(शिरीष बी प्रधान)
काठमांडू, 14 मई संसद में विश्वासमत गंवाने के चार दिन बाद के पी शर्मा ओली ने शुक्रवार को तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। वह अल्पमत सरकार का नेतृत्व करेंगे।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने ओली (69) को शीतल निवास में एक समारोह में नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी।
राष्ट्रपति ने नेपाल की प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी के नेता के तौर पर ओली को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।
ओली अल्पमत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे क्योंकि सोमवार को संसद में विश्वासमत हारने के बाद उनके पास बहुमत नहीं है।
सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष ओली को बृहस्पतिवार को इस पद पर फिर से नियुक्त किया गया जब विपक्षी पार्टियां नयी सरकार बनाने के लिए संसद में बहुमत हासिल करने में विफल रहीं।
ओली को अब 30 दिन के भीतर सदन में विश्वास मत हासिल करना होगा जिसमें विफल रहने पर संविधान के अनुच्छेद 76 (5) के तहत सरकार बनाने का प्रयास शुरू किया जाएगा।
समारोह के दौरान ओली के मंत्रिमंडल के मंत्रियों ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री ओली और उप प्रधान मंत्री ईश्वर पोखरेल ने ईश्वर शब्द का जिक्र नहीं किया जबकि राष्ट्रपति भंडारी ने इसका उल्लेख किया।
ओली ने कहा, ‘‘मैं देश और लोगों के नाम पर शपथ लूंगा।’’ जबकि राष्ट्रपति ने ‘‘ईश्वर, देश और लोगों’’ का उल्लेख किया।
पुराने मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में जगह दी गयी है। प्रदीप ज्ञवाली विदेश मंत्री जबकि राम बहादुर थापा और बिष्णु पौडयाल क्रमश: गृह और वित्त मंत्री बनाए गए हैं। देश में कोविड-19 संक्रमण के मद्देनजर समारोह में सीमित लोगों की मौजूदगी थी।
समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति नंद बहादुर पुन और उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश सी एस राणा भी उपस्थित थे।
नए मंत्रिमंडल में 22 मंत्री और तीन राज्य मंत्री हैं।
इससे पहले, ओली 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक और फिर 15 फरवरी, 2018 से 13 मई, 2021 तक प्रधानमंत्री रह चुके हैं।
सदन में सोमवार को ओली के विश्वास मत हार जाने के बाद राष्ट्रपति ने विपक्षी पार्टियों को बहुमत के साथ नयी सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के लिहाज से बृहस्पतिवार रात नौ बजे तक का समय दिया था।
बृहस्पतिवार तक, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी दावेदारी रखने के लिए सदन में पर्याप्त मत मिलने की उम्मीद थी। उन्हें सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ का समर्थन प्राप्त था।
लेकिन ओली के साथ अंतिम वक्त में बैठक करने के बाद माधव कुमार नेपाल के रुख बदलने पर देउबा का अगला प्रधानमंत्री बनने का सपना टूट गया।
ओली की अध्यक्षता वाली सीपीएन-यूएमएल 121 सीटों के साथ 271 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी है। वर्तमान में सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है।
नेपाल में राजनीतिक संकट पिछले साल 20 दिसंबर को शुरू हुआ था जब राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की सलाह पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया था। फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने प्रतिनिधि सभा को बहाल कर दिया।
नेपाल में रोज कोविड-19 के लगातार 9,000 से ज्यादा मामले आने के कारण संकट बढ़ गया है। मरीजों की संख्या बढ़ने से चिकित्सकीय सामानों की किल्लत हो गयी है और अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है।
महामारी की दूसरी लहर के कारण देश में काठमांडू वैली के तीन जिलों समेत 40 जिलों में दो सप्ताह के लिए निषेधाज्ञा लागू है।
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