पाकिस्तानी गुरूद्वारा में भारतीय उच्चायुक्त को नहीं मिला प्रवेश, कैप्टन अमिरंदर ने ऐसे दिया जवाब
By भाषा | Published: June 24, 2018 04:22 AM2018-06-24T04:22:34+5:302018-06-24T04:22:34+5:30
भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया और उनकी पत्नी हसन अब्दल में गुरूद्वारा पंजा साहिब में अरदास करना चाहते थे।
इस्लामाबाद , 24 जूनः विवादित फिल्म को लेकर प्रदर्शन कर रहे सिखों ने पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त को एक गुरूद्वारे में प्रवेश करने से रोक दिया। एक मीडिया रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है। इससे पहले भारत ने नयी दिल्ली में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को सम्मन भेजा और भारतीय मिशन के अधिकारियों को वाणिज्य दूतावास संबंधी उनकी जिम्मेदारी का निर्वहन न करने देने को लेकर विरोध जताया।
एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने खबर दी कि अजय बिसारिया और उनकी पत्नी यहां हसन अब्दल में गुरूद्वारा पंजा साहिब में अरदास करना चाहते थे और यहां आने वाले सिख श्रद्धालुओं से मिलना चाहते थे लेकिन विवादित बॉलीवुड फिल्म नानक शाह फकीर को लेकर विरोध कर रहे सिखों ने उन्हें गुरूद्वारे में प्रवेश नहीं करने दिया। गुरुद्वारा जाने देने से पाकिस्तान के इंकार की अमरिंदर सिंह ने निंदा की।
उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश अपनी राजनीतिक योजना में धर्म को लाकर भारत के साथ अपने संबंधों में “बेहद निचले स्तर” पर चला गया है। उन्होंने इसे “भारत के प्रति पाकिस्तान की विचारहीन और निर्रथक शत्रुता को चौंकाने वाला प्रतिबिंबन बताया है।” सिंह ने एक बयान में कहा कि यह घटना अंतरराष्ट्रीय और कूटनीतिक दस्तूर के लिए पाकिस्तान की “ पूर्ण अवहेलना ” को भी उजागर करता है।
वहीं सिंह ने आज जोधपुर के बंदियों के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि उनकी सरकार केंद्र सरकार को मनाएगी कि वह अदालत के उस आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस ले ले जिसमें उन्हें मुआवजा देने की बात कही गई है। इन सभी बंदियों को 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लूस्टार’ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था और जोधपुर जेल में हिरासत में रखा गया था।
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