बाद म्यांमार के सैनिकों ने जान बचाने के लिए भारत में शरण ली है।
नई दिल्ली:म्यांमार के लगभग 150 से अधिक सैनिकों को भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस संबंध में असम राइफल्स के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि म्यांमार में एक सशस्त्र जातीय समूह द्वारा भूभाग पर जबरन कब्जा किये जाने के बाद म्यांमार के सैनिकों ने जान बचाने के लिए भारत में शरण ली है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार असम राइफल्स के अधिकारी ने कहा कि विद्रोहियों के हमले से बचने के लिए सभी सैनिक म्यांमार से मिजोरम के लांग्टलाई जिले में भागकर प्रवेश कर गए।
उन्होंने कहा, "म्यांमार की सेना के जवान, जिन्हें 'टाटमाडॉ' के नाम से भी जाना जाता है। वह अपने हथियारों के साथ भागकर भारत में गए और शुक्रवार को लॉन्ग्टलाई जिले के तुइसेंटलांग में असम राइफल्स के पास पहुंचे। म्यांमार के जवानों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास उनके शिविरों पर अराकान सेना के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया है।"
सैन्य अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय सीमा के करीब के इलाकों में म्यांमार सेना और अराकान सेना के लड़ाकों के बीच बेहद भयंकर गोलाबारी हो रही थी।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को मिजोरम में प्रवेश करने वाले म्यांमार सेना के कुछ जवान गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें असम राइफल्स द्वारा प्राथमिक उपचार दिया गया। अधिकारी ने कहा कि म्यांमार के सैनिक अब म्यांमार सीमा के पास लॉन्ग्टलाई जिले के पारवा में असम राइफल्स की सुरक्षित हिरासत में हैं।
अधिकारी ने कहा कि म्यांमार के सैनिकों को कुछ दिनों में उनके देश वापस भेज दिया जाएगा और इस संबंध में विदेश मंत्रालय और म्यांमार की सैन्य सरकार के बीच बातचीत चल रही है।
मालूम हो कि इससे पहले भी बीते नवंबर में म्यांमार-भारत सीमा पर उनके सैन्य शिविरों पर लोकतंत्र समर्थक मिलिशिया पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) द्वारा कब्जा किए जाने के बाद कुल 104 म्यांमार सैनिक मिजोरम में आ गये थे।
उसके बाद उन्हें भारतीय वायुसेना द्वारा हवाई मार्ग से मणिपुर के मोरेह ले जाया गया, जहां से वे अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर म्यांमार के निकटतम सीमावर्ती शहर तमू में प्रवेश कर गए थे।