ईरान अब तक के सबसे उच्च स्तर पर यूरेनियम संवर्द्धन करेगा : परमाणु वार्ताकार
By भाषा | Published: April 13, 2021 09:03 PM2021-04-13T21:03:34+5:302021-04-13T21:03:34+5:30
दुबई, 13 अप्रैल (एपी) नातांज परमाणु संयंत्र पर हमले के बाद ईरान ने कहा है कि वह 60 प्रतिशत शुद्धता तक यूरेनियम संवर्द्धन शुरू करेगा। परमाणु मामलों पर ईरान के प्रमुख वार्ताकार ने इस बारे में बताया।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘इरना’ ने बताया कि परमाणु वार्ताकार अब्बास अरगची ने वियना में मंगलवार को इसकी घोषणा की।
इससे पहले, ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने आगाह किया था कि सप्ताहांत पर हमले से वैश्विक ताकतों के साथ परमाणु समझौते को लेकर चल रही वार्ता प्रक्रिया को नुकसान हो सकता है।
संभवत: इजराइल के हमले के बाद ईरान की इस घोषणा को भड़काऊ कदम बताया जा रहा है। इससे इजराइल कुछ और कदम उठा सकता है।
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने संकल्प जताया है कि उनका देश ईरान को कभी परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा।
हथियार बनाने के लिए ईरान 20 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्द्धन कर रहा था।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने कहा कि वह खबरों से अवगत है लेकिन फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।
ईरान के सरकारी टेलीविजन की अंग्रेजी इकाई ‘प्रेस टीवी’ ने कहा है कि आईएईए को इस कदम के बारे में अवगत करा दिया गया है। संयंत्र में संवर्द्धन की प्रक्रिया बुधवार से शुरू होगी।
लोक प्रसारक ने वार्ताकार अरगची के हवाले से बताया है कि ईरान नातांज संयंत्र में 1,000 सेंट्रीफ्यूज बनाएगा।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने चेताया था कि अगर देश को जरूरत हुई तो 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्द्धन किया जाएगा।
ईरान ने पूर्व में कहा था कि वह परमाणु चालित जहाजों के लिए 60 प्रतिशत यूरेनियम संवर्द्धन करेगा। फिलहाल ईरान की नौसेना के पास ऐसा कोई जहाज नहीं है।
नातांज संयंत्र पर सप्ताहांत में हमले के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है। शुरुआत में पता चला था कि बिजली ग्रिड का संचालन ठप हो गया है, लेकिन बाद में ईरानी अधिकारियों ने इसे हमला बताया था।
अमेरिका ने कहा है कि रविवार को ईरान के संयंत्र में हुई घटना से उसका कोई लेना-देना नहीं है। सेट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचाने के लिए इजराइल पर हमले का संदेह है लेकिन उसने अब तक ऐसा कोई दावा नहीं किया है।
जरीफ ने कहा था, ‘‘अमेरिका को जान लेना चाहिए कि पाबंदी या हमले से वार्ता को कोई फायदा नहीं होगा।
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